PM मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की खुली पोल, अभी भी है ये हाल

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त होने की बात करते हैं, लेकिन बाराबंकी जिले में आज भी कई जगहों पर कमाऊ शौचालय का इस्तेमाल और हाथ से मैला ढोने की कुप्रथा आज भी बेधड़क जारी है।

Update: 2020-02-13 09:39 GMT
PM मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की खुली पोल, अभी भी है ये हाल

बाराबंकी: हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुले में शौच न करने की अपील करते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त होने की बात करते हैं, लेकिन बाराबंकी जिले में आज भी कई जगहों पर कमाऊ शौचालय का इस्तेमाल और हाथ से मैला ढोने की कुप्रथा आज भी बेधड़क जारी है। जबकि सरकार का दावा है कि प्रदेश में मैला प्रथा बंद हो चुकी है। राजधानी लखनऊ से सटा बाराबंकी जिला इस बात की तस्दीक करता है कि कैसे प्रशासन और अधिकारियों की संवेदनहीनता के चलते आज भी यहां कई घरों में हाथ से मैला उठाने का घिनौना काम चल रहा है।

कई घरों में आज भी हो रहा ऐसा...

यह हाल तब है जब करीब दो साल पहले भी बाराबंकी शहर के बंकी इलाके के कई घरों में हाथों से मैला ढोने का मामला सामने आया था। मामला मीडिया में आने के बाद प्रशासन की नींद खुली और वहां शौलाय के निर्माण कराए गए थे। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में कब प्रशासन की नींद खुलती है।

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स्वच्छ भारत अभियान का महिमा मंडन और चौतरफा चमक-दमक के साथ महात्मा गांधी की जयंती मनाना तो बहुत आसान है, लेकिन सफाई और संवेदना के उनके नैतिक और मानवीय फलसफे पर अमल करना बहुत कठिन है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजधानी से एकदम सटे बाराबंकी जिले का एक चौंकाने वाला पहलू सामने आया है।

कमाऊ शौचालय और यहा हाथों से मैला ढोने की है प्रथा

यहां पूरे डलई ब्लॉक की ग्राम सभा चिर्रा के कई घरों में आज भी कमाऊ शौचालय है और यहा हाथों से मैला ढोने की प्रथा चालू है। एक महिला इन लोगों टॉयलेट्स की सफाई के लिए आती है और अपने हाथों से टॉयलेट्स की सफाई करती हैं।

चिर्रा में रहने वाली बानो के घर पर जब हम पहुंचे तो देखा वहां आज भी लोग खुड्डी वाले शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक महिला आकर अपने हाथों से इनके घरों का मैला साफ करती है। बानो ने बताया कि उनके घर पर शौचालय। उसको साफ करने के लिए एक महिला आती है। वह लोग मजबूर हैं इसलिए सालों से ऐसे शौचालय का उनका परिवार इस्तेमाल कर रहा है।

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शौचालय के लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिली

उन्होंने बताया कि उन्हें शौचालय के लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिली। वहीं शमीम ने बताया कि लगभग 20 सालों से उनके घर में शौचालय नहीं है। जिसके चलते उनका परिवार ऐसा शौचालय इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। एक महिला मैला उठाने आती है। जिसे हम लोग मैला उठाने के लिए पैसे देते हैं। गांव के ही कुन्नू ने बताया कि उनके घर पर बीसों साल से ऐसा शैचालय बना है और एक महिला आकर हाथ से मैला उठाती है।

गांव के प्रधान ने मदद से किया इनकार

गांव के ही निवासी प्रमोद नाम के एक शख्स ने बताया कि उनके घर पर भी शौचालय नहीं है। शौचालय के लिए गांव के प्रधान से मांग की तो उन्होंने कोई मदद नहीं की। जिसके चलते घर के बाहर शौच के लिए जाने को मजबूर हैं। उनका परिवार बहुत गरीब है। वह लोग मजदूरी करके किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं।

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हाथ से मैला उठाने को हैं मजबूर

हाथ से मैला उठाने वाली महिला ने बताया कि उऩका परिवार बेहद गरीब है। एक लड़के और पति की भी मौत हो चुकी है। वह गरीबी के कारण हाथ से मैला उठाने को मजबूर है। उसके पास परिवार का गुजर-बसर करने के लिए कोई और दूसरा साधन नहीं है।

क्या कहा जिलाधिकारी ने...

वहां बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ने कहा कि मीडिया द्वारा यह मामला उनके संज्ञान में आया है। यह काफी संगीन प्रकरण है और पूरी तरह से गलत है। क्योंकि यह कानूनी अपराध है और उच्चतम न्यायालय इस संबंध में बहुत स्पष्ट निर्देश दिये हैं।

आज के युग में ऐसी किसी प्रथा का स्थान नहीं- DM

ऐसा करने वाले और करवाने वाले दोनों अपराधी हैं। डीएम ने कहा कि आज के युग में ऐसी किसी प्रथा का स्थान नहीं है। सरकार सभी पात्रों को शौचालय उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी और अगर इसमें जरा भी सच्चाई पाई जाती है। तो सभी दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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