अयोध्या में हारा कोरोना: शुरू चौदह कोसी परिक्रमा, जीत गई आस्था
पौराणिक मान्यता के अनुसार सदियों से आज ही के दिन यानि कार्तिक माह की अक्षय नवमी तिथि को रामनगरी की परिक्रमा का वैदिक विधान है। इस परिक्रमा का फल परमपद की प्राप्ति के लिए अक्षय फल कारक बताया गया है।
अयोध्या: "जीत गई आस्था बौना साबित हुआ कोरोना" श्रीरामनगरी में 14 कोसी परिक्रमा का शुभारंभ होते ही कोरोना की बेड़ियां ढ़ीली पड़ती दिखी, और युगों-युगों से चली आ रहीं सनातन परंपरा के सैलाब से परमार्थ पथ एक बार फिर जय श्रीराम के नारे से गुंजायमान हो उठा। अश्वमेध यज्ञ के दिव्य फल की कामना से 14 कोस के भक्ति पथ पर श्रीराम भक्तों का जत्था मानो विश्व विजय का शंखनाद करने निकल आया है। कोरोना को लेकर प्रशासन की ओर से सख्त प्रतिबंध किए गए और बाहरी श्रद्धालुओं को रोकने के लिए सभी बैरियर पर पुलिस भी मुस्तैद दिखी लेकिन श्रद्धालुओं का जन-समुद्र जब सड़कों पर ज्वार बनकर आया तो सबकुछ राममय करता चला गया। परिक्रमा का यह ज्वार अब सोमवार की आधी रात तक बना रहेगा।
चौदह कोसी परिक्रमा हुई शुरू
परिक्रमा मेला को ध्यान में रखकर जिला प्रशासन की ओर से कोविड-19 की एडवाइजरी जारी की गई है। कोरोना बचाव के नियमों का पालन कराने के लिए सरकारी अमला परिक्रमार्थियों को मास्क बांटता भी दिखाई दिया। परिक्रमा के दौरान शारीरिक दूरी के नियमों को पालन करने की हिदायत देते भी दिखे। आस्था व परमार्थ के पथ पर चल पड़े लाखों पग के आगे कोरोना महामारी ढेर हो गई। श्रीसीताराम की अमोध शक्ति से उत्साहित भक्त देर रात से ही भारी संख्या चौदह कोसी परिक्रमा करते नजर आए।
परिक्रमार्थियों में अधिकांश स्थानीय लोग
परिक्रमार्थियों में अधिकांश स्थानीय लोग ही रहे मगर कुछ लोग पहले से ही जो नगर में मौजूद थे उन्होंने भी परिक्रमा में भाग लेकर पुण्य अर्जित किया। कोविड-19 संक्रमण को लेकर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इस बार परिक्रमा में शामिल नहीं होने दिया गया। इस वजह से गत वर्षों के अनुपात मे परिक्रमार्थियों की संख्या कम ही रही है।
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मगर थकान से चूर-चूर करने वाले भक्ति पथ पर 24 घण्टे लगातार भक्तों का काफिला निकलता रहा। इस दौरान मां सरयू घाट से लेकर पूरे सड़क मार्ग पर कड़े सुरक्षा इंतजाम देखने को मिला। पुलिस और पीएसी बल के साथ साथ पूरे परिक्रमा मार्ग पर जगह- जगह सेक्टर मजिस्ट्रेटों की तैनाती भी रही। साथ ही मार्ग में जगह-जगह कोविड-19 हेल्प केयर की भी व्यवस्था की गई है।
भक्ति-मुक्ति का द्वार खोलती हैं अक्षयनवमी की 14 कोसी परिक्रमा
पौराणिक मान्यता के अनुसार सदियों से आज ही के दिन यानि कार्तिक माह की अक्षय नवमी तिथि को रामनगरी की परिक्रमा का वैदिक विधान है। इस परिक्रमा का फल परमपद की प्राप्ति के लिए अक्षय फल कारक बताया गया है। हनुमानगढ़ी के नागा संत मिथलेश्वर दास के मुताबिक 14 कोसी परिक्रमा त्रेतायुग से चली आ रही है। इस परिक्रमा का फल अश्वमेघ यज्ञ से भी बड़ा है।
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भगवान श्रीराम का परमपद प्राप्त होता
क्योंकि इस परिक्रमा के फल स्वरूप भगवान श्रीराम का परमपद प्राप्त होता है और जीव सभी पापों से मुक्त होकर वैकुंठपुरी में निवास का अधिकारी हो जाता है। आगे कहते हैं कि, इस तिथि का नाम अक्षय नवमी नाम पड़ने के पीछे भी यही कारण है कि इस दिन किया गया पुण्य कर्म कभी न कम होने वाला फल प्रदान करता है, और इस तिथि में भगवान श्रीजानकीनाथ के नगर की परिक्रमा भक्ति-मुक्ति का द्वार खोलने वाली है। बता दे कि इसके बाद 25 तारीख़ को एकादशी के दिन होगी पंचकोसी परिक्रमा। इसमें भगवान श्री राम के जन्मभूमि की परिक्रमा का विधान है।
अखिलेश तिवारी
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