कांग्रेस को मिल सकता है बड़ा झटका!

विधानसभा उपचुनाव में प्रचार करने के लिए प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ मंगलवार को प्रतापगढ में एक चुनावी रैली को सम्बोधित करेंगें। लेकिन सीएम योगी की इस रैली से ज्यादा प्रतापगढ़ की राजकुमारी और कांग्रेस की पूर्व सांसद रत्ना सिंह के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं हैं।

Update:2023-08-14 16:55 IST

लखनऊ, श्रीधर अग्निहोत्री: विधानसभा उपचुनाव में प्रचार करने के लिए प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ मंगलवार को प्रतापगढ में एक चुनावी रैली को सम्बोधित करेंगें। लेकिन सीएम योगी की इस रैली से ज्यादा प्रतापगढ़ की राजकुमारी और कांग्रेस की पूर्व सांसद रत्ना सिंह के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं हैं।

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हांलाकि अधिकृत तौर पर न तो भाजपा के खेमें से इसकी पुष्टि की गयी है और न ही रत्ना सिंह की तरफ से।

लेकिन कहा जा रहा है यदि कांग्रेस हाईकमान की तरफ से रत्ना सिंह को मनाने की कोई कोशिश नहीं होती है तो वह मंगलवार को होने वाली चुनावी रैली में योगी आदित्यनाथ के सामने भाजपा का दामन थाम लेंगी।

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यहां यह बताना जरूरी है कि प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव के बाद कई पुराने नेता हाईकमान के फैसले को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के बढते प्रभाव के चलते ही अमेठी के राजा और राज्य सभा सांसद संजय सिंह भी अपनी पत्नी अमिता सिंह समेत भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

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राजकुमारी रत्ना सिंह पर एक नजर...

राजकुमारी रत्ना सिंह का परिवार शुरू से ही कांग्रेस से जुडा परिवार रहा है। कालाकांकर की राजकुमारी रत्ना सिंह प्रतापगढ से चार बार सांसद रह चुकी हैं, पर 2004 में वह लोकसभा का चुनाव पड़ोस की रियासत से जुड अक्षय प्रताप सिंह से चुनाव हार चुकी हैं।

इससे पहले वह कांग्रेस के टिकट पर 1996 और 1999 का लोकसभा का जीत चुकी हैं। लेकिन 2004 में राजाभैया ने उनकी राह रोकने के लिए अपने चचेरे भाई को सपा के टिकट से मैदान में उतारा। इस चुनाव में राजकुमारी रत्ना सिंह को अक्षय प्रताप के हाथों शिकस्त मिली। इस चुनाव में अक्षय प्रताप को 238137 मत मिले, जबकि राजकुमारी रत्ना सिंह को 168865 मतों से संतोष करना पड़ा।

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2009 के चुनाव में एक बार फिर रत्ना सिंह के सामने अक्षय प्रताप थे, इस चुनाव में रत्ना सिंह ने अक्षय प्रताप को हराया। राजकुमारी रत्ना सिंह को 1,69,137, अक्षय प्रताप को 1,21,252 मत मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के प्रोफेसर शिवाकांत ओझा थे।

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अक्षय प्रताप सिंह चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे। यह चुनाव इसलिए भी रोचक था कि बाहुबली अतीक अहमद भी मैदान में थे, जो अपना दल के प्रत्याशी थे, और चुनाव परिणाम जब आए तो वह चौथे नंबर पर थें।

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