Bulandshahr News: पूर्व सांसद के खिलाफ 51 बार जारी हुआ NBW, कोर्ट ने अब डीजीपी को भेजा नोटिस

Bulandshahr News: पूर्व सांसद पर परिवादी धर्मेंद्र ने एमएसएमआई दिल्ली राज्य का अध्यक्ष बनवाने के नाम पर तीस लाख रूपये की मांग करने का आरोप लगाया था।

Report :  Sandeep Tayal
Update: 2024-05-19 05:10 GMT

पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर का फाइल फोटो साभार सोशल मीडिया

Bulandshahr News: यूपी के बुलंदशहर की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा बलिया के पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर सहित पांच आरोपियों के खिलाफ चल रहे धोखाधड़ी के मामले में अब तक 51बार गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है। यही नहीं कुर्की आदेश भी हुए, इसके बावजूद पुलिस द्वारा उनको कोर्ट में हाजिर ना कर पाने पर बुलंदशहर की अनूपशहर स्थित विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट न्यायधीश विनय कुमार सिंह चतुर्थ ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने अब यूपी के डीजीपी को नोटिस जारी किया है तथा सुनवाई की अगली तिथि 29 मई नियत की है।

कोर्ट ने लोकसभा अध्यक्ष को भी पत्र जारी कर पूर्व सांसद के नाते हरिनारायण राजभर को मिल रही सुविधाओं के बारे में भी जानकारी मांगी है। कोर्ट द्वारा पूर्व सांसद के खिलाफ 22 मार्च 2022 से गैरजमानती वारंट जारी किये हुए हैं। राजभर की गिरफ्तारी को लेकर अब तक 51बार एनबीडब्लु के अलावा कुर्की आदेश एवं गृह सचिव दिल्ली, तीन बार डीजीपी, छह बार एसएसपी तथा पांच बार प्रभारी कोतवाली देहात को पत्र लिखा जा चुका है।

MSME अध्यक्ष बनाने के नाम पर लाखो की ठगी का है आरोप

परिवादी के अधिवक्ता अनुपम यादव और अनुप्रति यादव ने बताया कि परिवादी धर्मेंद्र ने पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर के खिलाफ परिवाद दायर किया था। जिसमें पूर्व सांसद पर परिवादी धर्मेंद्र ने एमएसएमआई दिल्ली राज्य का अध्यक्ष बनवाने के नाम पर तीस लाख रूपये की मांग करने का आरोप लगाया था। परिवाद में बताया गया कि परिवादी ने पूर्व सांसद व उसके साथियों की बातों पर भरोसा कर उन्हें 22 लाख रुपये दिये थे। बदले में पूर्व सांसद द्वारा फर्जी सरकारी दस्तावेज तैयार कर व धोखाधड़ी कर ठगी की गयी। जिसमें कोर्ट द्वारा हरिनारायण राजभर, विनोद, मारू, प्रवीन और अटल राजभर को धारा 420, 467, 468 व 471 आईपीसी में तलब किया गया था। अभियुक्तों के खिलाफ समन जारी होने के बाद कोर्ट में हाजिर ना होने पर 51बार गैरजमानती वारंट जारी किये गये हैं। कोर्ट ने पुलिस द्वारा अभियुक्त को कोर्ट में पेश न किए जाने पर नाराजगी भी जताई। एक आरोपी दिल्ली का होने के कारण दिल्ली के गृह सचिव को भी पत्र भेजा गया है। वादी के अधिवक्ता ने बताया कि परमादेश हेतु वह उच्च न्यायालय भी जाएंगे।

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