खेती दे रही रोजगार, बन रही अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का बड़ा जरिया

केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाये गये इन कदमों के असर अब जमीन पर भी दिखना शुरु हो गये है और अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर आने लगी है।

Update: 2020-07-14 10:42 GMT

लखनऊ: केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाये गये इन कदमों के असर अब जमीन पर भी दिखना शुरु हो गये है और अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर आने लगी है। खेती जैसा बड़ा सेक्टर जहां अपने पंख पसारने लगा है वहीं छोटे और मझोले कारोबारियों को भी संजीवनी मिली है। बाजार में सप्लाई चेन तो बहाल हुई है, मांग भी उत्पन्न हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने जो चुनौती को अवसर में बदलने की बात कहीं थी।वह समय के साथ सत्य साबित हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान करते हुए कहा था कि हमें देश को स्वावलंबी बनाना होगा।कोविड-19 महामारी से लड़ने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये का एक विशेष आर्थिक पैकेज देशवासियों को समर्पित किया था। यह राशि देश के सकल घरेलू उत्पाद का 10 फीसद है। प्रधानमंत्री ने जो पैकेज जारी किया उसका मकसद शुरुआती दौर में पांच बुनियादी क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना था।

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राज्यों को सवा चार लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा अतिरिक्त संसाधन मिलेंगें

एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने इस बात का प्रावधान किया कि दो सौ करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद के लिए वैश्विक निविदाए नहीं ली जायेंगी। इसके लिए वित्तीय कानूनों में आवश्यक संसोधन भी किए गये। सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों की उधारी सीमा को तीन फीसद से बढाकर पांच फीसद करने का फैसला किया।इससे राज्यों को सवा चार लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा अतिरिक्त संसाधन मिलेंगें और वे ज्यादा कारगर ढंग से आत्मनिर्भर भारत की ओऱ आगे बढं सकेंगे।लाकडाउन के कारण बाजारों पर काफी गहरा असर पड़ा। सप्लाई चेन को बहाल करने के लिए एक बड़े कदम के तहत सरकार ने 2020-21 में राज्यों की अनुमानित जीएसडीपी के दो फीसद के बराबर अतिरिक्त उधार लेने की भी सुविधा प्रदान की।छोटे और मंझोले कारोबारियों को तीन लाख करोड़ रुपये का बेगैर गारंटी के कर्ज देने का फैसला किया गया।सरकार ने पच्चीस करोड़ रुपये तक के बकाया कर्ज और सौ करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली इकाईयों के लिए विशेष रुप से कर्ज की सुविधा दी ।

इनके खातों को मानक खाता माना गया और बेगैर गारंटी के इन्हें कर्ज मिल सकेगा

इनके खातों को मानक खाता माना गया और बेगैर गारंटी के इन्हें कर्ज मिल सकेगा। सरकार के इस कदम से 45 लाख से भी ज्यादा छोटे और मंझोले कारोबारियों को तीन लाख करोड़ रुपये की नगदी सुलभ हुई। सरकार ने सार्वजिनक क्षेत्र के बैंको को 20 फीसदी तक की सावरेन गारंटी यानि प्रारंभिक नुकसान पर गारंटी दी।इसके अलावा माइक्रो फाइनेंस संस्थानों को 45 हजार करोड़ रुपये की आंशिक गारंटी योजना शुरु की। नाबार्ड ने भी मदद के लिए अपने हाथ आगे बढाये।किसानों के लिए नाबार्ड ने 30 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था की।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको और सहकारी बैंको के जरिए नई विशेष ,पुनर्वृत्ति सुविधा को मंजूरी दी गयी। सरकार के इस फैसले से तीन करोड़ से भी ज्यादा छोटे और सीमांत किसानों को फायदा हुआ।

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इसी तरह टीडीएस की दरों में भी 25 फीसद तक की कमी की घोषणा की गयी। इससे अर्थव्यस्था में 50 हजार करोड़ रुपये तक का नगदी प्रवाह बना। सरकार ने प्रत्यक्षकरों के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाये । मसलन सीबीडीटी ने बीस लाख चौवालीस हजार से भी ज्यादा मामलो में 62,361 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किये। टैक्ट आडिट रिपोर्ट जमा करने की तारीख को 31 अक्टूबर 2020 तक के लिए बढाया गया। बड़े उद्दोगों को राहत पुहंचाते हुए कार्पोरेट कार्य मंत्रालय ने आईबीसी 2016 की धारा 4 के तहत डिफाल्ट की प्रारंभिक सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया। एनबीएफसी और एचएफसी के लिए विशेष तरलता योजना को भी कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है।

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