Gorakhpur Famous Fruits: गोरखपुर का यह फल है औषधि का भंडार, धीरे-धीरे हो रहा है विलुप्त
Gorakhpur Famous Fruits Paniyala: पनियाला को GI टैग मिल गया है। GI टैग मिलने के बाद राज्य सरकार पनियाला के वृक्षों का संरक्षण करेगी और इसे समूचे देश के अलावा विदेशों में भी फ़ैलाने का प्रयास करेगी। आने वाले समय में हमें पनियाला केवल गोरखपुर और उसके आस पास ही नहीं बल्कि कई राज्यों में देखने को मिल सकता है।
Gorakhpur Famous Fruits Paniyala: क्या आपने पनियाला का नाम सुना है? गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के नए लोगों का तो नहीं कह सकते लेकिन 70-80 यहाँ तक की 90 के दशक तक के लोगों को शायद यह फल याद होगा और खाया भी होगा। स्वाद में थोड़ा खट्टा और थोड़ा मीठा, पनियाला दिखने में थोड़ा जामुन की तरह लगता है। उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड की ई-मैगजीन के मुताबिक मूलतः यह फल कहाँ का है यह स्पष्ट नहीं है लेकिन इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि यह सिर्फ यूपी वो भी केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश में पाया जाने वाला फल है।
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पनियाला को मिला जीआई टैग
उत्तर प्रदेश सरकार की हाई पावर कमेटी ने जिन 21 कृषि उत्पादों को जीआई टैग के लिए अनुमति दी है, उनमें पनियाला भी शामिल है। पनियाला को GI टैग मिल गया है। GI टैग मिलने के बाद राज्य सरकार पनियाला के वृक्षों का संरक्षण करेगी और इसे समूचे देश के अलावा विदेशों में भी फ़ैलाने का प्रयास करेगी। आने वाले समय में हमें पनियाला केवल गोरखपुर और उसके आस पास ही नहीं बल्कि कई राज्यों में देखने को मिल सकता है।
कहाँ पाया जाता है पनियाला
यह फल मूलतः गोरखपुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में ही पाया जाता है। गोरखपुर के लच्छीपुर और नकहा क्षेत्र में यह फल बहुतायत रूप से पाए जाते थे। आलम यह था की कुछ गावों की तो जीविका ही इस फल के कारण चलती थी। गौरतलब है कि पनियाला 60 से 90 रुपये किलो तक बिकता है। कभी-कभी इसकी कीमत 100-150 रुपये प्रति किलो तक हो जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार पनियाला के एक पेड़ से लगभग 3000 से 4000 रुपये तक की कमाई हो जाती है।
पनियाला है औषधि गुणों से भरा हुआ
पनियाला फल औषधि गुणों से भरा हुआ होता है। ऐसा गोरखपुर विश्वविद्यालय के ही कई कई शोधों से पता चला है। शोध के अनुसार, इसकी पत्तियों, छाल, जड़ों और फलों में बैक्टीरिया के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता होती है। पनियाला पेट से जुड़ी बीमारियों में फायदेमंद होता है। शोध के अनुसार पनियाला का उपयोग दांतों और मसूड़ों में दर्द और उनसे खून आना, कफ, निमोनिया और गले में खराश आदि के इलाज में भी किया जाता है। इस फल की संरक्षित करके भी लंबे समय तक रखा जाता है।
अब कम होते जा रहे हैं पनियाला के पेड़
अब पनियाला के पेड़ धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। यही कारण है कि नयी पीढ़ी इस फल से परिचित भी नहीं हो पा रही है। बाजार में यह फल भी अब कभी-कभार देखने को मिलता है। बढ़ता आबादी के कारण इसके वृक्ष कम होते जा रहे हैं। अब सरकार ने सुध ली है तो हो सकता है कि आने वाले वक़्त में इसके वृक्षों की संख्या बढे और नयी पीढ़ी भी एक ऐसे फल से रूबरू हो सके जो औषधि गुणों की खान है।