मोदी ही नंबर वन नहीं, योगी भी हैं नंबर वन सीएम, जानिए कैसे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान कई रूपों में है। हिन्दू नेता, राष्ट्रवादी नेता, भाजपा नेता, चुनाव में स्टार प्रचारक...लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण सा दिखने वाला संत न सिर्फ राजनीति के अखाड़े अपितु सत्ता के गलियारों में भी अपनी धमक बनाए रखने में कैसे कामयाब हुआ। क्या है इसका राज।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान कई रूपों में है। हिन्दू नेता, राष्ट्रवादी नेता, भाजपा नेता, चुनाव में स्टार प्रचारक...लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण सा दिखने वाला संत न सिर्फ राजनीति के अखाड़े अपितु सत्ता के गलियारों में भी अपनी धमक बनाए रखने में कैसे कामयाब हुआ। क्या है इसका राज। कैसे यह साधारण सा दिखने वाला शख्स आज देश भर में न सिर्फ अपनी बल्कि उत्तर प्रदेश की भी पहचान बना चुका है। और एक नंबर के पायदान पर चढ़ने को तत्पर है।
आज से कुछ साल पहले तक योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर के रूप में पूजा जाता था। गौरवशाली अतीत वाली यह पीठ उत्तर प्रदेश या देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रतिष्ठित है।
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इस पीठ के पीठाधीश्वर के रूप में दुखी पीड़ित मानवता की सेवा की भावना ने ही योगी को राजनीति के अखाड़े में हिन्दू संस्कृति के रक्षक के रूप में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभायी।
योगी ने गोरखपुर से सांसद रहते हुए दरबार लगाकर आसपास के कई जनपदों के लोगों को न्याय दिलाने की परिपाटी की शुरुआत की।
मंदिर में संत और जनता के लिए कर्मवीर योद्धा! योगी अपने काम से जनता का अभिमान बन गए। और 2014 में जब नरेंद्र मोदी देश की जन भावनाओं के सागर रुपी रथ पर सवार होकर एक समृद्ध, मजबूत और विकसित राष्ट्र का ताना बाना बुनने में लगे थे।
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2017 के विधानसभा चुनाव हुए और निर्वाचित होकर आए देश के इस सबसे बड़े राज्य के जनप्रतिनिधियों ने एक नया इतिहास रच दिया। इन्होंने गोरखपुर के इस संत को अपना नेता चुन लिया और गेरुवा वस्त्रधारी ये युवा संन्यासी उत्तर प्रदेश में सियासत की बागडोर संभालने वाला देश का पहला मुख्यमंत्री बन गया।
योगी ने अपनी सरकार के गठन के मात्र 27 महीने के कार्यकाल को एक मिसाल के तौर पेश किया। योगी के अब तक के कार्यकाल को अगर कसौटी पर रखें तो एक बात तय है कि देश के सबसे बडे सूबे में कानून व्यवस्था को संभाल पाना उस समय बेहद कठिन चुनौती थी, लेकिन योगी सरकार का प्रदर्शन पिछली तमाम सरकारों से बेहतर रहा।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब 19 मार्च 2017 को जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी तो उस समय कहा गया कि इतने बडे सूबे को संभाल पाना उनके वश में नहीं होगा क्योंकि उनके पास कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं है परन्तु योगी आदित्यनाथ ने इसके विपरीत आलाधिकारियों पर जिस तरह से लगाम कसे रखी उसकी सराहना आम जनमानस लगातार कर रहा है।
योगी सरकार ने शांति एवं सुरक्षा के प्रति जीता जनता का विश्वास
योगी सरकार ने सबसे पहले शांति एवं सुरक्षा के प्रति जनता का विश्वास जीता। इससे लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा। इसके बाद उन्होंने अनवरत काम का रिकार्ड कायम करते हुए नौकरशाही ढीली हो चुकी चूलों को कस दिया। नौकरशाही के पटरी पर आने के साथ शुरू हुई युवाओं किसानों, उद्यमियों और अन्य आम नागरिकों को एक विकासपरक सकारात्मक परिवेश देने की मुहिम।
