UP News: आजम खान की पत्नी तजीन फात्मा और बेटे-बेटी ने कोर्ट में किया सरेंडर, अंतरिम जमानत पर चल रही सुनवाई

UP News: आजम खान का परिवार जौहर यूनिवर्सिटी के लिए शत्रु संपत्ति के अभिलेख इधर-उधर करने के मामले में कोर्ट के समक्ष पेष हुए है। कोर्ट में उनकी अंतरिम जमानत पर सुनवाई हुई।;

Update:2025-03-20 18:13 IST
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Rampur News: समाजवादी पार्टी नेता आजम खान की पत्नी डॉ. तजीन फातमा, उनके बेटे अदीब आजम और बेटी निखत अखलाक गुरूवार को एमपी-एमएलए कोर्ट पहुंचे। आजम खान का परिवार जौहर यूनिवर्सिटी के लिए शत्रु संपत्ति के अभिलेख इधर-उधर करने के मामले में कोर्ट के समक्ष पेश हुए है। कोर्ट में उनकी अंतरिम जमानत पर सुनवाई हुई। इससे पूर्व बीते पांच मार्च को न्यायालय ने आजम खान की पत्नी समेत बेटे और बेटी को 20 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी। जिसकी समय-सीमा आज समाप्त हो गयी।

साल 2020 में जौहर यूनिवर्सिटी के अभिलेख के मामले में जिला प्रशासन के रिकॉर्ड रूम के सहायक अभिलेखपाल ने सिविल लाइंस थाने में जौहर ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। कोर्ट ने सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम को जमानत दे दी थी। उल्लेखनीय है कि इस मामले में सपा नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को रामपुर पुलिस ने क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन जब यह मामला शासन तक पहुंच तो फिर से जांच के आदेश दे दिए गए।

पुलिस अधीक्षक ने इस पूरे मामले की जांच अपराध शाखा के इंस्पेक्टर नवाब सिंह को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट में आजम खान की पत्नी डॉ. तजीन फातमा, उनके बेटे अदीब आजम और बेटी निखत अखलाक को आरोपी बनाया गया था। बीते पांच मार्च को तीनों ने कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर जमानत याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई होने के बाद 20 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी। गुरूवार को अंतरिम जमानत की नियत तिथि पूरी हो गयी थी। जिस पर कोर्ट में सुनवाई हो रही है। अब सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं।

यह है पूरा मामला

सिविल लाइंस थाने में 9 मई 2020 को रिकॉर्ड रूम के सहायक अभिलेखपाल मोहम्मद फरीद ने लखनऊ के पीरपुर हाउस में रहने वाले आफाक अहमद व अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 218, 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। यह पूरा मामला मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी परिसर के तहत आने वाली भूमि का है। यह भूमि इमामुद्दीन कुरैशी पुत्र बदरुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी। साल 1947- 48 में इमामुद्दीन कुरैशी भारत छोड़ कर पाकिस्तान में बस गये थे। जिसके बाद साल 2006 में यह भूमि शत्रु संपत्ति के रूप में भारत सरकार के कस्टोडियन विभाग के तहत दर्ज कर ली गई थी।

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