Gorakhpur Festival : सोनू निगम से 40 लाख वापस मांग फंसे अफसर

Update:2020-02-21 12:18 IST

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर। सब जानते हैं कि अगर किसी कलाकार का किसी कार्यक्रम के लिए एग्रीमेंट होता है तो उसे एडवांस में कुछ रकम देनी होती है। एडवांस सभी लेते हैं, भले ही कलाकार छोटा हो या बड़ा। कुछ कलाकार तो कार्यक्रम से पहले ही पूरा पेमेंट ले लेते हैं। कार्यक्रम यदि कलाकार की वजह से रद होता है तो उसे रकम वापस करनी होती है, लेकिन अगर आयोजकों के कारण कार्यक्रम में कोई फेरबदल होता है तो कलाकार को किसी प्रकार की धनवापसी के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। पर गोरखपुर महोत्सव के आयोजक ऐसे ही मामले में उल्टी गंगा बहा रहे हैं। गोरखपुर महोत्सव के आयोजकों ने मशहूर गायक सोनू निगम को 40 लाख से अधिक रकम की वापसी को लेकर नोटिस भेजा है। उधर, सोनू निगम किसी भी तरह से रकम वापसी को तैयार नहीं दिख रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप के बीच विवाद तो बढ़ ही रहा है, आयोजकों पर गम्भीर सवाल भी उठ रहे हैं। अब विरोधी खर्च को लेकर आरटीआई दाखिल कर रहे हैं।'

 

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गोरखपुर महोत्सव में 13 जनवरी को प्रस्तुति देने के लिए मशहूर गायक सोनू निगम को आमंत्रित किया गया था। महीने भर पहले की बातचीत के बाद सोनू निगम को एडवांस में करीब 40 लाख रुपये आरटीजीएस के जरिए अदा भी कर दिये गए। रकम मिलने के बाद सोनू निगम ने वीडियो संदेश भेजकर बता दिया था कि 'गोरखनाथ की तपोभूमि पर वह पहली बार गोरखपुर पहुंच रहे हैं।' कार्यक्रम में धमाल का दावा करने वाले सोनू निगम ने गोरखपुर के लोगों से कार्यक्रम में पहुंचने की अपील भी की थी। लेकिन कार्यक्रम के एक दिन पहले राष्ट्रीय शोक के कारण 13 जनवरी को प्रस्तावित सोनू निगम नाइट्स स्थगित कर दी गई। आयोजकों ने सोनू निगम से 14 जनवरी को कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अनुरोध किया। सोनू की पीआर कंपनी के प्रतिनिधि ने 14 को भुवनेश्वर में कार्यक्रम की बात कहते हुए असमर्थता जताई। एक रास्ता भी सुझाया कि यदि आयोजक चार्टर्ड विमान का इंतजाम कर दें तो वह प्रस्तुति देने को तैयार हैं। आयोजकों ने चार्टर्ड प्लेन के खर्च की जानकारी ली तो बजट 15 लाख रुपये के आसपास बताया गया। नतीजतन, समिति ने हाथ खींच लिए और सोनू निगम का कार्यक्रम रद्द करते हुए गायक केके को आमंत्रित कर दिया। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक गायक और संगीतकार केके को 18 लाख रुपये का भुगतान किया गया। महोत्सव में हुए करोड़ों के खर्च को लेकर कई लोगों ने आरटीआई से सूचना मांगी है। महोत्सव समिति को समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे एक-एक रुपये का हिसाब दे। अनुमान के मुताबिक, महोत्सव में 15 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च हुआ है। यह रकम कहां खर्च हुई है, इसका ब्योरा सामने आया तो सवाल उठना तय हैं। दरअसल, प्रशासनिक अफसरों ने विभिन्न व्यापारिक संगठनों, उद्यमियों से करोड़ों रुपये चंदा के रूप में लिया है। इसी क्रम में दो सौ से अधिक स्टॉल से लाखों रुपये की कमाई हुई है। जलेबी के एक छोटे स्टॉल से 10 से 15 हजार रुपये का किराया वसूला गया है।

अफसरों की मंशा पर सवाल

सोनू निगम को नोटिस मामले के बाद अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। पूरे प्रकरण को लेकर तरह-तरह की बातें उठ रही हैं। कोई इस बात पर सवाल उठा रहा है कि सोनू निगम का पारिश्रमिक 40 लाख से अधिक है क्या। यदि इतनी बड़ी रकम दांव पर थी तो कार्यक्रम का बीमा क्यों नहीं कराया गया। सोनू निगम को कितनी रकम आरटीजीएस हुई है, इसे लेकर हर कोई चुप्पी साधे हुए हैं। सोनू निगम खुद भी रकम के बारे में कोई खुलासा नहीं कर रहे हैं। वह सिर्फ आधे या पूरे भुगतान की बात कर रहे हैं। प्रशासनिक अफसर भी रकम को लेकर जुबान नहीं खोल रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश महासचिव विश्वविजय सिंह का कहना है कि प्रशासन किस मजबूरी में नोटिस भेज रहा है, इसका खुलासा होना चाहिए। समिति के लोगों को महोत्सव पर हुए एक-एक रुपये के खर्च को सार्वजनिक करना चाहिए। ताकि आम जनता भी जान सके कि कलाकारों पर कितना खर्च हो गया।

