फर्जीवाड़े का भंडाफोड़, एक साथ दबोचे गए सात आरोपित
एएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक पशुपालन विभाग में फर्जी टेंडर के माध्यम से नौ करोड़ 72 लाख रुपये की ठगी की शिकायत मिली थी।
लखनऊ: पशुपालन विभाग में 292 करोड़ का टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये हड़पने के मामले में एसटीएफ ने सात आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। चार आरोपित सुबह वहीं तीन आरोपित देर रात दबोचे गए। इसमें वर्तमान राज्यमंत्री पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास का प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय का संविदा कर्मी धीरज कुमार देव, कथित पत्रकार एके राजीव व खुद को पशुपालन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय शामिल हैं।
फर्जीवाड़े का हुआ भंडाफोड़
फर्जीवाड़े का यह पूरा खेल वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। खास बात यह है कि इसके पीछे एक आइपीएस अधिकारी, राजधानी में तैनात इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकर्मियों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। एएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक पशुपालन विभाग में फर्जी टेंडर के माध्यम से नौ करोड़ 72 लाख रुपये की ठगी की शिकायत मिली थी। छानबीन के दौरान विभवखण्ड गोमतीनगर आशीष राय, राजाजीपुरम निवासी रजनीश दीक्षित, ग्रीनवुड अपार्टमेंट गोमतीनगर विस्तार निवासी धीरज कुमार देव और नेहरू एन्क्लेव गोमतीनगर निवासी एके राजीव को गिरफ्तार किया गया है। आरोपितों के पास से कुल 28 लाख 32 हजार रुपये बरामद किए गए हैं। इसके अलावा एसके मित्तल के नाम से फर्जी पहचान पत्र व अन्य कागजात बरामद किए गए हैं।
इस मामले की शिकायत बंगला नंबर चार 25 पुरनीता कालोनी बिचौली हप्सी, इन्दौर मध्य प्रदेश निवासी मंजीत सिंह भाटिया ने की थी। इसके बाद पता चला कि पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित सरकारी कार्यालय मे कुछ सरकारी कर्मचारियों व उनके सहयोगियों ने पद का दुरुपयोग कर आर्थिक लाभ लिया है। रविवार देर देर रात रूपक राय, उमा शंकर तिवारी व अनिल राय भी गिरफ्तार किए गए हैं। पुलिस को दी गई तहरीर में पीड़ित व्यापारी ने लिखा है कि आठ अप्रैल 2018 को उनके सहयोगी वैभव शुक्ला अपने परिचित संतोष के साथ आए थे। इस दौरान उनसे उनकी कंपनी के टर्न ओवर के बारे में जानकारी ली थी। कंपनी के दस्तावेज भी साथ ले गए। उन्हें बताया कि एसके मित्तल उनके करीबी हैं और 214 करोड़ का टेंडर उन्हें मिल जाएगा।
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इसके लिए तीन प्रतिशत कमीशन देनी पड़ेगी। इस पर मंजीत और वैभव ने मिलकर काम करने का इरादा बनाया था और आपस में काम के बाद लाभ मिलने पर 40 और 60 फीसदी की हिस्सेदारी तय कर ली थी। काम दिलाने के नाम पर आरोपितों ने जुलाई 2018 में पीड़ित से एक प्रतिशत कमीशन फौरन देने को कहा, जिस पर व्यापारी ने उन्हें दो करोड़ रुपये दे दिए। इस दौरान गिरोह ने अमित मिश्र नाम के व्यक्ति को आगे किया था, जिसके माध्यम से रुपये लिए गए। 31 अगस्त को आरोपितों ने दोबारा व्यापारी को बुलाया और एसके मित्तल व तत्कालीन मंत्री से मुलाकात कराने का झांसा दिया।
पशुपालन विभाग ने नाम पर फ्रॉड
व्यापारी के लखनऊ आने पर उसे सचिवालय के गेट नंबर नौ से बिना किसी चेकिंग के भीतर ले जाया गया। इसके बाद पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित सरकारी कार्यालय मे आशीष ने खुद को एसके मित्तल बताकर व्यापारी से भेंट की और पीड़ित को फर्जी वर्क ऑर्डर की कॉपी दे दी। हालांकि इस दौरान आरोपितों ने व्यापारी की किसी मंत्री से मुलाकात नहीं करवाई। इसके बाद गिरोह ने मिलकर कभी गोदाम तो कभी टेंडर की जांच का बहाना कर व्यापारी से करोड़ों रुपये वसूले। आरोपित आशीष ने पूछताछ में बताया कि पशुपालन विभाग विधानसभा सचिवालय स्थित कार्यालय के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित,
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उमेश मिश्र सहायक समीक्षा अधिकारी, धीरज कुमार देव (निजी सचिव) संविदाकर्मी और होमगार्ड रघुबीर यादव, सरकारी चालक विजय कुमार व अन्य के सहयोग से वह सचिवालय स्थित एक कमरे को एसके मित्तल, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग की तख्ती लगाकर उपयोग करता था। इस दौरान वह खुद को एसके मित्तल बताता था। आरोपित के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में मोन्टी गुर्जर, रूपक राय, संतोष मिश्र, कथित पत्रकार एके राजीव, अमित मिश्र, उमाशंकर तिवारी, डीबी सिंह उर्फ दिल बहार सिंह यादव, अरूण राय एवं निजी चैनल के पत्रकार अनिल राय भी शामिल थे। टेंडर के एवज में मिलने वाली धनराशि को आरोपित आपस में बांट लेते थे।
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उधर, आरोपित रजनीश दीक्षित ने पूछताछ में बताया कि मंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार देव के माध्यम से उसकी मुलाकात आशीष राय से हुई थी। हजरतगंज में दर्ज एफआइआर की जांच एसपी गोमती नगर संतोष सिंह को दी गई है। आरोपितों के खिलाफ जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज बनाने, साजिश रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट लिखी गई।