एस्मा लागू करने का आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात: राम गोविंद

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चैधरी ने सोशल मीडिया पर सरकारी कर्मचारियों के भत्तों में कटौती के निर्णय के बाद राज्य में एस्मा लागू किए जाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात करार दिया है।

Update: 2020-05-24 12:34 GMT

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चैधरी ने सोशल मीडिया पर सरकारी कर्मचारियों के भत्तों में कटौती के निर्णय के बाद राज्य में एस्मा लागू किए जाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात करार दिया है।

नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद ने रविवार को अपने फेसबुक मैसेज में लिखा है कि सरकारी कर्मचारी, शिक्षक व चिकित्सक भत्तों की कटौती से नाराजगी के बावजूद कोरोना संकट में पूरी तरह सरकार का सहयोग कर रहे है।

ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार का एस्मा लगाना लोकतंत्र का हनन है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय जर्मन तानाशाह एड़ोल्फ हिटलर के नाजीवाद की याद दिलाता है।

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सरकार के फैसले के खिलाफ कर्मचारियों में रोष

बता दें कि राज्य सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते समेत छह भत्ते काटने के फैसले के बाद से तमाम कर्मचारी संगठनों से जुड़े कर्मचारी काली पट्टी बांधकर इसके प्रति विरोध जता रहे हैं।

संगठनों ने आगे आंदोलन की चेतावनी भी दे रखी है। जिसको देखते हुए यूपी सरकार ने इन विरोध-प्रदर्शनों पर पूरी तरह से रोक के लिए अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए हड़ताल पर रोक लगाई है।

अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल ने कहा है कि प्रदेश सरकार के कार्यकलापों से संबंधित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व व नियंत्रण वाले किसी निगम के अधीन सेवाओं तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन सेवाओं के लिए छह महीने के लिए हड़ताल निषिद्ध की गई है।

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हडताल करने पर होगी कार्रवाई: सिंघल

सिंघल ने कहा कि हड़ताल पर रोक के बावजूद यदि कर्मचारी आंदोलन आदि करते हैं तो सरकार सख्त कार्रवाई कर सकेगी। इसके लिए बीते शनिवार को सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि चूंकि राज्य सरकार का यह समाधान हो गया है कि लोक हित में ऐसा करना आवश्यक है।

इसलिए उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 के तहत राज्यपाल ने 6 मास की अवधि के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है। इसके दायरे में उत्तर प्रदेश राज्य के कार्य-कलापों से सम्बन्धित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी निगम के अधीन किसी सेवा तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन सेवा शामिल है।

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