जुर्माने का हंटर! सुविधा न संसाधन, धड़ा-धड़ कट रहे चालान

प्रदेश सरकार ने भले ही बढ़ा हुआ मोटर व्हीकल जुर्माना अभी लागू नहीं हुआ है लेकिन इसे लेकर लोगों में दहशत का माहौल है। लोग कागजात दुरूस्त कराने में जुटे हैं। आरटीओ कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर रजिस्ट्रेशन पेपर को दुरूस्त कराने को लेकर लंबी लाइन लग रही है।

Update:2023-05-11 14:14 IST
सुविधा, न संसाधन, चला दिया जुर्माने का हंटर

गौरव त्रिपाठी

गोरखपुर : प्रदेश सरकार ने भले ही बढ़ा हुआ मोटर व्हीकल जुर्माना अभी लागू नहीं हुआ है लेकिन इसे लेकर लोगों में दहशत का माहौल है। लोग कागजात दुरूस्त कराने में जुटे हैं। आरटीओ कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर रजिस्ट्रेशन पेपर को दुरूस्त कराने को लेकर लंबी लाइन लग रही है। सर्वाधिक मारामारी प्रदूषण कंट्रोल सर्टिफिकेट को लेकर है। प्रदूषण जांच केन्द्रों के बाहर नोटबंदी जैसे दृश्य नजर आ रहे हैं। लोग 10 हजार के जुर्माना से बचने के लिए छह से आठ घंटे तक लाइन लगाकर इंतजार करने में मजबूर हैं।

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वाहनों का रजिस्ट्रेशन

गोरखपुर में 9.78 लाख वाहनों का रजिस्ट्रेशन है। इनमें से बमुश्किल एक लाख ही ऐसे वाहन हैं जिनके पास प्रदूषण कंट्रोल का सर्टिफिकेट है। इनमें से करीब 50 हज़ार नए वाहन हैं, जिनका एक साल तक प्रदूषण नहीं जांचा जाता है। 8 लाख से अधिक वाहनों की जांच के लिए सिर्फ पांच प्रदूषण जांच केन्द्रों को मान्यता दी गई है।

यदि पांच जांच केन्द्रों पर 2000 वाहनों का भी प्रदूषण जांच हो तो भी सभी गाड़ियों का सर्टिफिकेट जारी करने में डेढ़ वर्ष से अधिक का समय लग जाएगा। ऐसे में हजारों गाड़ियां प्रदूषण जांच नहीं होने को लेकर कार्रवाई की जद में रहेगीं। मंडल में गोरखपुर की स्थिति तो कुछ ठीक है, लेकिन देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज की स्थिति तो बेहद खराब है।

एक ही प्रदूषण जांच केन्द्र

देवरिया में 2, महराजगंज में एक और कुशीनगर में भी एक ही प्रदूषण जांच केन्द्र हैं। लेकिन यह केन्द्र अभी तक आॅनलाइन नहीं हो सके हैं। आरटीओ विभाग के मुताबिक, दो पहिया वाहनों की जांच की फीस 30 रुपये हैं। वहीं चार पहिया में पेट्रोल गाड़ियों का शुल्क 40 रुपये और डीजल गाड़ियों के प्रदूषण जांच का शुल्क 50 रुपये है।

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विभाग ने भले ही शुल्क निर्धारित कर दिया हो लेकिन प्रदूषण जांच केन्द्र आम लोगों से जबरन तीन गुना अधिक शुल्क की वसूली भी कर रहे हैं। प्रदूषण केन्द्र संचालित करने वाले शैलेन्द्र मिश्रा बताते हैं कि वर्ष 1995 में जांच का रेट रिवाइज नहीं हुआ है। मुख्य सचिव में पास संशोधित रेट को लेकर फाइल लंबित पड़ी है।

नये शुल्क को मंजूरी मिले तो दो पहिया वाहनों का शुल्क 60 रुपये, पेट्रोल चार पहिया वाहनों का शुल्क 80 रुपये और डीजल वाहनों की जांच का शुल्क 100 रुपये होगा। पुराने शुल्क में दुकान का किराया, बिजली का बिल और आपरेटर का वेतन देना भी संभव नहीं है। वहीं ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर परमिट, फिटनेस आदि को लेकर भी आरटीओ विभाग की तैयारी आधी-अधूरी है।

 

नहीं मिल रही ऑनलाइन आवेदन करने पर तारीख

लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लोगों को ऑनलाइन आवेदन करने पर तारीख ही नहीं मिल रही है। आरटीओ के अधिकारियों का कहना है कि 60 दिन तक ऑनलाइन टेस्ट के लिए स्लाॅट बुक हो गया है।

गोरखपुर में एक दिन में 200 लोग ऑनलाइन टेस्ट देते हैं। ऐसे में 12 हजार लोग डीएल बनवाने की कतार में हैं। वहीं स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 9000 लोग वेटिंग में हैं। वहीं बायोमेट्रिक कराने के लिए रोज 100 मीटर लंबी लाइन लग रही है।

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आरटीओ कार्यालय का सर्वर डाउन

