जिस गन फैक्ट्री पर BJP-कांग्रेस है आमने-सामने, उसमें जमीन की है भारी कमी

उत्तर प्रदेश में अमेठी के मुंशीगंज स्थित इंडो-रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड के उद्घाटन पर जिस तरह कांग्रेस और बीजेपी की रार सामने आई है वो किसी से छिपी नहीं है। कौहार के मैदान से उठी ये जंग 24 घंटे में सोशल साइट का हिस्सा बन गई।

Update:2019-03-05 15:41 IST

असगर नकी

अमेठी: उत्तर प्रदेश में अमेठी के मुंशीगंज स्थित इंडो-रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड के उद्घाटन पर जिस तरह कांग्रेस और बीजेपी की रार सामने आई है वो किसी से छिपी नहीं है। कौहार के मैदान से उठी ये जंग 24 घंटे में सोशल साइट का हिस्सा बन गई।बीते रविवार 3 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एके-203 यूनिट के लोकार्पण के बाद से मैदान से लेकर सोशल साइटों तक बीजेपी-कांग्रेस का वाक युद्ध चल रहा है। दोनों ही दल खुद को अमेठी वालों का मसीहा बताने में जुटे हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री को झूठा बताया वहीं डिफेंस में उतरी स्मृति ने राहुल को अमेठी का सत्यानास करने वाला बताया। हालांकि कांग्रेस और बीजेपी की ओर से जो आरोप लगाए जा रहे हैं, जमीनी स्तर पर उसकी वास्तविकता ही अलग है। मुंशीगंज स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री में लेकिन सच्चाई ये है के गन फैक्ट्री में जिन किसानों की जमीने अधिगृहित की गई उनको नौकरी का सब्ज बाग दिखाकर चंद सिक्के पकड़ा कर उन्हें चलता कर दिया गया है। अब इन किसानों के आगे अंधकार छा गया है।

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newstrack.com ने पड़ताल करते हुए गन फैक्ट्री कोरवा के कार्य प्रबंधक प्रशासन शीरेष चंद्र पांडे से जानकारी की। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय की आधुनिक ये एक इकाई है, जिसका शिलान्यास दिसम्बर 2007 में सांसद राहुल गांधी ने किया था। इसका उद्देश्य था प्रतिवर्ष 45 हजार कार्बाइन उत्पादन का। जिसे हम सशस्त्र सेनाओं को प्रदान करते। 2013 से हमने पम एक्शन गन एवं जो हमारी दूसरी आयुध निर्माणियाँ उनको दूसरे कैम्पोनेंट, टैंक के कैम्पोनेंट हैं गन के कैम्पोनेंट हैं इसका उत्पादन शुरू किया। और इन कैम्पोनेंटस को हम दूसरी आयुध निर्माणियों को भी प्रदान करते हैं।

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प्रधानमंत्री जी ने जो भारत को समर्पित किया वो एक ज्वाइंट वैन्चर कम्पनी है। इंडो रशियन रायफल प्राइवेट लिमिटेड। ये ज्वाइंट वैन्चर कम्पनी आयुध निर्माणी बोर्ड एवं रूस की रोज़ो बोरान एक्सपोर्ट है उसका एक संयुक्त उपक्रम है। इस ज्वाइंट वेंचर कम्पनी का उद्देश्य है एके सीरीज़ की अत्यंत आधुनिक आधुनिक गन है एके-203 उसका उत्पादन करना। जैसा के प्रधानमंत्री जी ने अपनी स्पीच में भी कहा है इसका उत्पादन कर के दूसरे देशों को भी निर्यात किया जाएगा। यहां आयुध निर्माणी परियोजना कोरवा में एके 203 का उत्पादन किया जाएगा जिसे प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया है।

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इस संदर्भ में अमेठी के वरिष्ठ पत्रकार एवं अधिवक्ता विवेक विक्रम सिंह ने बातचीत में बताया कि वर्ष 2007 में मुंशीगंज के कोरवा में आयुध निर्माण कारखाने का शिलान्यास किया था। 2010 में उन्होंने आनन फानन में इसका उद्घाटन भी किया। ये प्रोजेक्ट 408.10 करोड़ का था। जिसके लिए 64 एकड़ जमीन की मांग हुई थी लेकिन सरकार की ओर से 34 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई थी।

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उन्होंने बताया कि कानपुर और कलकत्ता की तर्ज पर यहां भी पिस्टल, रिवाल्वर और छोटी बंदूकें बननी थी। उन्होंने ये भी बताया कि जमीन की कमी के कारण बिल्डिंग तो खड़ी हो गई लेकिन कारखाने का पूरा स्ट्रक्चर नहीं खड़ा हो सका। उस समय राहुल गांधी ने बिल्डिंग का उद्घाटन किया था और उसमें उत्पादन हुआ ये हमारे संज्ञान में नहीं है।

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वहीं उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मार्च को एके-47 के लेटेस्ट वर्जन एके-203 का शिलान्यास किया है। उम्मीद इसकी भी नहीं है के ये प्रोजेक्ट अमली जामा पहन पाएगा। क्योंकि 25-30 एकड़ में बिल्डिंग स्थापित है, पहले छोटे हथियारों को तैयार करने के लिए कारखाने की जमीन पर्याप्त नहीं थी अब इतने शक्ति शाली और बड़े हथियारों को तैयार करने के लिए जमीन की भारी कमी होगी। उन्होंने मोदी जी के इस क़दम को महज़ चुनावी स्टंट बताया।

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नहीं मिली नौकरी- बेटियों की शादी के लिए परेशान किसान