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ये हैं वे फैसले जो बनाते हैं नंबर वन यूपी के सीएम को नंबर वन
1. 86 लाख से अधिक किसानों के फसली ऋण मोचन का फैसला लेकर 36 हजार करोड का बैंक ऋण माफ किया।
2. ठेकों में ई टेण्डरिंग प्रणाली को लागू कर भ्रष्टाचार का किया सफाया।
3. एण्टी रोमियो स्कावयड गठित कर महिलाओें की सुरक्षा का दिया संदेश।
4. यूपी को उद्योग प्रदेश में बदलने की मुहिम परवान चढ़ी पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से पूंजी निवेश के प्रस्ताव तो आते थे लेकिन वास्तविक निवेश नहीं आ पाता था। योगी ने इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से 4.68 करोड के पूंजी निवेश के प्रस्तावों को वास्तविक निवेश में बदला। 29 जुलाई 2018 को ग्राउन्ड ब्रेकिंग सेरेमनी में 50 हजार करोड के निवेश आए। जिसकी सराहना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उपस्थित होकर की।
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5. मुख्यमंत्री कार्यालय के अन्तर्गत सिंगल विंडो क्लीयरेंस विभाग की स्थापना की।
6. मेक इन यूपी विभाग की स्थापना पर भी चल रहा है काम।
7. एक जनपद एक उत्पाद योजना परवान चढ़ी। और यूपी के उत्पाद विश्व के हर कोने में पहुंचने लगे।
8. सौर ऊर्जा खाद्य प्रसंस्करण विमानन निर्यात प्रोत्साहन स्टार्टअप और खनन नीति पर अमल शुरू किया।
9. प्रयागराज कुम्भ का सफल आयोजन कर विश्व में धाक जमाई।
10. सूबे में गड्ढामुक्त सडकों का जाल फैलाया।
11. बिजली कटौती मुक्त किया प्रदेश। गरीबों की सरकार होने का अहसास कराया।
12. गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को घर जाकर निशुल्क बिजली कनेक्शन दिया।
13. एक्सप्रेस-वे का व्यापक संजाल।
14. बुंदेलखण्ड को आगरा एक्सप्रेस वे तथा गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से जोडा जा रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे लखनऊ सुल्तानपुर रोड (ग्राम चांदसराय) से प्रारम्भ होकर बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़ होते हुए जनपद गाजीपुर (ग्राम हैदरिया में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 पर समाप्त होगा। एक्सप्रेस-वे की लम्बाई 40824 किमी है।
15. बुंदेलखण्ड क्षेत्र के औद्योगिक एवं आर्थिक विकास के लिए बुंदेलखण्ड लिक एक्सप्रेस-वे देने की तैयारी।
16. धार्मिक पर्यटन को उद्योग के रूप में किया विकसित। कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए गाजियाबाद में भवन निर्माण।
17. वाराणसी में वैदिक सांइस सेटर की स्थापना, यहां पर वेद के अनुसंधान के लिए कोर्स चलाए जाएंगे।
18. काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तार के लिए काशी विश्वनाथ विस्तारीकरण योजना पर काम।
19. अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम की परंपरा शुरू की।
20. संतकबीर नगर के मगहर में संतकबीर अकादमी की स्थापना की जा चुकी है।
21. मुख्यमंत्री सामुदायिक वानिकी योजना निजी खेत में मुख्यमंत्री फलोद्यान योजना।
22. निजी खेत की मेड पर मुख्यमंत्री कृषक धन योजना।
23. अयोध्या से जनकपुर नेपाल की बस सेवा का शुभारम्भ।
24. नागरिक उडडयन के क्षेत्र में भी 17 हवाई अडडो को जोडते हुए 27 एयररूट शुरू किए गए है।