चंबल के बीहड़ कोरोना मुक्त: बीहड़वासी बोले कोरोना से जंग जीतेंगे हम, ये है खासियत

समय के साथ-साथ चंबल के बीहड़ों से डकैतों का सफाया हो गया लेकिन वहां का डर लोगों के मन से कभी नही निकला। जिस वजह से लोगों ने कभी चंबल के क्षेत्र में बसे गांव में कभी आना-जाना पसंद ही नही किया। अब वहां के लोग कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिये तैयार हैं।

Update:2020-05-01 13:10 IST

औरैया: चंबल एक ऐसा क्षेत्र है जहां का नाम सुनते ही लोग डर जाते थे। और उस चंबल में बसे चंबलवासियों का जीवन भी डर के साये में व्यतीत हुआ करता था। इसका एक सबसे बड़ा कारण था चंबल घाटी में रहने वाले डकैत। जिनकी वजह से यहां बाहरी लोगों का आना जाना नही होता था। क्योंकि डकैतों ने इन चंबल के बीहड़ों को अपनी शरण स्थली बना लिया था। जिससे यहां के निवासी भी डर के साये में जीने को मजबूर थे।

अभी तक नहीं पाया गया एक भी कोरोना संक्रमित रोगी

समय के साथ-साथ चंबल के बीहड़ों से डकैतों का सफाया हो गया लेकिन वहां का डर लोगों के मन से कभी नही निकला। जिस वजह से लोगों ने कभी चंबल के क्षेत्र में बसे गांव में कभी आना-जाना पसंद ही नही किया। अब वहां के लोग कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिये तैयार हैं। देश आज एक वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। इंसान को इंसान छूने से डर रहा है, क्योंकि बीमारी ही कुछ ऐसी है।

हालांकि यह बीमारी ज्यादातर विदेशों से आये लोगो ने फैलायी है जो कि शहर और महानगरों में रहते है लेकिन चंबल क्षेत्र में बसे गांवों से कोई विदेश नही गया और न ही कोई इन गांवों में शहरों से बसने आया तो फिर इस बीमारी के फैलने का कोई सवाल ही नही उठता। इस कारण से चंबलवासी इस महामारी में अपने आपको को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

ये भी देखें: बदला ATM: ग्राहकों को मिलेगी राहत, आज से शुरू हुए ये नियम

बीहड़ में नहीं है कोरोना का खौफ

इस क्षेत्र में बसे ग्रामीणों का जीवन खेत में पैदा हुए अनाज और ताजी हरी सब्जियों को खाकर बड़े आराम से व्यतीत हो रहा है। चंबल के इस बीहड़ क्षेत्र में लगभग एक सैकड़ा गांव के लोगों का जीवन आज-कल बिना भय के व्यतीत हो रहा है। चंबल क्षेत्रवासी सुमेर सिंह का कहना है कि वह कभी डकैतों के वजह से डर के साये में जिया करते थे। आज उसी डर ने इस कोरोना जैसी बीमारी के डर से बचा लिया है।

रिपोर्ट- प्रवेश चतुर्वेदी-जनपद औरैया

Tags:    

Similar News