पूर्व मंत्री और सपा नेता का निधन, हुआ था कोरोना, पार्टी में शोक की लहर

बसपा संस्थापक कांशी राम के विश्वस्त सहयोगी रहे दलितों के दिग्गज नेता तथा पूर्व मंत्री व सपा नेता घूरा राम की आज तड़के कोरोना संक्रमण से मौत हो गई।

Update:2020-07-16 10:10 IST

बलिया: बसपा संस्थापक कांशी राम के विश्वस्त सहयोगी रहे दलितों के दिग्गज नेता तथा पूर्व मंत्री व सपा नेता घूरा राम की आज तड़के कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। इनके निधन की सूचना मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ गई ।

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4 बजे पूर्व मंत्री घूरा राम का निधन हो गया

पूर्वी उत्तर प्रदेश में दलितों के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री घूरा राम का देहावसान हो गया है । सपा नेता घूरा राम के पुत्र सन्तोष कुमार ने बताया कि आज तड़के 4 बजे पूर्व मंत्री घूरा राम का सूबे की राजधानी स्थित के जी एम सी में निधन हो गया । वह 63 वर्ष के थे । उन्होंने बताया कि घूरा राम को गत 14 जुलाई की देर रात्रि कफ व सांस लेने में दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था । उन्होंने बताया कि कल उनका मेडिकल जांच का रिपोर्ट आया , जिसमें वह कोविड 19 से संक्रमित मिले । उन्होंने बताया कि कल से कफ व रक्तचाप को लेकर उनकी हालत बिगड़ गई थी । उन्होंने आरोप लगाया है कि अस्पताल ने उनके इलाज में लापरवाही बरती है तथा अस्पताल में उनका उचित उपचार नही किया गया । वह दो पुत्र व एक पुत्री सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं ।

बसपा संस्थापक कांशी राम के विश्वस्त सहयोगी रहे घूरा राम जिले में बसपा के संस्थापकों में रहे । वह सामंती राजनीति के विरुद्ध हमेशा बेहद मुखर रहते थे । पूर्वी उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाले घूरा राम ने जिले के बिल्थरारोड विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर वर्ष 1991 में पहला चुनाव लड़ा था तथा भाजपा के हरिनारायण राजभर से वह पराजित हो गए थे । सपा के शारदा नन्द अंचल दूसरे स्थान पर रहे थे । इसके बाद उन्होंने रसड़ा को अपना कर्म भूमि बना लिया ।

वह रसड़ा सुरक्षित सीट से पहली बार वर्ष 1993 में चुनाव जीते । इसके बाद वह रसड़ा सुरक्षित सीट से ही वर्ष 2002 व 2007 से विधायक रहे । वह मायावती सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहे । बसपा सुप्रीमो मायावती के कभी अत्यंत नजदीकी माने जाने वाले घूरा राम को वर्ष 2012 में मायावती ने टिकट से वंचित कर उमाशंकर सिंह को रसड़ा से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था । तब घूरा राम ने बगावती तेवर अख्तियार करते हुए रसड़ा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दिया था । हालांकि वह चुनाव हार गए थे तथा बसपा के उमाशंकर सिंह चुनाव जीत गये थे । बगावत करने के कारण इनको बसपा से बाहर कर दिया गया था । बाद में वह फिर बसपा में शामिल कर लिये गये थे ।

बसपा ने वर्ष 2017 में घूरा राम को बिल्थरारोड सुरक्षित सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था , लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहकर पराजित हो गए थे । लोकसभा के पिछले चुनाव के पूर्व घूरा राम को बसपा ने आजमगढ़ जिले के लालगंज सुरक्षित सीट पर प्रभारी बनाकर चुनाव लड़ने का संकेत दिया था । चुनाव के ऐन वक्त बसपा सुप्रीमो ने इन्हे टिकट नही दिया ।

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पिछले साल 27 अगस्त को वह सपा में शामिल हो गए थे

पिछले साल 27 अगस्त को वह सपा में शामिल हो गए थे । सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा में शामिल करते समय दलितों के दिग्गज नेता के रूप में इनका परिचय दिया था । इसके बाद घूरा राम को सपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया था । इनके निधन की सूचना मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ गई है । जिला मुख्यालय के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में शोक संवेदना व्यक्त कर इनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करने की धूम मची हुई है ।

अनूप कुमार हेमकर -बलिया

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