मणि मंजरी राय के मामले में आया नया मोड़, इस वजह से की थी आत्महत्या

मनियर नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी मणि मंजरी राय की मौत के मामले में नगर पंचायत में कम्प्यूटर लिपिक के पद पर तैनात अखिलेश इस समय चर्चा ए खास में है । मणि मंजरी के भाई विजयानन्द राय ने बलिया शहर कोतवाली में पिछले दिनों दर्ज कराए गए मुकदमे में अखिलेश के विरुद्ध भी आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया है ।

Update:2020-07-11 13:21 IST

बलिया। मनियर नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी मणि मंजरी राय की मौत के मामले में आरोपों के घेरे में आये सिकंदरपुर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी संजय राव तो रसूखदार हैं ही, नगर पंचायत का कम्प्यूटर लिपिक भी रसूख के मामले में कम नही है । तकरीबन 8 वर्ष पहले वर्ष 2012 में मामूली वेतन पर आउटसोर्सिंग पर रखे गए कम्प्यूटर लिपिक का वेतन भले ही आठ साल में बढ़कर महज 15 हजार तक ही पहुँचा हो, लेकिन इस दौरान बनाये गये इसके मकान व हासिल की गई अन्य सम्पत्ति नगर पंचायत में इसके प्रभुत्व की कहानी को बयां कर दे रही है ।

अखिलेश चर्चा का विषय

मनियर नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी मणि मंजरी राय की मौत के मामले में नगर पंचायत में कम्प्यूटर लिपिक के पद पर तैनात अखिलेश इस समय चर्चा ए खास में है । मणि मंजरी के भाई विजयानन्द राय ने बलिया शहर कोतवाली में पिछले दिनों दर्ज कराए गए मुकदमे में अखिलेश के विरुद्ध भी आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया है । दो दिन पहले पुलिस जब जांच के सिलसिले में मनियर नगर पंचायत पहुँची थी तो अखिलेश गायब मिला था । कम्प्यूटर में जानकर अखिलेश की नियुक्ति तत्कालीन चेयरमैन संजय सिंह के कार्यकाल में वर्ष 2012 में हुई थी । वर्ष 2012 में पांच हजार रुपये मासिक वेतन पर नियुक्त अखिलेश ने अपनी क्षमता का बखूबी लाभ उठाया तथा थोड़े ही दिनों के बाद वह नगर पंचायत अध्यक्ष का सबसे चहेता बन गया ।

नगर पंचायत में अखिलेश का प्रभुत्व कायम

इसके बाद तो उसकी नगर पंचायत में तूती ही बोलने लगी । नगर पंचायत में अधिकतर कार्य कंप्यूटर के माध्यम से ही होने के कारण नगर पंचायत से जुड़े कार्यों में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण बन गई । एक तरह से मनियर नगर पंचायत में अखिलेश का प्रभुत्व कायम हो गया । बताते हैं कि नियुक्ति के पहले तक अखिलेश के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब रही । पिता राजमिस्त्री थे और पिता की कमाई से ही पूरे परिवार का खर्चा चलता था। नगर पंचायत में अखिलेश की नियुक्ति के बाद परिवार की स्थिति में बदलाव की बयार बहने लगी ।

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बनाया आलीशान मकान

मासिक वेतन आठ साल में बढ़कर सिर्फ 15 हजार तक ही पहुंच सका है, लेकिन अखिलेश ने महज आठ साल में ही करोड़ों रुपये की संपत्ति खड़ी कर ली । देखते ही देखते मनियर नगर में आलीशान तीन मंजिला मकान बन गया । दो भाईयों में से एक की मेडिकल स्टोर तथा दूसरे की किराना स्टोर की दुकान भी खुल गई । नगर पंचायत अध्यक्ष भीम गुप्ता का वह बेहद निकटवर्ती रहा । वह हर वक्त नगर पंचायत चेयरमैन के साए की तरह उनके साथ रहता है।

