Sonbhadra News: बिजली की रिकार्ड खपत जारी, 10 सालों में 15000 मेगावाट बढ़ी खपत, तापमान में भी सात डिग्री की वृद्धि

Sonbhadra News: सोनभद्र सहित पूरे यूपी में भीषण तपिश के साथ ही बिजली की रिकार्ड खपत जारी है। जहां सोमवार की अर्धरात्रि बिजली की अधिकतम खपत लगभग 27000 मेगावाट दर्ज की गई।

Update:2023-06-20 23:09 IST
बिजली की रिकार्ड खपत जारी, 10 सालों में 15000 मेगावाट बढ़ी खपत: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: सोनभद्र सहित पूरे यूपी में भीषण तपिश के साथ ही बिजली की रिकार्ड खपत जारी है। जहां सोमवार की अर्धरात्रि बिजली की अधिकतम खपत लगभग 27000 मेगावाट दर्ज की गई। वहीं मंगलवार को आसमान में रह-रहकर बादलों की उमड़-घुमड़ के बावजूद 43 डिग्री के इर्द-गिर्द बना रहा अधिकतम पारा लोगों को बेचैन किए रहा। न्यूनतम पारे में भी कोई गिरावट सामने नहीं लगाई। लगातार तीसरे दिन न्यूनतम पारा 29.8 डिग्री दर्ज किया गया।

पर्यावरण विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता

आंकड़ों की बात करें तो 10 सालों में जहां, बिजली की खपत में 15000 मेगावाट तक की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। वहीं, तापमान में भी सात डिग्री तक की वृद्धि के सामने आए दावों ने, पर्यावरण विशेषज्ञों को भी बेचैन करके रख दिया है। यूपी के इतिहास में पहली बार जून माह में कई दिनों से बनी रिकार्ड बिजली खपत की स्थिति ने पावर सेक्टर में बेचैनी की स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी है। इस बात को अब सूबे के उर्जा मंत्री एके शर्मा भी स्वीकार करने लगे हैं।

उन्होंने खुद अपने ट्वीटर हैंडल से बढ़ती खपत और तापमान में बढ़ोत्तरी का आंकड़ा जारी किया और लोगों से बिजली के उपयोग में संयम की अपील की। आंकड़ों की बाते करें तो 2012-13 में 12048 मेगावाट रहने वाली बिजली खपत, 2023-24 आते-आते 27611 मेगावाट पर पहुंच चुकी है। इसी तरह 2023-24 में 40 डिग्री के इर्द-गिर्द रहने वाला अधिकतम तापमान 2023-24 का दौर आते-आते 47 डिग्री के करीब पहुंच चुका है।

तापमान वृद्धि में पेड़ों की अंधाधुंध कटान और प्रकृति का अनियंत्रित दोहन बड़ा कारण

एक तरफ पेड़ों की अंधाधुंध कटान तो दूसरी तरफ प्रकृति की अनियंत्रित दोहन को ग्लोबल वार्मिंग का बड़ा कारण तो बताया ही जा रहा है। बिजली के लिए कोयला जलाने की मात्रा में लगातार हो रही वृद्धि को भी तापमान में बढ़ोत्तरी का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। कई पर्यावरणविद और पर्यावरण वैज्ञानिक भी बदलते हालात के लिए प्रकृति के अनियंत्रित दोहन और पेड़ों की अंधाधुध कटान को जिम्मेदार मानते हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति का दोहन जारी रहेगा, तब तक वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के मंडराते खतरे से दो-चार होने की स्थिति बनी रहेगी।

दो इकाइयों से उत्पादन ठप होने से गहराया संकट

एक तरफ बिजली की रिकार्ड खपत, दूसरी तरफ उत्पादन पर चल रही इकाइयों की बंदी के सिलसिले ने पावर सेक्टर में तड़फड़ाहट की स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी है। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार की रात रोजा की 300 मेगावाट वाली पहली इकाई आयल लिकेज के चलते ठप हो गई। वहीं अनपरा की 210 मेगावाट की दूसरी इकाई को भी तकनीकी खामी के चलते मंगलवार को बंद कर देना पड़ा। अनपरा की 210 मेगावाट वाली पहली इकाई और ओबरा की 200 मेगावाट वाली दो इकाइयां पहले से बंद चल रही हैं। इसके चलते जहां बिजली की उपलब्धता प्रभावित हो रही है। वहीं राज्य सेक्टर को एनर्जी एक्सचेंज सेक्टर से महंगी बिजली खरीदकर हालात संभालने पड़ रहे हैं।

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