UP Election 2022: आगरा दक्षिण सीट पर भाजपा को हैट्रिक से रोकने की कोशिश, तीन प्रमुख दलों ने उतारे ब्राह्मण प्रत्याशी
UP Election 2022: भाजपा प्रत्याशी योगेंद्र उपाध्याय ने हैट्रिक लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है जबकि दूसरे दलों के प्रत्याशी उनकी राह में रोड़ा अटकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा (UP Election 2022) के चुनाव में पहले चरण की आगरा दक्षिण सीट (Agra South seat) भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दो चुनावों से भाजपा यहां जीत हासिल करने में कामयाब रही है। भाजपा (BJP) ने लगातार दो बार से चुनाव जीत रहे विधायक योगेंद्र उपाध्याय (Yogendra Upadhyay) को हैट्रिक लगाने के लिए एक बार फिर इसी चुनाव क्षेत्र से मैदान में उतारा है। दलित (Dalits ) और मुस्लिम (Muslims) बहुल आगरा दक्षिण विधानसभा सीट (Agra South Assembly seat) पर भाजपा,बसपा और कांग्रेस (congress) ने ब्राह्मण प्रत्याशी (Brahmin candidate) उतारे हैं जबकि समाजवादी पार्टी (samajwadi party) ने वैश्य समाज (Vaishya Samaj) से जुड़े विनय अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा की घेराबंदी करने की कोशिश की है। भाजपा प्रत्याशी योगेंद्र उपाध्याय ने हैट्रिक लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है जबकि दूसरे दलों के प्रत्याशी उनकी राह में रोड़ा अटकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
कड़े मुकाबले में फंसे भाजपा प्रत्याशी
आगरा दक्षिण विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा प्रत्याशी योगेंद्र उपाध्याय कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। उन्होंने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी। अब भाजपा नेतृत्व ने उन्हें इस सीट पर हैट्रिक लगाने का मौका दिया है मगर कांग्रेस और बसपा ने भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर उनका समीकरण बिगाड़ने की कोशिश की है। कांग्रेस ने इस सीट पर अनुज शर्मा को प्रत्याशी बनाया है जबकि बसपा ने रवि भारद्वाज को उतारकर योगेंद्र की राह में कांटे बो दिए हैं। इस विधानसभा सीट पर करीब 80,000 ब्राह्मण मतदाता हैं मगर तीन प्रमुख दलों की ओर से ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे जाने के बाद ब्राह्मण मतों में बंटवारा तय माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी ने बदला प्रत्याशी
समाजवादी पार्टी ने सीट पर प्रत्याशी बदलते हुए विनय अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारा है। पहले पार्टी की ओर से इस सीट पर रिजवान प्रिंस को टिकट दिया गया था मगर दो दिन बाद ही समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बदलते हुए वैश्य समाज के विनय अग्रवाल को टिकट दे दिया।
माना जा रहा है कि सपा के इस फैसले का असर बगल की उत्तर विधानसभा सीट पर भी पड़ेगा क्योंकि उस सीट पर वैश्य मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा 1.80 लाख है। समाजवादी पार्टी का यह दांव सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इस सीट पर करीब 60,000 वैश्य मतदाता हैं और पार्टी ने उन्हें ध्यान में रखते हुए वैश्य उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा है।
भाजपा का गढ़ रही है यह सीट
आगरा दक्षिण सीट के पिछले 40 साल के इतिहास को देखा जाए तो भाजपा ने यहां सबसे ज्यादा 7 बार जीत हासिल की है। बसपा यहां 2007 में भाजपा का किला ध्वस्त करने में कामयाब हुई थी जब पार्टी के उम्मीदवार गुटयारी लाल दवेश ने जीत हासिल की थी। हालांकि उसके बाद के दोनों चुनाव 2012 और 2017 में भाजपा के योगेंद्र उपाध्याय ने जीत हासिल करते हुए भाजपा को फिर मजबूती प्रदान की।
2017 के विधानसभा चुनाव में योगेंद्र उपाध्याय ने बसपा के जुल्फिकार अहमद भुट्टो को 54,225 मतों के भारी अंतर से हराया था। इस बार बसपा ने प्रत्याशी बदलते हुए रवि भारद्वाज को चुनाव लड़ने का मौका दिया है।
आगरा दक्षिण सीट का जातीय समीकरण
यदि आगरा दक्षिण सीट के जातीय समीकरण को देखा जाए तो इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। इस सीट पर करीब 84,000 मुस्लिम और 80,000 ब्राह्मण मतदाता हैं। कोरी और कोली मतदाताओं की संख्या करीब 40,000 है जबकि वैश्य और जाटव समाज दोनों के मतदाताओं की संख्या साठ-साठ हजार है।
समाजवादी पार्टी ने वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं का समीकरण बनाने की कोशिश की है जबकि भाजपा, बसपा और कांग्रेस की नजर ब्राह्मण मतदाताओं के साथ ही दलित मतदाताओं पर भी टिकी हुई है। भाजपा वैश्य बिरादरी में भी सेंध लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। इस सीट पर पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होना है और विपक्षी दलों की ओर से भाजपा को हैट्रिक लगाने से रोकने की जोरदार कोशिशें की जा रही हैं।