IIT बीएचयू में नई उपलब्धि, ISRO खोलेगा एकेडमिक सेंटर ऑफ स्पेस
बीएचयू आईआईटी के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। इसरो आईआईटी में अपना रिजनल एकेडमिक सेंटर खोलने जा रहा है।
वाराणसी: बीएचयू आईआईटी के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। इसरो आईआईटी में अपना रिजनल एकेडमिक सेंटर खोलने जा रहा है। संस्थान की तरफ से निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और इसरो की तरफ से सीबीपीओ के निदेशक डाॅ पी वी वेंकटकृष्णन ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।
अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम को मिलेगा बढ़ावा
आईआईटी और इसरो के मध्य हुए समझौते से अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि इसरो का यह रीजनल एकेडमिक सेंटर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख फैसिलिटेटर के रूप में कार्य करेगा। जबकि, आईआईटी(बीएचयू) इसरो के लिए क्षमता निर्माण, जागरूकता सृजन और शोध एवं अनुसंधान गतिविधियों के लिए एक प्रमुख एंबेसडर के तौर पर कार्य करेगा। इसरो और आईआईटी में उपलब्ध अनुसंधान क्षमता, बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञों के अनुभवों को रीजनल एकेडमिक सेंटर की गतिविधियों में अधिक से अधिक शामिल किया जाएगा।
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी का नेतृत्व करेगा आईआईटी
आरएसी-एस के अनुसंधान और विकास गतिविधियों में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता के अन्य संस्थानों को भी शामिल किया जाएगा जिसमें आईआईटी नेतृत्वकर्ता और प्रोजेक्ट माॅनीटर की भूमिका में होगा और आरएसी-एस के प्रतिदिन गतिविधियों और समग्र प्रबंधन की जिम्मेदारी भी निभाएगा। निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने आगे बताया कि इसरो के रीजनल एकेडमिक सेंटर की सहायता से स्पेस साइंस और स्पेस टेक्नोलाॅजी के शोध में तो मदद मिलेगी। साथ ही, स्पेस अप्लीकेशन के अंतर्गत होने वाले शोधों से एग्रीकच्लर, दूरसंचार, मौसम विज्ञान, जल संसाधन आदि क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। इससे देश के पूर्वांचल और मध्य क्षेत्र को काफी लाभ होगा।
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बीटेक, एमटेक और शोध छात्र भी कर सकेंगे अध्ययन
इस क्रम में संस्थान और सहयोगी संस्थानों के बीटेक और एमटेक छात्रों के लिए शार्ट टर्म और एक वर्षीय प्रोजेक्ट भी शामिल किये जाएंगे। पीएचडी छात्रों को लांग टर्म आरएंडडी प्रोजेक्ट्स में वरीयता दी जाएगी। साथ ही अन्य कार्यक्रम जैसे सम्मेलन, प्रदर्शनी और लघु पाठ्यक्रम भी क्षेत्र में ज्ञान का आधार बनाने के लिए आयोजित किए जाएंगे।