Jhansi: जेल बना शिक्षा का मंदिर, कैदियों के बच्चों का जीवन संवार रहे प्राइमरी टीचर

Jhansi News: मां के साथ जेल में बंद बच्चे जब बाहर की दुनिया में पहुंचे, तो वह अशिक्षा से हीन-भावना का शिकार न हो, इसके लिए जेल प्रशासन ने अनूठी पहल की है।

Report :  B.K Kushwaha
Published By :  Shreya
Update:2022-04-02 19:33 IST

बच्चों को पढ़ाते शिक्षक (फोटो- न्यूजट्रैक)

Jhansi Latest News: हत्या, लूट, डकैती, दुष्कर्म जैसे अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों के बीच जिला कारागार में नौनिहालों के लिए शिक्षा का मंदिर भी संचालित हो रहा है। मां के साथ जेल में बंद बच्चे जब बाहर की दुनिया में पहुंचे, तो वह अशिक्षा से हीन-भावना का शिकार न हो, इसके लिए जेल प्रशासन ने अनूठी पहल की है। बच्चों को देश की संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानकारी दी जा रही है।

जेल का नाम सुनते ही लोगों में नकारात्मक विचार पैदा हो जाते हैं। अपराधियों के ठिकाने की वजह से जेल का जीवन बेहद खराब माना जाता है। अब जेल का माहौल बदलने के प्रयास होते दिख रहे हैं। इस बदलाव की बयार में जिला कारागार में कई नई तस्वीरें दिखाई देती हैं। आपराधिक मामलों में कई बार महिलाओं के साथ उनके छह साल तक के बच्चे भी रहते हैं। क्योंकि बाहर उनकी कोई देखभाल करने वाला नहीं होता है। ऐसे में मासूम बचपन भी जेल में कटता है। बाहर के बच्चों की तरह वह खेलकूद और पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।

कारागार प्रशासन ने अब बच्चों की मासूमियत को बचाने के लिए उन्हें घरेलू माहौल देने का प्रयास शुरु किया है। जिससे बेहतर शिक्षा और पालन पोषण हो सके। जेल में महिला बंदी हैं। इनमें उक्त महिलाओं के बच्चे हैं। इनमें स्कूल नहीं जा पाने वाले छोटे बच्चों को एक प्राइमरी टीचर द्वारा शिक्षण ग्रहण कराई जा रही हैं।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

जेल में बच्चों को पढ़ाते हैं प्राइमरी शिक्षक

आम तौर पर जिस तरह से बच्चे घरों से पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं। उसी तरह से जेल से भी हत्या और डकैती जैसे अपराधों को अंजाम देने वाली महिला बंदियों के बच्चों को भी पढ़ने के लिए बेसिक प्राइमरी पाठशाला पुलिस लाइन व जूनियर हाईस्कूल डीसी तालपुरा शिवाजी नगर में रजिस्ट्रेशन कराया गया है। इस साल कक्षा-5 में 09 बंदियों ने बेसिक प्राईमरी पाठशाला (ब्यायज) ने पुलिस लाइन झाँसी के माध्यम से परीक्षा में शामिल हुए हैं। इसी तरह कक्षा-8 में 09 बंदी छात्रों ने जूनियर हाई स्कूल डीसी तालपुरा शिवाजी नगर के माध्यम से परीक्षा में शामिल हुए हैं। सभी बच्चे कक्षा पांच व आठ की परीक्षा दे चुके हैं। अब उनके रिजल्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।

माहौल से महिला बंदी खुश

किस मां की ख्वाहिश नहीं होती कि उनका लाडला तरक्की करें। जिला कारागार में बच्चों की देखभाल से महिला बंदी तनावमुक्त रहती है। विभिन्न संस्थाओं के लोग भी खिलौने, कपड़े, फल समेत अन्य खाने पीने की पौष्टिक सामानों की इंतजाम करते हैं।

जेल में बंद कैदी भी शिक्षा को दे रहे प्राथमिकता

जेल में सजा काट रहे बंदियों में भी अब शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ रहा हैं। वह कारागार में रहते हुए अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जिससे कि जब उनका कारावास पूरा हो जाए तो वह बाहर आकर शिक्षा के माध्यम से रोजगार कर सकें। वरिष्ठ जेल अधीक्षक रंग बहादुर पटेल के अनुसार गत वर्ष 2021-22 में 45 बंदियों ने इग्नू के माध्यम से शिक्षा अध्ययन करने के लिए फॉर्म भरा हुआ था। इनमें वर्तमान में बीए प्रथम वर्ष के दो बंदी छात्र, बीए द्वितीय वर्ष में एक, बीए तृतीय वर्ष में छह बंदी, एमए द्वितीय वर्ष में एक छात्र परीक्षा दे रहे हैं। इसके अलावा सीएफएन में 33 और सीएचआर में दो छात्र शामिल है। 45 बंदियों में से दस बंदी जेल से रिहा हो चुके हैं। इस प्रकार 31 बंदी परीक्षा दे रहे हैं।

सजायाफ्ता दो बंदी दे रहे हैं बीए की परीक्षा

उन्होंने बताया है कि आजीवन कारावास से दंडित सिद्धदोष बंदी पप्पू कारागार में आने से पूर्व हाईस्कूल पास थे। कारागार में आने के पश्चात उनके द्वारा 12 वीं के समकक्ष इग्नू द्वारा संचालित बीपीपी पाठ्यकमर् करके वर्तमान में बीए द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे रहे हैं। इसी तरह आजीवन कारावास से दंडित सिद्धदोष बंदी ओमकार कारागार में आने से पूर्व हाईस्कूल पास थे एवं लेखपाल के पद पर कार्यरत थे। कारागार में आने के पश्चात उनके द्वारा 12वीं के समकक्ष इग्नू द्वारा संचालित बीपीपी पाठ्यक्रम करके वर्तमान में बीए तृतीय वर्ष की परीक्षा दे रहे हैं। इसी तरह महिला बंदी उमा भी बीए की परीक्षा दे रही हैं।

जेल में ही होती बंदियों की परीक्षा

जेल में बंद बंदियों की परीक्षा देल के अंदर ही कराई जाती है। जिसमें बंदियों की परीक्षाओं से लेकर अध्ययन तक का कार्य जेल में ही होता है। सबसे ज्यादा खास बात यह है कि जेल से जो भी बंदी परीक्षा में पास होते हैं, उन बंदियों की मार्कशीट में इग्नू के द्वारा जेल से पढ़ाई की है। इस बात को अंकित नहीं किया जाता, उनकी मार्कशीट पर सिर्फ इग्नू ही अंकित रहता है जिससे जब वह जेल से छूटने के बाद जॉब करें तो उन्हें जॉब मिल जाए। बताते चले कि जेल के माध्यम से ही हाईस्कूल, इंटर में भी बंदियों द्वारा परीक्षा दी जाती है। 

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