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राष्ट्रीय शोक के कारण रद हुआ था सोनू का कार्यक्रम

12 जनवरी को ओमान के सुल्तान काबुश बिन सईद अल सईद का निधन हो गया, जिसके चलते राज्य में तीन दिन का शोक घोषित कर दिया गया। ऐसे में समिति को तीसरे दिन का कार्यक्रम स्थगित करते हुए उसे 15 जनवरी को आयोजित करने का फैसला लेना पड़ा। सोनू से जब 15 जनवरी के कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए आने से इनकार कर दिया। नतीजतन समिति को आनन-फानन सिंगर केके को बुलाना पड़ा। पिछले एक महीने से प्रशासनिक अधिकारी सोनू निगम को दर्जनों ई-मेल और फोन से संपर्क कर एडवांस रकम वापस करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सोनू निगम की तरफ से यह कहकर रकम वापसी को इनकार किया जा रहा है कि वह निश्चित तिथि पर आने को तैयार थे। ऐसे में उनकी कोई गलती नहीं। जब समिति ने इसे लेकर दबाव बनाया तो वह आधी रकम से ज्यादा देने को तैयार नहीं हो रहे। ऐसे में समिति ने उन्हें नोटिस जारी किया है। कमिश्नर और महोत्सव समिति के अध्यक्ष जयंत नार्लिंकर का कहना है कि राष्ट्रीय शोक के कारण कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था। ऐसे में सोनू निगम को फीस की रकम वापस करनी ही पड़ेगी। फिलहाल उन्हें नोटिस दी जा रही है। जरूरत पड़ी तो विधिक कार्यवाही भी की जाएगी।

नोटिस को लेकर दिख रहा मतभेद

गोरखपुर महोत्सव समिति की तरफ से सोनू निगम को जारी नोटिस को लेकर लोगों में मतभेद दिख रहा है। कुछ कलाकार सोनू निगम के पक्ष में नजर आ रहे हैं तो कुछ नैतिकता की बात कहते हुए रकम वापसी की बात कह रहे हैं। आयोजन समिति से जुड़े लोकगायक राकेश श्रीवास्तव का कहना है कि कार्यक्रम आयोजन समिति की तरफ से स्थगित नहीं हुआ था। राष्ट्रीय शोक की स्थिति में सोनू निगम को भी समिति की मजबूरी समझनी चाहिए। 40 से 50 लाख की रकम कम नहीं होती है। वहीं लोक गायिका शिप्रा दलाल का कहना है कि आयोजकों ने कार्यक्रम स्थगित किया है। ऐसे में रकम वापसी का औचित्य नहीं बनता है। सोनू निगम जैसे बड़े कलाकारों के साथ जो टीम होती है, उनके सदस्यों को भी मोटा पेमेंट होता है। ऐसे कार्यक्रम रद होने पर रकम वापसी होने लगे तो अन्य छोटे कलाकार बर्बाद हो जाएंगे। बड़े कार्यक्रमों का बीमा होता है। इस कार्यक्रम का बीमा था या नहीं आयोजकों को बताना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष शुक्ला कहते हैं कि अमूमन ऐसे मामलों में कलाकार पर रकम वापसी का दबाव नहीं बनाया जा सकता है। मामला कोर्ट में पहुंचा भी तब भी गोरखपुर महोत्सव समिति को राहत मिलना मुश्किल ही है।

सोनू ने कहा, आखिर कलाकार कितना सहे

प्रशासन की नोटिसों से आहत सोनू निगम का कहना है कि गोरखनाथ की धरती पर कार्यक्रम के लिए मैने हरसंभव प्रयास किया। मैने खुद के पैसे से हवाई जहाज का टिकट लिया। जितनी रकम मुझे मिली है, उसका आधा लौटाने को तैयार हूं। इस बात पर भी राजी हूं कि इसी रकम में मैं अगले वर्ष गोरखपुर महोत्सव में कार्यक्रम कर दूंगा। जो रकम प्रशासन से मिली है वह सिर्फ मेरे लिए नहीं है। उस रकम से संगीतकार, इंजीनियर और तकनीशियन को भी भुगतान होता है। सोनू कहते हैं कि मुझे प्रशासन के तेवर को देख कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कार्यक्रम को मैंने रद नहीं किया। फिर रकम वापसी का मतलब समझ से परे है। प्रशासन किस बात का रोना रो रहा है, समझ में नहीं आ रहा है। समझ में नहीं आ रहा है कि एक कलाकार आखिर कितना सहे। कलाकार होना क्या गुनाह है?

 

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