बच्चा चोर का शोर! जानें कैसे बनी जान पर आफत
बेटा रस्ते में कोई कुछ खाने को टाफी दे या बुलाये तो मत जाना क्योकि मुँह नोचवा, बल कटवा, चोटी कटवा के बाद अब बच्चा चोर का शोर अब चहुँ ओर है। बच्चा चोर के इस शोर से कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेकर उन्मादी भीड़ के हाथों बच्चा चोर बताकर पीट रही है।
धनंजय सिंह
लखनऊ : बेटा रस्ते में कोई कुछ खाने को टाफी दे या बुलाये तो मत जाना क्योकि मुँह नोचवा, बल कटवा, चोटी कटवा के बाद अब बच्चा चोर का शोर अब चहुँ ओर है। बच्चा चोर के इस शोर से कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेकर उन्मादी भीड़ के हाथों बच्चा चोर बताकर पीट रही है। ऐसे अफवाहों से इंसानियत को शर्मसार कर दिया है।
मुँह नोचवा, बाल कटवा, चोटी कटवा और बच्चा चोर
ऐसी अफवाहे देश या प्रदेश के लिए नई बात नहीं है। पिछले दो दशक से कभी मुँह नोचवा, बाल कटवा, चोटी कटवा और बच्चा चोर की अफवाहें सुनने को आ रही हैं। यह अफवाह महज तीन से चार माह रहती हैं। जो अगस्त से लेकर अक्टूबर तक अमूमन रहता हैं। जैसे-जैसे ठंडक आती है, वैसे ही धीरे अफवाह कम होते चली जाती है।इस तीन से चार माह में कितने बेकशूर लोगों को जान आफत में आ जाती है।
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अभी तक राजधानी से दूर जिलों में ऐसी अफवाहें सुनाई पड़ती थी जो अब राजधानी लखनऊ को भी अपने आगोश में ले लिया है। लखनऊ के लालकुआं इलाके के गड़हिया में दो महिलाओं को उन्मादी भीड़ ने पकड़ कर पीट दिया, यही नहीं ठाकुरगंज इलाके में भी ऐसी ही घटना पिछले दिनों घट चुकी है।
बक्शी के तालाब, मॉल, गोसाईंगंज और बंथरा में कई घटनाएँ घट चुकी है। जब पुलिस पकड़ती है, तो वह पागल महिला या पुरुष होते है, इनको छोड़ देती है।
यूपी के लगभग सभी शहरों में इन दिनों बड़े अपराध को बच्चा चोर की अफवाह ने पीछे छोड़ दिया है।अभी हल में ही मेरठ में भीड़ ने बच्चा चोरी की अफवाह में एक आदमी की पिटाई कर दी। मेरठ और सहारनपुर रेंज के अफसरों ने बेगुनाह लोगों को पीटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश भी दिया, तो पुलिस ने मामला दर्ज कर आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
लिंचिंग की घटना
इसके अलावा करीब 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया। गाजियाबाद से भी लिंचिंग की घटना सामने आई, जहां अपने पोते के साथ शॉपिंग करने आई एक महिला को बच्चा चोर बताकर उसकी जमकर पिटाई की गई। ठीक ऐसे ही आरोप में बुलंदशहर में एक मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को भी पीटा गया।
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एटा में भी ऐसी घटना घटी। अधेड़ उम्र की एक महिला को बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने पीट दिया और वीडियो भी वायरल किया। वीडियो में महिला खुद को बेगुनाह बताती रही, लेकिन भीड़ उसे पीटती रही और सिर मुंडवाने की कोशिश की। जौनपुर में भी मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला मॉब लिंचिंग की शिकार बनी।
अर्धनग्न करके मारा-पीटा
महिला पर ग्रामीणों ने बच्चा चोर, मुंह कटवा का आरोप लगाकर अर्धनग्न करके मारा-पीटा। हद तो तब हो गई जब पूरे घटना का वीडियो बना कर वायरल कर दिया गया। बरेली में भी एक मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को इसलिए पीटा गया, क्योंकि उसने एक बच्चे के हाथ से दस रुपए का नोट छीन लिया। इसके बाद भीड़ ने बच्चा चोर बताते हुए उसे पीट दिया।
हालांकि केवल यूपी ही नहीं, देश के कई राज्यों से इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं।
यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश से लगातार बच्चा चोरी की अफवाह पर भीड़ की पिटाई के मामले पर पुलिस सख्त है। उन्होंने घटनाओं पर लगाम लगाने और इन घटनाओं की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
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डीजीपी ने सभी जिलों के कप्तानों को निर्देशित करते हुए ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए। लेकिन इस तरह की घटनाएं लगातार जारी हैं।
बयानवीरों की हरकत :
समाज और सोशल मीडिया के चंद गैर-जिम्मेदाराना बयानवीरों के चलते देश में बच्चा चोर गिरोह के सक्रिय होने की अफवाह से आए दिन बेगुनाह लोगों को पिटना पड़ रहा है। कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेकर शान समझने वाली उन्मादी भीड़ देश में जगह-जगह लोगों को आए दिन बच्चा चोर बता कर पीट रही है। इस तरह के चिंताजनक हालात से यूपी में जगह-जगह कानून के पहरेदार पुलिस-प्रशासन की नींद उड़ी हुई है।
हालांकि पुलिस-प्रशासन के अफसरों ने बच्चा चोरी की अफवाह फैलाने वाले और बेगुनाहों को पीटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी शुरू की है, लेकिन अभी भी इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पाई है।
इस बेहद ज्वलंत मसले पर पुलिस के आला अधिकारी भी मानते हैं कि इस तरह की अफवाह वाले मामलों में बच्चा चोरी की घटना हकीकत में तो होती नहीं है, लेकिन अफवाहों के चलते फिर भी इस मसले को लेकर आए दिन हिंसा होती है।
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सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि सोशल मीडिया के बयानवीर भी बिना कुछ सोचे-समझे इस प्रकार के झूठे संदेशों को व्हाट्सएप पर फॉरवर्ड और फेसबुक, ट्विटर पर शेयर करके उन अपराधियों का सहयोग कर रहे हैं। यही वजह है कि अब पुलिस-प्रशासन सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले लोगों को चिन्हित करके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है।
दहशत का माहौल :
बच्चा चोरी की अफवाह को लेकर इस कदर दहशत का माहौल बन गया है कि छोटे बच्चों के अभिभावक भी अब अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि देश में बच्चों के प्रति अपराध, उनकी चोरी या उनकी खरीद-फरोख्त या तस्करी में जिस तरह से वृद्धि हुई है, उसका फायदा अफवाह फैलाने वाला तंत्र ले रहा है।
उनका मानना है कि देश में इस तरह की अफवाह फैलाने की घटनाओं को रोकने के लिए ना केवल पुलिस व उसके साइबर क्राइम सेल को बहुत अधिक मुस्तैदी दिखानी होगी, बल्कि आम जनमानस को भी जागरूक बनाना होगा। तब ही इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।
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इन प्रयासों से मिलेगी राहत
- पुलिस-प्रशासन सोशल मीडिया व अन्य माध्यम से अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
- मारपीट करने वालों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में सख्त कार्रवाई हो।
- सोशल मीडिया पर बच्चों से संबंधित चलने वाली सूचनाओं का पुलिस को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
- पुलिस को एक एडवाइजरी जारी करके बताना चाहिए कि अब तक मिली बच्चा चोरी की सभी सूचनाएं अफवाह निकली हैं। एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है।
- पुलिस को लोगों को जागरूक करना चाहिए कि अगर कोई संदिग्ध व्यक्ति दिखे, तो पहले उसकी पड़ताल करें।
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