Gorakhpur News: जिस गैलेंट ग्रुप पर आयकर विभाग डाल रहा था छापा, उसने भारतीय रेल से खरीद ली दो गुड्स ट्रेन

Gorakhpur News: सरिया और सीमेंट के क्षेत्र में प्रदेश के टॉप उद्यमियों में शुमार चन्द्र प्रकाश अग्रवाल ने कच्चे माल की ढुलाई में असुविधा के बाद दो प्राइवेट गुड्स ट्रेन खरीद लिया है। इस माल गाड़ी से गैलेंट सरिया, सीमेंट के साथ कोयला आदि का परिवहन करेगा।

Update:2023-09-01 20:07 IST
(Pic: Newstrack)

Gorakhpur News: पूर्वांचल में सरिया की सबसे बड़ी यूनिट के मालिक चन्द्र प्रकाश अग्रवाल पिछले दिनों आयकर के छापों के चलते सुर्खियों में आए थे। पिछले अप्रैल महीने में उनके दिल्ली, लखनऊ से लेकर गोरखपुर के ठिकानों पर छापे पड़े थे। जिसमें आयकर विभाग को खामियां भी मिली थी। लेकिन गैलेंट ग्रुप इससे उबर कर बड़ी छलांग लगाई है। गैलेंट ग्रुप ने सरिया और कच्चे माल की ढुलाई में आ रही दिक्कतों को देखते हुए भारतीय रेलवे से 55 करोड़ रुपये में दो गुड्स ट्रेन खरीद ली है। चन्द्र प्रकाश अग्रवाल उत्तर प्रदेश में प्राइवेट गुड्स ट्रेन खरीदने वाले पहले उद्यमी बन गए हैं।

भाड़े में मिलेगी 10 प्रतिशत की छूट - रेलवे प्रबंध निदेशक

सरिया और सीमेंट के क्षेत्र में प्रदेश के टॉप उद्यमियों में शुमार चन्द्र प्रकाश अग्रवाल ने कच्चे माल की ढुलाई में असुविधा के बाद दो प्राइवेट गुड्स ट्रेन खरीद लिया है। इस माल गाड़ी से गैलेंट सरिया, सीमेंट के साथ कोयला आदि का परिवहन करेगा। एक गुड्स ट्रेन रेलवे से संचालन के लिए गैलेंट को मिल भी गई है। दूसरी की डिलेवरी तीन माह बाद सम्भावित है। बता दें कि रेलवे की योजना के मुताबिक, यदि इकाईयां अपनी गुड्स ट्रेन खरीद कर रेलवे को दे दें तो उससे उसी फैक्ट्री का माल ढोया जाएगा। भाड़े में 10 प्रतिशत की छूट भी दी जायेगी। प्रबंध निदेशक ने बताया कि अपनी गुड्स ट्रेन रेलवे द्वारा संचालित कराये जाने से भाड़े में तो बचत होगी ही, कच्चा माल, आयरन और कोयला समय से फैक्ट्री में आ सकेगा। गैलेन्ट ग्रुप प्राईवेट गुड्स ट्रेन खरीदने वाली उत्तर प्रदेश की पहली इकाई है। रेलवे के जिम्मेदारों का कहना है कि गैलेंट को उनकी मांग के अनुसार इंजन मुहैया कराया जाएगा। इसके ड्राइवर और गार्ड भी रेलवे के ही होंगे।

कच्चे माल के परिवहन के लिए खरीदी गुड्स ट्रेन

गैलेंट के प्रबंध निदेशक चन्द्र प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से फैक्ट्री में कच्चे माल को लाने के लिये रेलवे से गुड्स ट्रेन आसानी से नहीं मिल पा रही थी। जिससे समय-समय पर उत्पादन प्रभावित हो रहा था। रेलवे द्वारा 15 प्रतिशत अधिक भाड़ा देने पर गुड्स ट्रेन प्राथमिकता पर देने का प्राविधान है। अधिक रकम देने के बाद भी समय से माल गाड़ी नहीं मिल रही थी। पहली गुड्स ट्रेन की डिलेवरी प्राप्त कर रेलवे को संचालन हेतु हैण्डओवर हो गई है।

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