भटक जाएगा किसान आंदोलन, सरकार की ये योजना, अखिलेश यादव का बड़ा दावा

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की किसान संगठनों के साथ बेनतीजा वार्ता के बाद फिर अगली तारीख हो गई। हर बार आधा दिन गुजार कर 2 बजे बैठक करने से ही लगता है कि भाजपा सरकार आधे मन से आधे समय काम करके इस आंदोलन को भटकाना चाहती है।

Update: 2021-01-05 17:02 GMT
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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की किसान संगठनों के साथ बेनतीजा वार्ता के बाद फिर अगली तारीख हो गई। हर बार आधा दिन गुजार कर 2 बजे बैठक करने से ही लगता है कि भाजपा सरकार आधे मन से आधे समय काम करके इस आंदोलन को भटकाना चाहती है। किन्तु सत्ता का दम्भ तोड़ने वाले किसानों का हौसला टूटने वाला नहीं है।

किसानों के आंदोलन को बदनाम कर रही है भाजपा

किसान अपना भविष्य बचाने के संघर्ष में बलिदान कर रहे हैं। भाजपा बेतुके तर्कों और झूठे तथ्यों से किसानों के आंदोलन को बदनाम कर रही है। वह हर हाल में काले कृषि कानून देश में थोपना चाहती है। अच्छा हो, भाजपा सरकार बयानबाजी में देश को न उलझाए और किसान आंदोलन में लगातार बढ़ती किसानों की मृत्यु व आत्महत्या पर शर्म करे।

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अन्याय का शिकार हो रहा किसान

जो भाजपा सरकार एमएसपी होने पर भी अन्नदाता को बाजार में सही दाम नहीं दे पा रही है वह काले कानून के आने के बाद क्या एमएसपी देगी? पूरे प्रदेश में अपनी मेहनत का हक नहीं मिलने से अन्नदाता बेहाल है। किसानों पर और कितना जुल्म करेगी भाजपा की डबल इंजन सरकार। जबसे केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार आई है, किसान सबसे ज्यादा अन्याय का शिकार हुआ है। उसे लागत मूल्य का ड्योढ़ा देने, आय दुगनी करने का वादा करके झांसा दिया गया है। भाजपा राज में धान की लूट हुई। गन्ना मूल्य के भुगतान में सरकार खोखले आश्वासन दे रही है। किसान अपनी बात कहने गए तो उन पर आंसू गैस लाठीचार्ज किया गया।

किसान परेशान

भाजपा लाख सफाई दे, लेकिन किसान परेशान है कि नए कृषि कानून लागू होने के साथ ही खेती पर उनका स्वामित्व खतरे में पड़ जाएगा। उन्हें कारपोरेट खेती के लिए मजबूर किया जाएगा। इसीलिए कृषि कानून में एमएसपी का प्राविधान नहीं रखा गया है। बड़े कारपोरेट की शर्तो पर किसान को अपनी फसल बेचनी होगी। किसान संगठन बारबार इन सवालों पर सरकार से स्पष्ट जवाब मांग रहे हैं पर भाजपा सरकार उससे कतरा रही हैं। गतिरोध का यही मूल कारण है।

भाजपा सरकार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह अपने को जनप्रतिनिधि नहीं धन प्रतिनिधि समझती है। इसीलिए बड़े पूंजीघरानों के लिए किसानों को दांव पर लगा रही है। भाजपा भूल रही है कि उसके सामने संकट से संघर्ष करने वाले देश के वे दो तिहाई लोग हैं जो कभी हार नहीं मानते। आंधी तूफान, ओलावृष्टि, बेमौसम बरसात में भी किसान खेतों पर फसल उगाने में पीछे नहीं रहते हैं।

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अन्नदाता के लिए समाजवादी लगातार सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रहे हैं। किसान यात्राओं के बाद किसान घेरा कार्यक्रम को भारी समर्थन मिला है। समाजवादी सरकार ने किसानों के हित में कई योजनाएं चलाई थी। उन्हें फसल बीमा, पेंशन तथा मुफ्त सिंचाई की सुविधाएं दी थी। किसानों की आय बढ़ाने के लिए कामधेनु, मंडी स्थापना, मत्स्य पालन जैसी योजनाएं शुरू की थी। समाजवादी पार्टी अकेली पार्टी है जो सही मायने में किसानों और गांवों के उन्नयन के लिए समर्पित भाव से काम करती है।

राजेन्द्र चौधरी

मुख्य प्रवक्ता

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