गोरखधंधे का मास्टर माइंड अखिलेश

मनियर नगर पंचायत में मणि मंजरी राय के कार्यभार संभालने के बाद अखिलेश का गणित गड़बड़ा गया । तेजतर्रार व ईमानदार अधिशासी अधिकारी राय को बहुत जल्द ही समझ में आ गया कि नगर पंचायत में चल रहे सभी गोरखधंधे का मास्टर माइंड अखिलेश ही है । इसके बाद उन्होंने अखिलेश को हाशिये पर कर दिया । वह अखिलेश के कार्यों पर भी नजर रखने लगी । सूत्रों के अनुसार अधिशासी अधिकारी राय ने अखिलेश को अपने कार्यालय से बाहर निकाल दिया था । हालांकि नगर पंचायत अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद अखिलेश को वापस नगर पंचायत में काम पर रख लिया गया।

लगाया गया था सीसीटीवी

नगर पंचायत के सूत्रों के मुताबिक अधिशासी अधिकारी एक बार तो अखिलेश की कारगुजारी को देखकर अपने कार्यालय में ही फफककर रो पड़ी थीं और इसे तत्काल कार्यालय से बाहर कर दिया था। इसके बाद उन्होंने अपना कार्यालय भी अलग कर लिया था और वहीं से सीसीटीवी के माध्यम से नगर पंचायत के साथ ही अखिलेश के कार्यों पर नजर रखने लगी । मुकदमा दर्ज होने के बाद अखिलेश आखिरी बार पुलिसिया छापेमारी के कुछ समय पहले अखिलेश चेयरमैन भीम गुप्ता के बाइक पर फाइलों का पुलिंदा लिए हुए दिखाई दिया था । यह नजारा नगर पंचायत अध्यक्ष के एक पड़ोसी के घर में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है तथा सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है।

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संजय राव पर भी आरोप

उधर अधिशासी अधिकारी राय की मौत के मामले में आरोपी बनाये गये सिकंदरपुर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी संजय राव का जिले में नगर निकाय महकमे में जबरदस्त वर्चस्व है । मुकदमे में संजय राव पर भी मणि मंजरी पर दबाव बनाने का आरोप है । मणि मंजरी के मनियर में आने के पहले संजय मनियर में ही कार्यरत रहे । दबाव व प्रताड़ना को लेकर मणि मंजरी जब जिला मुख्यालय से सम्बद्ध की गई तब भी प्रभार संजय राव ही संभाल रहे थे ।

संजय भले ही मनियर से सिकंदरपुर आ गये , लेकिन नगर पंचायत अध्यक्ष भीम गुप्ता से नजदीकी रिश्ता होने के कारण संजय सिकंदरपुर से ही मनियर पर भी नजर रखते थे । संजय राव का महकमे में इस कदर जलवा है कि उनको सिकंदरपुर के साथ ही नवसृजित नगरा नगर पंचायत का भी प्रभार दिया गया है । बताते हैं कि जिले में जब भी किसी अधिशासी अधिकारी का तबादला होता रहा है तो अतिरिक्त प्रभार संजय राव को ही मिलता रहा है ।

ड्राइवर को बनाया ठेकेदार

जिले में शासित दल से जुड़े कुछ जन प्रतिनिधियों से संजय के बेहद महत्वपूर्ण सम्बन्ध होने की चर्चा भी आम है । सिकंदरपुर में कार्यरत अधिशासी अधिकारी संजय राव को लेकर चर्चा यह भी है कि वह अपने ड्राइवर को ही ठेकेदार बना देते हैं । नगर निकायों में बाजीगरी के सहारे कार्य करने में माहिर संजय की कारगुजारी अक्सर चर्चाओं में रहा करती है , लेकिन राजनैतिक व प्रशासनिक रसूख के कारण कोई भी अधिकारी संजय राव पर हाथ डालने से परहेज करता है ।

ऐसे में मणि मंजरी के भाई द्वारा मुकदमे में बलिया पुलिस पर भरोसा न होने का बयान अनायास नही है । प्रभारी मंत्री अनिल राजभर ने मृतिका के परिजनों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी इच्छा के अनुसार उच्च स्तरीय जांच कराने का भरोसा दिलाया है ।

रिपोर्टर- अनूप कुमार हेमकर, बलिया

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