Sonbhadra News: सोन नदी में बालू खनन पर रोक, एनजीटी का ऐतिहासिक फैसला, यूपी सहित तीन राज्यों पर बताया जा रहा निर्देश का असर
Sonbhadra Illegal Sand Mining: सोनभद्र से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने सोन नदी में हो रहे बालू खनन को रोकने का निर्देश दिया है। यह निर्देश एनजीटी की तरफ से सोन नदी के जलीय पर्यावरण को बेहतर बनाने, सोन घड़ियाल सेंच्युरी-वाइल्डलाइफ एरिया के संरक्षण और इससे जुड़े जीवों की सुरक्षा को लेकर उपचारात्मक कदम उठाने तक प्रभावी रहेगा।
Sonbhadra News: मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकलकर यूपी के सोनभद्र होते हुए बिहार के पटना में जाकर गंगा से मिलने वाली सोन नदी को लेकर एनजीटी ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सोनभद्र से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने सोन नदी में हो रहे बालू खनन को रोकने का निर्देश दिया है। यह निर्देश एनजीटी की तरफ से सोन नदी के जलीय पर्यावरण को बेहतर बनाने, सोन घड़ियाल सेंच्युरी-वाइल्डलाइफ एरिया के संरक्षण और इससे जुड़े जीवों की सुरक्षा को लेकर उपचारात्मक कदम उठाने तक प्रभावी रहेगा। इससे जुड़ी पूरी कार्रवाई तीन महीने के भीतर पूर्ण कर लेने के निर्देश दिए गए हैं। उपचारात्मक/सुधारात्मक कदम उठाने के बाद ही खनन गतिविधि शुरू करने को लेकर निर्णय लेने के लिए कहा गया है।
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निर्देश में, यूपी-बिहार के पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सोन नदी में खनन के चलते हुए पर्यावरणीय नुकसान को लेकर तीन माह के भीतर उपचारात्मक सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
मामले को लेकर एनजीटी की तरफ से एक संयुक्त समिति का भी गठन किया गया है। समिति में यूपी-बिहार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय प्रतिनिधियों के अलावा, यूपी के पर्यावरण और वन विभाग, यूपीपीसीबी, एसईआईएए यूपी और डीएम सोनभद्र को शामिल किया गया है।
समिति को यूपी-बिहार से जुड़े सोन (कैमूर) वन्य जीव अभयारण्य एवं घड़ियाल सेंचुरी आदि की एरिया/संरक्षा आदि को लेकर तीन माह के भीतर कार्रवाई पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
अभयारण्य के वन्य जीवों और सोन नदी में घड़ियाल आदि की सुरक्षा के लिए
तीन महीने के भीतर आवश्यक, उपचारात्मक और उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया गया है।
साथ ही सोन नदी से जुड़े सभी खनन की पुन: समीक्षा करने के लिए कहा गया है। निर्देश दिया गया है कि सोन नदी की तलहटी में खनन गतिविधियों के संचालन के लिए स्वीकृत पट्टों की गतिविधियों को लेकर तीन महीने के भीतर कानून के अनुसार निर्णय/कार्रवाई सुनिश्चित किया जाए। दिए गए निर्देश के अनुसार निर्णय लिए जाने तक, सोन नदी में आगे कोई खनन नहीं किए जाने का निर्देश दिया गया है। ज़िला मजिस्ट्रेट सोनभद्र और यूपीपीसीबी को निर्देश के अनुपालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीएम चंद्र विजय सिंह ने बताया कि एनजीटी के निर्देश का अध्ययन किया जा रहा है। जो भी निर्देश दिए गए हैं, उनके मुताबिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। वहीं, जिस याचिका के क्रम में एनजीटी की तरफ से यह बड़ा निर्णय पारित किया गया है, उस याचिका को दाखिल करने वाले अधिवक्ता अभिषेक कुमार चौबे का कहना है कि एनजीटी का यह फैसला ऐतिहासिक है। सोन नदी में बालू खनन पर लगाई गई रोक के फैसले का असर सिर्फ यूपी के सोनभद्र ही नहीं सीमावर्ती बिहार और मध्य प्रदेश में भी देखने को मिलेगा। बता दें कि सोनभद्र में ई-टेंडरिंग व्यवस्था के जरिए जहां कई खनन पट्टे स्वीकृत किए गए हैं। वहीं, बिहार और मध्य प्रदेश के एरिया में भी सोन नदी में कई बालू खनन पट्टे संचालित है। जलीय, पर्यावरण के लिहाज से जहां इस फैसले को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वहीं, यह निर्णय बालू की कीमतों में तेजी से इजाफा का भी कारण बना नजर आ सकता है।