मुंशीगंज स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री में लेकिन सच्चाई ये है के गन फैक्ट्री में जिन किसानों की जमीने अधिगृहित की गई उनकों नौकरी का सब्ज बाग दिखाकर चंद सिक्के पकड़ा कर उन्हें चलता कर दिया गया है। अब इन किसानों के आगे अंधकार छा गया है।

किसानों का दर्द किसानों की जुबानी

किसान सतनाम सिंह

मुंशीगंज स्थित कोरवा गांव के किसान सतनाम सिंह, की ज्यादा जमीन एचएएल में गई और कुछ जमीन आर्डिनेंस फैक्ट्री में गई। 70 हजार रुपए बिस्से का मुआवजा दिया गया। नौकरी चाहते हैं आर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी मिल नहीं रही।

पवन सिंह

किसान पवन सिंह, की 15 एयर जमीन गई और मुआवजे के रुप में दो लाख रुपए मिले। जो मिला उससे लाभ भी नहीं हुआ थोड़ा बहुत खर्च चल गया। आर्डिनेंस फैक्ट्री में जाब लग जाती तो इससे परिवार का पालन पोषण कर पाते।

आशा सिंह

आशा सिंह की आर्डिनेंस फैक्ट्री में दो बिस्सा जमीन गई है। इसके एवज एक लाख 14 हजार रुपए मिले हैं। हम ये चाहते हैं के लड़का घूम रहा है नौकरी मिल जाती। आमदनी का हमारा कोई जरिया नहीं है, सब परेशान हैं।

निच्लेश सिंह

निच्लेश सिंह बताती हैं कि 18 बिस्से जमीन गई 1 लाख चौदह हजार बिस्से के हिसाब से मुआवजा मिला है। उसमें क्या करें हम लोग खाएं कि उसको रखें हम लोग। नौकरी मिल ही नहीं रही है बेरोजगार सब घूम रहे हैं। कितना दिन उस पैसे को खाएंगे। खा लेंगे बेटियां हैं बड़ी-बड़ी उनको कहां ले जाएंगे, कहां शादी करेंगे कैसे करेंगे? इस फैक्ट्री से हम लोगों को कोई लाभ नहीं हुआ, अभी जो जमीन बची है वो भी जाने वाली है। हम लोगों ने धरना दिया तो भी कोई सुनवाई नहीं हुई। चाहते हैं के बेरोजगार हैं दो लोग नौकरी मिले एक पैर के अपाहिज हैं वो भी बैठे हैं उनकी बेटियां बड़ी बड़ी हैं।

किसान चंद्रभान सिंह, कोरवा गांव निवासी

हमारे यहां एचएएल और गन फैक्ट्री लगी। 15 एयर जमीन गई मुआवजे के रूप में दो लाख रुपए मिले। एचएएल जब लगा तो मैक्सिमम जिन किसानो की जमीन गई किसी को डायरेक्ट किसी को इन डायरेक्ट लाभ मिला। लेकिन गन फैक्ट्री में जमीन जाने के बाद हर किसान के पास ज्यादा जमीन नहीं रह गई। बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा तो हुई लेकिन स्वास्थ्य की व्यवस्था नहीं। यहां के बच्चों को पढ़ने के लिए अगर एचएएल में भेजा जाए तो प्राइवेट की तरह ट्रीट किया जाता है, शिक्षा में भी कोई छूट नहीं है। हम सरकार से अपेक्षा करते हैं के जो गन फैक्ट्री लगी है, हमारे बच्चे अन स्किल्ड हैं स्किल्ड हैं उनको रोजगार दे।

हमारे यहां आयुध निर्माण फैक्ट्री लगी ये हुआ के आप लोगों को जाब मिलेगा। धोखे से साइन करा लिए और आज तक नौकरी नहीं मिली। दो एयर हमारी जमीन गई थी दो लाख मुआवजा मिला। राहुल गांधी बोले थे के मैं अमेठी क्षेत्र में आऊंगा तो आप लोगों को नौकरी दिलाऊंगा लेकिन वो हम लोगों को नौकरी नहीं दिला पाए।

बीजेपी का आरोप

जिन लोगों को जमीने नहीं मिल पायी है जिनकी जमीने गई हैं, ये तो अमेठी की बहुत बड़ी समस्या है। पूर्वर्ती सरकार ने और जो यहां के सांसद महोदय हैं शुरू से ही उनके दल का काम करने का ढ़ंग ही यही रहा है। कौहार में जहां प्रधानमंत्री जी की रैली हुई वहां बड़ा भूखंड फैक्ट्री के नाम पर कब्जा किया गया। फैक्ट्री चली नहीं लोगों को रोजगार मिला नहीं। और आज भी वो जमीन उन लोगों के चैरिटेबल ट्रस्ट के कब्जे में जा चुकी है। इस तरीके से उन लोगों ने यहां के लोगों के साथ छल किया है।

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कांग्रेस का पक्ष

आर्डिनेंस फैक्ट्री यूपीए सरकार में राहुल जी के प्रयास से यहां लगी। 25 यूनिटें पहले से वहां फंक्शन कर रही हैं। अलग जमीन भी एलाट हुई थी वहां पर निर्माण कार्य भी चल रहा है। उसमें एक यूनिट डाल करके या विदेश से एग्रीमेंट करके उसको क्रेडिट लेना यहां के लोगों को खूब अच्छी तरीके से पता है। जहां तक रोजगार की बात है जिन्होंने जमीन दिया है उनको रोजगार देना चाहिए। एचएएल और बीएचल यहां पर बनी थी तो वहां पर जब कांग्रेस की गवर्मेंट थी राजीव जी के ज़माने में अधिक तर लोग काम करते थे उसमें। उनकों नौकरियां भी मिली उनको काम भी मिले। तो ये भी एक तरीके से वहां की यूनिट है तो इसमें भी यहां के लोगों को काम मिलना चहिए।

 

 

 

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