Swami Prasad Maurya: सीएम योगी के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य का पलटवार, बोले- हाईकोर्ट से बड़े नहीं

Swami Prasad Maurya: मौर्य ने कहा कि सीएम योगी को ज्ञानवापी मामले पर इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। यह मामला न्यायालय मे है। उन्हें न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए।

Update: 2023-07-31 10:51 GMT
Swami Prasad Maurya (Photo-Social Media)

Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि सीएम योगी हाईकोर्ट से बड़े नहीं हैं। सबको कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। यह मामला कोर्ट में लंबित है, इसलिए जबतक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तबतक नकारात्मक और सकारात्मक बयानबाजी करने से बचना चाहिए।

मौर्य ने कहा कि सीएम योगी को ज्ञानवापी मामले पर इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। यह मामला न्यायालय मे है। उन्हें न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए। वर्तमान में यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। यदि प्रस्ताव पहले ही मांन लिया गया होता तो कोर्ट जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। अब फैसला कोर्ट के पाले में है, जो भी फैसला होगा वह अदालत में होगा। इस स्थिति में किसी भी जिम्मेदार नेता को अपनी बात नहीं रखनी चाहिए।

विवाद की शुरुवात यहीं से हुई की ज्ञानवापी मस्जिद है

सपा MLC मौर्य ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद है इसलिए मामला कोर्ट में गया है। यदि मंदिर होता तो कोर्ट में जाता ही नही। विवाद की शुरुवात ही यहीं से शुरू हुई की ज्ञानवापी मस्जिद है। वहां पर पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाती है। जबतक इस प्रकरण में कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तबतक वह ज्ञानवापी मस्जिद ही रहेगा।

यह सरकार धर्म हितैषी नहीं

सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग धर्म के हितैषी नहीं है। बल्कि दुश्मन हैं। दिखाने के लिए ये लोग बैद्ध धर्म और हिन्दू धर्म को एक बताते हैं। लेकिन ऐसा होता तो बौद्धमठ तोड़े नहीं जाते। इतिहास इस बात का गवाह है। बौद्ध मूर्तियों को न तोड़ा जाता। मठों को हिन्दू धर्मस्थलों में न परिवर्तित किया जाता।

बद्रीनाथ धाम को लेकर भी दिया था विवादित बयान

मौर्य ने कहा था कि जहां पर हिन्दू धर्मस्थल हैं वहां पर पहले बौद्ध धर्मस्थल हुआ करता था। इसलिए सीर्फ मंदिर-मस्जिद की बात नहीं, बौद्ध मठ की भी बात होनी चाहिए। उन्होंने बद्रीनाथ धाम को लेकर भी बड़ा बयान दिया था। शोसल मीडिया पर लिखा था कि पहली शताब्दी में यह बौद्ध मठ था। शंकराचार्य ने इसे बद्रीनाथ धाम बनाया।

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