Sonbhadra News: दो जून 1991.. जब बरसी थी पुलिस की गोलियां और नौ की हो गई थी मौत.., 32 वर्ष पूर्व के डाला गोलीकांड को...
Sonbhadra News: शहीदों के परिजनों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। प्रतीकात्मक विरोध के रूप में वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर सांकेतिक चक्का जाम कर घटना के प्रति रोष जताया और दो मिनट का मौन रख छा़त्र सहित सभी नौ शहीदों को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की।
Sonbhadra News: दो जून 1991, दोपहर बाद 3.20 बजे का वक्त, जब कामगार डाला सीमेंट फैक्ट्री को निजी हाथों में सौंंपने का विरोध कर रहे थे। उसी समय पुलिस की तरफ से बरसाई गई गोलियों ने एक छात्र सहित नौ की जिंदगी खत्म कर दी। तब से अब तक डाला गोलीकांड के रूप में सामने आया पुलिस और तत्कालीन मुलायम सरकार का बर्बर चेहरा जहां लोगों के जेहन में ताजा है। प्रत्येक वर्ष, घटना की तिथि (दो जून) को हजारों लोग डाला के हाइवे स्थित घटनास्थल पर पहुंचते हैं और अश्रुपूरित आंखों से शहीद कामगारों को याद कर, उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराते हैं।
इस बार भी पूर्व की भांति, जैसे ही घड़ी की सुइयां दोपहर बाद 3.20 बजे पर पहुंची, वैसे ही सैकड़ों लोग डाला सीमेंट फैक्ट्री गेट पर जमा हो गए। शहीदों के परिजनों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। प्रतीकात्मक विरोध के रूप में वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर सांकेतिक चक्का जाम कर घटना के प्रति रोष जताया और दो मिनट का मौन रख छा़त्र सहित सभी नौ शहीदों को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की। डाला तेरा यह बलिदान, याद करेगा हिंदुस्तान.. के गगनभेदी नारे लगाए गए। शहीद स्मारक पर माल्यार्पण कर और पुष्प अर्पित कर शहीदों को नमन किया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नीरव ने किया। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर प्रभारी निरीक्षक चोपन विश्वनाथ प्रताप सिंह पुलिस बल और पीएसी के साथ मौके पर बने रहे।
आयोजित किए गए विविध आयोजन
इससे पूर्व शहीद छात्र राकेश तिवारी के परिवारीजनों की तरफ से पुण्यात्मा की शांति के लिए पूजन-अर्चन किया गया। दुर्गा सप्तशती पाठ, हरिकीर्तन और सुंदरकांड पाठ का आयोजन हुआ। सुबह से ही समाजसेवी गायत्री त्रिपाठी, संतोष कुमार बबलू, सभासद अविनीश पांडेय, बलवीर, नीतेश व्यवस्था में जुटे रहे। इस दौरान राहगीरों को ठंडा शर्बत पिलाया गया। सदर विधायक भूपेश चैबे, अल्ट्राटेक सीमेंट यूनिट के मानव संसाधन प्रमुख पंकज पोद्दार, एडमिन हेड ऋषिराज सिंह शेखावत, शहीद कार्यक्रम संयोजक ओमप्रकाश तिवारी, डाला नगर पंचायत अध्यक्ष फुलवंती देवी, कांग्रेस नेता राजेश द्विवेदी, राजू मिश्रा, श्रमिक नेता उत्तम मिश्रा, राजू त्रिपाठी, सजावल पाठक,राजेश कुमार पटेल, अविनाश कुमार रजत, अहमद अली, महेश सोनी, जूली तिवारी, सपना ,विजय, सत्य प्रकाश तिवारी, इंदू शर्मा आदि मौजूद रहे।
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वह घटनाक्रम, जिसे याद करते ही लोगों की आंखों में दिखने लगते हैं आंसूः
डाला गोलीकांड एक ऐसी घटना, जिसे याद करते ही लोगों की आंखें में आंसू और जेहन में गुस्से की तस्वीर बनने लगती है। वर्ष 1991 में यूपी सीमेंट निगम की डाला, चुनार, चुर्क सीमेंट फैक्ट्री को प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने डालमिया ग्रुप को बेच दिया था। इसको लेकर दो जून 1991 को डाला में कामगारों का एक समूह विरोध दर्ज करा रहा था। कहा जाता है कि अचानक से मुलायम सिंह यादव के यहां से फरमान आया और विरोध जता रही भीड़ पर गोलियां बरसने लगीं। इसके चलते पूरे इलाके में भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।
कुछ देर बाद जब गोलियां बरसनी बंद हुई, तब तक एक छात्र सहित नौ की मौत हो चुकी थी। वहीं दर्जनों लोग घायल हो गए थे। हालत यह थी कि अंतिम संस्कार जैसे कार्यक्रम में भी लोगों को पहुंचने पर बंदिश लगा दी गई थी। तब से ेअब तक प्रतिवर्ष गोलीकांड के चश्मदीद, शहीदों के परिजन और उनसे जुड़े लोग घटनास्थल पर पहुंचते हैं और प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के साथ ही, नम आंखों से शहीद हुए रामप्यारे कुशवाहा ,शैलेंद्र कुमार राय, सुरेंद्र दुबे, बालगोविंद, रामधारी , रामनरेश राम , नंद कुमार गुप्ता , दीनानाथ, छात्र राकेश उर्फ जयप्रकाश त्रिपाठी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।