इलाज को आए मरीज की पिटाई, बेटी से गंदी हरकत में डॉक्टर पर FIR, महज 5000 के लिए हुआ बवाल

Sonbhadra News: पीड़िता का आरोप है कि उसने मांगी गई रकम कुछ देर बाद आने की बात कही तो विवाद शुरू कर दिया गया। आरोपों के मुताबिक डॉक्टर ने उससे और उसकी बेटी के साथ छिनाझपटी शुरू कर दी।

Update:2024-12-02 16:24 IST

इलाज को आए मरीज की पिटाई (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: जिला मुख्यालय क्षेत्र के चंडी तिराहे के पास, महज 5,000 के लिए हुई मारपीट, बवाल मामले में नया मोड़ आ गया है। उपचार के लिए लाए गए मरीज के साथ मारपीट और बाद में उसकी मौत होने के साथ ही, मारपीट के दौरान बेटी से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है। प्रकरण में कोर्ट के हस्तक्षेप पर राबटर्सगंज पुलिस ने आईपीसी की धाराओं और एससी-एसटी एक्ट के तहत डॉक्टर आलोक वर्मा (देवा चिकित्सालय) के खिलाफ केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

उपचार के लिए अन्यत्र ले जाने की बात कही तो अलग से पांच हजार मांगने का आरोप

घोरावल थाना क्षेत्र की रहने वाली महिला ने न्यायालय में दिए प्रार्थना पत्र के जरिए आरोप लगाया है कि गत जून माह में वह अपने पति का इलाज कराने के लिए राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र स्थित देवा चिकित्सालय पकरी, चंडी तिराहा के पास आई थी। आरोप है कि इलाज के एवज में डा. आलोक वर्मा के गूगल पे अकाउंट में 5,000 ट्रांसफर किए गए और 26,000 नगद दिया गया। बेड चार्ज, डाक्टर फीस अलग से दिया गया। खून की कमी बताते हुए ब्लड भी खरीदवाया गया। आरोपों के मुताबिक इलाज में लापरवाही और पति की हालत, इलाज के बाद भी गंभीर देखते हुए, 6 जून की दोपहर अन्यत्र ले जाने की बात कही तो उससे 5,000 और मांगे जाने लगे।

कुछ देर बाद पैसे दिए जाने की बात कहने पर मारपीट, छेड़छाड़ का आरोप

पीड़िता का आरोप है कि उसने मांगी गई रकम कुछ देर बाद आने की बात कही तो विवाद शुरू कर दिया गया। आरोपों के मुताबिक डॉक्टर ने उससे और उसकी बेटी के साथ छिनाझपटी शुरू कर दी। इससे उसके बेटी की साड़ी खुल गई और डॉक्टर की नियत खराब हो गई आरोप है कि डॉक्टर ने उसे गलत तरीके से छूना शुरु कर दिया। आरोप है कि मरीज के साथ भी मारपीट की गई। 112 नंबर डायल करने पर पुलिस पहुंची तब मामला शांत हुआ। मरीज को दूसरी जगह इलाज के लिए ले जाया गया। पीड़ित पक्ष का दावा है कि पहले से हालत गंभीर रहने और पिटाई के चलते स्थिति और बिगड़ गई जिससे बाद में कराए गए इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई।

मामला दर्ज न होने पर न्यायालय की ली शरण

पीड़िता के मुताबिक मौके पर पुलिस के पहुंचने के बावजूद, प्रकरण की एफआईआर दर्ज नहीं की गई। आरोपों के मुताबिक डॉक्टर के प्रभाव में आकर जबरिया सुलहनामे पर दस्तखत कराए गए। तब उसने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। प्रथम दृष्ट्या गंभीर प्रकरण पाते हुए, न्यायालय ने प्रभारी निरीक्षक राबटर्सगंज को मामला दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया। पुलिस के मुताबिक कोर्ट से मिले आदेश के क्रम में आरोपी डॉक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 354(क), 323, 504, 506 आईपीसी और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रकरण की छानबीन की जा रही है।

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