लखनऊ: उत्तर प्रदेश के इज्जतनगर रेल कारखाना के इंजीनियर राजेश पांडेय से अब सोनिया बन गए हैं। रेलवे के रिकॉर्ड में बुधवार को ऐसा एक नया इतिहास दर्ज हो गया। पहली बार ऐसा हुआ है कि लिंग परिवर्तन के आधार पर पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल में कार्यरत राजेश कुमार पांडेय अब सोनिया पांडेय के नाम से नौकरी करेंगी।
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करीब 26 महीने तक लड़ी लड़ाई-
हालांकि इसके पहले रेलवे यह मानने को तैयार ही नहीं था। सोनिया ने महिला होने के अधिकार की लड़ाई करीब 26 महीने तक लड़ी। मुख्य कारखाना प्रबंधक ने 4 मार्च को रेलवे के अभिलेखों में लिंग व नाम परिवर्तन का आदेश जारी कर दिया। इसकी जानकारी सोनिया को भी दे दी गई है।
6 सितंबर 2019 को राजेश बने सोनिया-
मुख्य कारखाना प्रबंधक ने अपने आदेश में कहा है कि लिंग परिवर्तन कराने वाले राजेश कुमार पांडेय को मुख्य कार्मिक अधिकारी के निर्देश पर दो अगस्त एवं 10 अगस्त 2019 को मेडिकल जांच के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक इज्जतनगर भेजा गया। जिसमें मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने 6 सितंबर 2019 को पुरुष से महिला के रूप में सर्जरी से लिंग परिवर्तन की पुष्टि की। लिहाजा राजेश पांडेय के आवेदन और मेडिकल जांच के आधार पर उनका नाम सोनिया पांडेय करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही उनके रेल सेवा अभिलेखों, मेडिकल कार्ड, परिचय पत्र आदि अभिलेखों में नाम बदल दिया गया है।
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2012 में हुई शादी, फिर मर्जी से दोनों हुए अलग-
राजेश से बनी सोनिया के पिता रेलवे में कार्यरत थे, पिता की मृत्यु के बाद राजेश की 19 फरवरी 2013 में मृतक आश्रित कोटे में नौकरी लगी थी। इज्जतनगर के मुख्य कारखाना प्रबंधक कार्यालय में कार्यरत तकनीकी ग्रेड-एक के पद पर तैनाती मिली। उनकी शादी 2012 में एक लड़की से हुई। शरीर में महिलाओं जैसे परिवर्तन के संकेत आने पर परेशान होकर राजेश ने लिंग परिवर्तन का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने पत्नी को समझाया और मर्जी से अलग हो गए। 10 दिसंबर 2017 को राजेश ने सर्जरी कराकर लिंग परिवर्तन करा लिया।
आसान नहीं था राजेश से सोनिया बनने तक का सफर-
इज्जतनगर रेल कारखाना के इंजीनियर राजेश पांडेय से सोनिया तो बन गए हैं, लेकिन राजेश से सोनिया बनने तक का उनका सफर बेहद कठिनाईओं भरा रहा। पहले परिवार को इसके लिए तैयार करना फिर रेलवे ये यह मानने को तैयार ही नहीं था। तीन साल की लंबी लड़ाई के बाद इज्जतनगर रेल कारखाना के टैक्नीशियन राजेश पांडेय उर्फ सोनिया ने लड़ाई को जीत लिया। अब पूर्वोत्तर रेल के सरकारी पन्नों में राजेश की जगह सोनिया नाम दर्ज किया गया है।
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