Lucknow News: महिलाओं की अनोखी कुश्ती ‘हापा’, पुरुषों के देखने पर मनाही
Lucknow News: हापा के लिए चुनौती जो एक महिला दूसरी महिला को देती है और शुरू होता है महिलाओं का दंगल। विनय कुमारी अन्य महिलाओं को मुकाबले के लिए ललकारती है, और शांति मुकबले के लिए मैदान में उतरती है। शुरू होता है दंगल।
Lucknow News: कुश्ती का नाम सुनकर सबसे पहले आपके मन में पुरुषों की तस्वीर ही उभर कर आती होगी, लेकिन इस कुश्ती के महिलाएँ दो-दो हाथ करती है। कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है अहमामऊ में महिलाओं के दंगल का आयोजन में। मंगलवार को राजधानी के अहमामऊ में नागपंचमी के दूसरे दिन महिलाओं के दंगल की प्रथा पिछले कई सालों से होती चली आ रही है। जहां गांव की महिलाएं इक्ठठी होकर देवी पूजन और गीत गाने के बाद मैदान में दंगल के लिए एक दूसरे को ललकारती हुई उतरती है। इस कुश्ती को 'हापा' कहा जाता है। हापा के दौरान सुरक्षा के लिए महिला पुलिस बल भी लगाया गया था।
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मंगलवार को अहमामऊ में जहां एक ओर मेला की भीड़ थी। तो दूसरी ओर गांव की महिलाओं के दंगल यानि 'हापा' की तैयारी चल रही थी। जहां पुरूषों का आना सख्त मना है। हापा के लिए चुनौती जो एक महिला दूसरी महिला को देती है और शुरू होता है महिलाओं का दंगल। विनय कुमारी अन्य महिलाओं को मुकाबले के लिए ललकारती है, और शांति मुकबले के लिए मैदान में उतरती है। शुरू होता है दंगल। विनय कुमारी उसे जोरदार पटखनी देती हुई उसकी छाती पर चढ़कर बैठ जाती है। शांति चारों खाने चित्त और जीत विनय कुमारी की होती है। इसके बाद राधा-बबली में राधा, बबली-सन्नो में बबली और राधा-राजकुमारी में राधा की जीत होती है। दंगल जितने के लिए बबली को जहां 5 सौ रूपए मिले वहीं अन्य विजेताओं को साड़ी दी गई।
बेगम यहां आकर आराम फरमाती थी
बुजुर्ग रामकली बताती है कि 100 साल से पहले नवाबों के जमाने में बेगम यहां आकर आराम फरमाती थी। उस समय नाच-गाना और खाना पीना हाेता था। महिलाएं आपस में मुंहजबानी कर चुहलबाजी करती थी। पर समय के साथ यह सब बदल गया है। उस समय कुश्ती नहीं होती थी। अब यह सब होने लगा है। उस समय के आयोजन को ही हापा कहते थे। पीछले 8-9 साल से हो रही कुश्ती को भी हापा कहा जाने लगा है।
महिलाएं के हाथों में पूरा आयोजन
विनय कुमारी बताती है कि इस कार्यक्रम का सारा काम महिलाएं खुद ही करती है। इसमें किसी और की मदद नहीं ली जाती है। इसमें देवी पूजा के लिए एक टोकरी में फल, बताशे, खिलौने और श्रृंगार का सामान रखा होता है। जिसे रीछ देवी, गूंगे देवी और दुर्गा की पूजा के साथ भुईया देवी की जयकार के साथ होती है। इसके बाद महिलाएं ढोलक के साथ गाने गाकर मनोरंजन करती है।
पुरूषों के आने पर प्रतिबंध
हापा में पुरूषों का आना पूरी तरह से मना होता है। यहां तक कि अगर कोई पुरूष अपनी घर की छत पर भी खड़ा होता है तो उसे भी अंदर जाने के लिए कहा जाता है। ताकि कोई इसे देख ना सके। महिलाओं के साथ केवल छोटे बच्चों को ही आने की अनुमति है।