Kisan Andolan: किसान आंदोलन से निकले कई नेता, जो सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले बने 'राजनेता'
सत्ता के शिखर तक पहुंचने के लिए किसान आंदोलन सबसे सफल रास्ता रहा
Kisan Andolan: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Sarkar) के कृषि कानूनों (Krishi Kanoon) के खिलाफ बीते दस महीने से किसान संगठनों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। किसान संगठन शुरुआत में सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जताते रहे, बाद में उन्होंने सड़कों पर ही तंबू डाल दिया और आंदोलन को बढ़ाया। किसान संगठनों की सरकार से मांग रही थी कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर कानूनों को वापस लिया जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। धीरे-धीरे आंदोलन तेज होने के साथ उग्र होता गया। इसी की परिणति रही लखीमपुर खीरी की घटना।
किसानों के इस आंदोलन को विपक्षी दलों का लगातार साथ मिलता रहा है। लखीमपुर घटना के बाद भी विपक्ष किसानों के समर्थन में लामबंद है। भारत में किसान आंदोलनों का लंबा इतिहास रहा है। आजादी के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा है। लेकिन आज हम यहां बात करेंगे। देश की राजनीति के ऐसे दिग्गज नेताओं की जो किसानों के लिए आंदोलन करते हुए राजनीति के शिखर तक पहुंचे।
चौधरी चरण सिंह का जीवन परिचय (Chaudhary Charan Singh Biography)
इसमें सबसे पहला नाम आता है किसान नेता स्व. चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) का। चौधरी चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार में हुआ था। आजादी के समय वह राजनीति में आए। तब चौधरी साहब कांग्रेस पार्टी में अहम स्थान रखते थे। लेकिन देश के ग्रामीण और शहरी आर्थिक अंतर्विरोध के मद्देनजर चौधरी चरण सिंह कांग्रेस से अलग हो गए। उन्होंने किसानों की बात और उनके लिए राजनीति करनी शुरू कर दी। चौधरी साहब का जन्म 1902 में यूपी के गाजियाबाद जिले के नूरपुर गांव में हुआ था। किसान राजनीति करते हुए उनका कद इतना बढ़ा कि 60 के दशक में उत्तर भारतीय राजनीति में उन्होंने कांग्रेस के सामने एक चुनौती पेश कर दी।
चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। बाद में ये देश के प्रधानमंत्री तक बने। चौधरी साहब कहते थे कि "देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों और खलिहानों होकर गुजरता है।" उनका मानना था कि बगैर किसानों की खुशहाली के कोई देश विकास नहीं कर सकता। उनकी सरकार से मुख्य मांग और संघर्ष किसानों को उनकी उपज के मूल्य मिलने को लेकर ही रही थी। इसी के लिए वह जीवनभर संघर्ष करते रहे। चौधरी चरण सिंह के किसानों के प्रति इसी समर्पण के चलते उन्हें 'किसानों का मसीहा' जैसा उपनाम मिला। स्व.चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत को बाद में उनके बेटे चौधरी अजित सिंह और अब उनके पोते जयंत चौधरी संभाल रहे हैं।
चौधरी देवीलाल का जीवन परिचय(Chaudhary Devi Lal Biography)
किसान आंदोलन करते हुए हरियाणा की एक संतान चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) के रूप में देश के सामने आये। यह नेता क्षेत्रीय नहीं रहा, बल्कि इसकी धमक राष्ट्रीय राजनीति में भी देखने को मिली। हालांकि चौधरी देवीलाल खुद संपन्न परिवार से थे। लेकिन अंदाज ठेठ ग्रामीणों वाला था। यही वजह रहा, कि वह किसान, खेतिहर मजदूरों और गरीबों की आवाज बनने में सफल रहे। किसान आंदोलन करते हुए देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री और बाद में देश के उपप्रधानमंत्री तक बने। यह उनकी राजनीतिक दूरदर्शिता ही थी या किसानों के लिए समर्पण, उन्होंने राष्ट्रीय कृषि नीति व जल नीति बनवाने में अहम भूमिका अदा की।
बाद में चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने संभाला। ओमप्रकाश चौटाला की भी राजनीति किसानों के लिए ही समर्पित रही। अब उनके बेटे अजय और अभय चौटाला राजनीति में हैं। हालांकि बाद में अजय चौटाला ने अपने बेटों के साथ अलग राजनीतिक दल बना लिया। फिलहाल उनके बेटे दुष्यंत चौटाला मौजूदा समय में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री हैं।
बंसीलाल का जीवन परिचय (Bansi Lal Biography)
हरियाणा की राजनीति में चौधरी देवीलाल के बाद एक और 'धरतीपुत्र' का जन्म हुआ जिनका नाम था बंसीलाल (Bansi Lal) । बंसीलाल (Bansi Lal) ने भी पूरी जिंदगी किसानों की राजनीति ही की। लेकिन उनकी पहचान पूर्व प्रधानमंत्री के वफादारों में होती थी। बंसीलाल (Bansi Lal) 1968 से 1975 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। हरियाणा में औद्योगिकीकरण और कृषि संबंधी विकास कार्यों का श्रेय हमेशा बंसीलाल (Bansi Lal) के हिस्से जाता है। उन्होंने भी अपने राज्य में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए कई अहम कदम उठाए।