आमतौर पर आरटीओ कार्यालय का सर्वर डाउन रह रहा है। शिक्षक आनंद पांडेय का कहना है कि लोग पूरे दिन का इंतजार कर फिर दूसरे दिन लाइन लगाने को मजबूर हैं। सरकार को पहले अपने संसाधन को दुरूस्त करना चाहिए था। आम लोग व्यवस्था को फाॅलो करने को तैयार हैं, सरकार के विदेशों की नकल कर जुर्माने की राशि तो बढ़ा दी लेकिन सुविधाओं को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया।

ट्रांसपोर्टर मनीष सिंह कहते हैं कि लोकसभा में बिल 2016 में ही पेश हुआ था। तब से अबतक सुविधाओं को लेकर सरकार के पास पर्याप्त समय था। पर आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले आवेदकों के ड्राइविंग टेस्ट का कोई व्यवस्था नहीं है। भारी वाहनों के चालकों के डीएल भी बिना टेस्ट का बन जाता है। बिना ड्राइविंग स्कूल में सीखे अनाड़ी सड़क पर गाड़ी चलाएगा तो दुर्घटना तो होगी ही।

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आरटीओ से लेकर ट्रैफिक पुलिस के पास संसाधन नहीं

बढ़ा हुआ जुर्माना अभी प्रदेश में लागू नहीं हुआ है, लेकिन ट्रैफिक से लेकर पुलिस के जवान जाम की समस्या को दूर करने के बजाए वाहनों की चेकिंग में ही व्यस्त हैं। गोरखपुर यातायात कार्यालय में सिर्फ एक कम्प्यूटर ऑपरेटर के भरोसे चालान की रकम जमा हो रही है। जुर्माना जमा करने के लिए लोगों को पांच से छह घंटे तक लाइन में लगना पड़ रहा है। यही हाल आरटीओ कार्यालय का है। जहां चलान हुए वाहनों का जुर्माना काटने की जिम्मेदारी सिर्फ एक बाबू पर है।

15 दिन में बिक गए सवा लाख हेलमेट

चालान के भय में पिछले एक पखवाड़े में हेलमेट की बिक्री में कई गुना का इजाफा हुआ है। नये कानून से पहले गोरखपुर मंडल में हेलमेट की बमुश्किल 50 दुकानें थीं। अब यह संख्या 2000 से पार पहुंच गई है। दिलचस्प यह है कि कपड़े, मोबाइल और मोबिल की दुकानों के साथ ही सड़क किनारे भी ब्रांडेड हेलमेट की बिक्री हो रही है।

 

पिछले 15 दिनों में सवा लाख से अधिक हेलमेट की बिक्री हो चुकी है। पुराने हेलमेट की मरम्मत करने वाले कारीगरों को भी काम मिल गया है। पुलिस लाइन के सामने हेलमेट बेचने वाले फिरोज आलम ने बताया कि सख्ती नहीं थी तो एक दिन में बमुश्किल एक या दो हेलमेट ही बिक पाता था।

कड़ाई को देखते हुए रोज 20 से 30 हेलमेट की बिक्री हो जा रही है। पुलिस लाइन से लेकर जीआरडी कैंटीन में तो हेलमेट ही खत्म हो जा रहा है। थोक कारोबारी विजय जायसवाल कहते हैं कि महिलाओं और बच्चों के हेलमेट बिक्री में भी इजाफा हुआ है। महिलाओं के हेलमेट की मांग पूरी करने में मुश्किल हो रही है।

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जुर्माने को लेकर सड़क पर गुस्सा

नये ट्रैफिक कानूनों के बाद बढ़े हुए जुर्माने का इफेक्ट सड़कों पर दिख रहा हैं। कहीं बिना हेलमेट के बाइक चला रहे पुलिस वाले युवकों की गालियों का शिकार हो रहे हैं तो कहीं पुलिस वाला कागज की जांच के नाम पर हैवान बना नजर आ रहा है।

सिद्धार्थनगर जिले से वाहन चेकिंग के नाम पर पुलिस की गुंडागर्दी का बीते दिनों वायरल हुआ विडियो जिसने भी देखा वह गुस्से से भर गया। हेलमेट न लगाने और गाड़ी के कागज साथ लेकर न चलने पर कुडजा गांव के रिंकू नाम के युवक की सब-इन्स्पेक्टर वीरेंद्र मिश्र और हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र प्रसाद ने जमकर पिटाई की थी।

विडियो वायरल होने के दोनों को निलंबित कर दिया गया था। पीड़ित की तरफ से दी गई तहरीर के बाद चौकी प्रभारी और हेड कॉन्स्टेबल के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 504 व 166 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

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सीओ को सौंपी जांच

इस घटना की सीओ को जांच सौंपी गई है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई भी संभव है। वहीं मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में बिना हेलमेट बाइक चला रहे पुलिस वालों को गाली देने का वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है।

कार में बैठे पांच युवक कभी खुद को पत्रकार तो कभी समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता बता रहे हैं। दोनों होमगार्ड गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात हैं। गोरखपुर की क्राइम ब्रांच अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की तलाश कर रही है।

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