बलराम जाखड़ का जीवन परिचय (Balram Jakhar Biography)
भारत में किसान नेता के तौर पर एक और चमकदार सितारा उभरा, जिनका नाम था-बलराम जाखड़ (Balram Jakhar)। बलराम जाखड़ (Balram Jakhar) भारत के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहने के अलावा मध्यप्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। उनका जन्म पंजाब में 23 अगस्त ,1923 को फिरोजपुर जिले के पंचकोसी गांव में हुआ था। किसान परिवार में जन्मे जाखड़ की राजनीति किसानों के इर्द-गिर्द ही रही। शायद यही वजह थाःकि जब केंद्र में राजीव गांधी की सरकार बनी तो बलराम जाखड़ (Balram Jakhar) को कृषि मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। कांग्रेस पार्टी में इनकी पहचान किसान नेता के तौर पर ही रही। जाखड़ ने खेतों में पैदावार बढ़ाने के लिए उन्नत और वैज्ञानिक तकनीकों को लेकर कई कदम उठाए।
प्रकाश सिंह बादल का जीवन परिचय (Parkash Singh Badal Biography)
पंजाब की राजनीति का लंबे समय से चेहरा और अकाली दल के संस्थापक प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) की पहचान भी किसान आंदोलन से जुड़े नेता की रही है। बादल पंजाब के एकमात्र नेता हैं, जो पांच बार मुख्यमंत्री बने। हाल ही में किसान आंदोलन का समर्थन कर एक बार फिर बादल और उनकी पार्टी सुर्खियों में रही है। कृषि कानूनों के विरोध में उन्होंने 'पद्म विभूषण' सम्मान लौटा दिया। उल्लेखनीय है कि प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) का परिवार खेती-बारी करता आया है। सरकार में आने के बाद बादल ने पशुपालन तथा डेयरी उद्योग में किसानों को कई रियायतें दीं। पंजाब में पंचायती राज व्यवस्था पर भी प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) ने अच्छा काम किया। उनके इन प्रयासों से पंजाब में किसानों के बीच उनकी पकड़ हमेशा से मजबूत रही है। यही वजह रही कि किसान बिल के विरोध में उनकी पार्टी अकाली दल ने बीजेपी से 25 साल पुराना अपना गठबंधन तोड़ लिया।
राजेश पायलट का जीवन परिचय (Rajesh Pilot Biography)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. राजेश पायलट (Rajesh Pilot) भी किसानों के मुद्दे पर संसद से सड़क तक मुखरता से बोलते रहे। उनका मूल नाम राजेश्वर प्रसाद बिधूरी था, जो बाद में राजेश पायलट (Rajesh Pilot) के नाम से मशहूर हुआ। राजेश पायलट (Rajesh Pilot) खुद किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनकी पहचान एक किसान नेता के तौर पर ही रही। किसानों से जुड़े मुद्दों पर वह अपनी सरकार के खिलाफ भी बोलने से नहीं चूकते थे। राजेश पायलट (Rajesh Pilot) की कर्मभूमि राजस्थान रही। दौसा लोकसभा सीट से वह कई बार सांसद चुने गए। वर्तमान में उनके बेटे सचिन पायलट इसी क्षेत्र से विधायक हैं। वह भी पिता की ही तरह जमीन से जुड़े नेता हैं और किसानों के मुद्दे को उठाते रहते हैं।
वसंत दादा पाटिल का जीवन परिचय (Vasant Dada Patil Biography)
वसंत दादा पाटिल (Vasant Dada Patil) ने महाराष्ट्र में किसान नेता के तौर पर ही राजनीति शुरू की थी। जीवन भर यही उनकी पहचान रही। वह किसानों की आवाज बने रहे। वसंत दादा पाटिल (Vasant Dada Patil) 60 के दशक में महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। बाद में, वसंत दादा पाटिल (Vasant Dada Patil) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी बने। उन्होंने अपने कार्यकाल में कपास और गन्ना किसानों पर खास मेहरबानी दिखाई थी। उन्होंने किसान को केंद्र में रखकर में तमाम योजनाएं शुरू की, जिनमें सिंचाई योजना प्रमुख रही।
शरद पवार का जीवन परिचय (Sharad Pawar Biography)
इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति से एक और चेहरा आया जो मुखर तौर पर किसानों की बातें करता रहा, उनका नाम है शरद पवार (Sharad Pawar)। राजनीति के धुरंधर कहे जाने वाले और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) की राजनीति भी किसानों के इर्द-गिर्द रही है। महाराष्ट्र में किसानों के हक की लड़ाई शरद पवार (Sharad Pawar) लगातार लड़ते रहे हैं। ये कई सरकारों में कृषि मंत्री रहे हैं। मनमोहन सिंह सरकार में भी कृषि मंत्री ही थे। शरद पवार किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी से भी मिलते रहे हैं। वर्तमान किसान कानून के विरोध में भी वह मोदी सरकार की आलोचना कर चुके हैं। शरद पवार (Sharad Pawar) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और कई बार केंद्र में मंत्री भी रहे हैं।
एच.डी.देवगौड़ा का जीवन परिचय (HD Deve Gowda Biography)
90 के दशक में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले एच.डी.देवगौड़ा (HD Deve Gowda) भी किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता किसान थे। देवगौड़ा की राजनीति के केंद्र में किसान ही रहा है। कर्नाटक में उनकी पहचान किसान नेता के तौर पर ही है। हालांकि बाद में वो कर्नाटक के मुख्यमंत्री और बाद में देश के प्रधानमंत्री तक बने। बावजूद इसके उन्होंने कभी किसानों के मुद्दों पर समझौता नहीं किया। 80 के दशक में कर्नाटक सरकार में सिंचाई मंत्री के रूप में उन्होंने कई सिंचाई परियोजनाएं शुरू की थी। 1987 में उन्होंने सिंचाई के लिए अपर्याप्त धन आवंटन का विरोध करते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय (Mulayam Singh Yadav Biography)
यूपी के इटावा में एक किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के लिए भी 'धरतीपुत्र' जैसे विशेषण जुड़ते रहे हैं। मुलायम सिंह ने लंबे समय तक किसान नेता चौधरी चरण सिंह के साथ राजनीति की थी, जिसका असर उनकी राजनीति पर गहरा देखा जा सकता है। यही वजह थीसकि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) जब यूपी के सीएम बने तो किसानों और पशुपालकों को ही अपने मुख्य एजेंडे में रखा। समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर उन्होंने किसानों की सिंचाई से सम्बंधित बिजली बिल माफ किए।
सोमपाल शास्त्री का जीवन परिचय (Sompal Shastri)
जनता पार्टी से अपना राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सोमपाल शास्त्री (Sompal Shastri) की पहचान किसान नेता की रही है। हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी का हाथ थाम लिया था। लेकिन किसानों के मुद्दे को उठाना नहीं छोड़ा। सोमपाल के इसी व्यक्तित्व की वजह से उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार में कृषि मंत्री बनाया था। सोमपाल शास्त्री (Sompal Shastri) ने अपने कार्यकाल में किसानों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा शुरू की। साथ ही गेहूं के समर्थन मूल्य में रिकॉर्ड 19.6 प्रतिशत की वृद्धि कर नया इतिहास रच दिया था। इसके अलावा उन्होंने चीनी मिलों को लाइसेंस प्रणाली से मुक्त किया। साथ ही राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना तैयार कराई।
साहिब सिंह वर्मा का जीवन परिचय (Sahib Singh Verma)
साहिब सिंह वर्मा (Sahib Singh Verma) का जन्म 15 मार्च, 1943 को वर्तमान बाहरी दिल्ली के मुंडका गांव में एक जाट किसान परिवार में हुआ था। यही वजह थी कि वर्मा की राजनीति भले ही दिल्ली केंद्रित रही हो। लेकिन उनकी पहचान एक किसान नेता के तौर पर ही रही। साहब सिंह वर्मा (Sahib Singh Verma) दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने किसानों के हित में कई अहम फैसले लिए। इसी के चलते साहिब सिंह ने अपने आपको ग्रामीण दिल्ली के सर्वमान्य नेता के तौर पर स्थापित किया।
राजशेखर रेड्डी का जीवन परिचय (Rajasekhara Reddy Biography)
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी (Rajasekhara Reddy) की पहचान भी किसान नेता के तौर पर थी। मुख्यमंत्री रहते उन्होंने किसानों के हक में कई अहम फैसले लिए। विपक्ष में रहते हुए भी वो किसानों के मुद्दे पर राज्यभर का दौरा किया करते थे। उनके इसी योगदान का नतीजा है कि राजशेखर रेड्डी (Rajasekhara Reddy) की जयंती को आज भी आंध्र प्रदेश में 'किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। राजशेखर रेड्डी (Rajasekhara Reddy) कांग्रेस का बड़ा चेहरा हुआ करते थे। उनके असामयिक निधन के बाद उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी ने अपनी अलग पार्टी बनाई और फ़िलहाल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
हरकिशन सिंह सुरजीत का जीवन परिचय (Harkishan Singh Surjeet Biography)
वामपंथी राजनीति का चेहरा रहे हरकिशन सिंह सुरजीत(Harkishan Singh Surjeet) का नाम भी किसान आंदोलन के जरिए सामने आया था। वह भी किसान आंदोलन से ही निकलकर राजनीति में आए थे। सुरजीत 1936 में अविभाजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने थे। उन्हें पंजाब में किसान सभा की नींव रखने वाले मुख्य चेहरों में भी याद किया जाता है। वह पंजाब किसानों की ऐसी आवाज थे, जो सड़क से संसद तक गूंजती थी, हरिकिशन सुरजीत ही वह शख्स थे, जिन्होंने 1996 में कांग्रेस और बीजेपी के सामने तीसरे मोर्चे को खड़ा करने का प्रयास किया था। फिर कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को खड़ा करने में सुरजीत अहम कड़ी बने थे।