इलाहबाद हाईकोर्ट की आज की बड़ी ख़बरें
कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन लोगों ने रिहायशी एरिया में स्थित व्यावसायिक भवनों में पार्किंग नही दी है, उन्हें नोटिस दी जाए और ऐसे भवनों को सील किया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार व जिलाअधिकारी को यह भी आदेश दिया है 2001 के मास्टर प्लान के तहत पार्क व खुला मैदान के रूप में घोषित भूमि पर किसी प्रकार की भवन निर्माण की अनुमति न दें।
पार्किंग व्यवस्था न होने पर सील करें व्यावसायिक संस्थान
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि जब तक मास्टर प्लान के तहत जोनल डेवलपमेंट प्लान तैयार नहीं हो जाता, तब तक रिहायशी एरिया में किसी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति न दी जाए। कोर्ट ने कहा कि नया जोनल प्लान तैयार होने तक रिहायशी एरिया में व्यवसायिक भवनों के नक्शे पास न किये जाएं।
मैदान के रूप में घोषित भूमि पर किसी प्रकार की भवन निर्माण की अनुमति न दें
कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन लोगों ने रिहायशी एरिया में स्थित व्यावसायिक भवनों में पार्किंग नही दी है, उन्हें नोटिस दी जाए और ऐसे भवनों को सील किया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार व जिलाअधिकारी को यह भी आदेश दिया है 2001 के मास्टर प्लान के तहत पार्क व खुला मैदान के रूप में घोषित भूमि पर किसी प्रकार की भवन निर्माण की अनुमति न दें। यदि निर्माण हुआ है तो उसे हटाकर 6 माह में पार्क बहाल किया जाय।
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यह आदेश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राजेंद्र प्रसाद अरोड़ा व दो अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में 50 लाख 62 हजार 774 की टैक्स वसूली को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने राज्य सरकार को याची के प्रत्यावेदन को निर्णीत करने का निर्देश दिया है।
लाल बहादुर शास्त्री मार्ग इलाहाबाद नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड घोषित कर दिया गया था। जिसका बैनामा भी 11 दिसंबर 2009 को हो गया था। इस पर कंपाउंडिंग के लिए 2161086 रूपये और इंपैक्ट फीस के लिए 3304148 रुपए की वसूली नोटिस जारी की थी जिसे चुनौती दी गई। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कांत व एस.के. गर्ग तथा पीडीए की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बहस की।
कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद शहर में लागू मास्टर प्लान के तहत जोनल प्लान पर प्राधिकरण पुनर्विचार करे। कोर्ट ने कहा कि पूरे विश्व में सबसे अधिक प्रदूषित 10 शहरों में प्रयागराज भी शामिल है और मास्टर प्लान के विपरीत रिहायशी एरिया में मनमाने तौर पर व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति दी जा रही है। जो जन स्वास्थ्य के लिए घातक है।
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लोगों को स्वस्थ वायु, स्वच्छ पर्यावरण एवं स्वस्थ व गरिमा पूर्ण जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा है कि नजूल भूमि पर बहुत से पार्क और खुले मैदानों को फ्री होल्ड कर वहां बिल्डिंग बनाई गई है। पार्किंग न होने से शहर की यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
लोग वाहन सड़क पर बेतरतीब रख कर यातायात की समस्या खड़ी कर रहे हैं। प्राधिकरण ने अपनी आंखें बंद कर रखी है। कोर्ट ने कहा है कि धारा 8 व 9के तहत नए सिरे से शहर का जोनल प्लान बनाया जाए और जब तक प्लान नहीं बन जाता, तब तक नक्शा पास न किया जाए।
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अधिशाशी अधिकारी को आदेश पालन का निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट नगर पालिका परिषद जौनपुर के अधिशासी अधिकारी राजकिशोर प्रसाद को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी करार दिया है ।और कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के लिए कोर्ट ने उन्हें एक माह का अतिरिक्त समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी ने परिषद में क्लर्क रहे वीरेंद्र कुमार सिंह की अवमानना याचिका पर दिया है।
याची अधिवक्ता का कहना है कि याची को कई महीनों का बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इस वेतन भुगतान को लेकर उसने याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने विपक्षी को याची के प्रत्यावेदन को 3 माह में निर्णीत करने का आदेश दिया था। इसकी जानकारी होने के बावजूद विपक्षी आदेश का पालन नहीं किया गया। जिस पर यह अवमानना याचिका दायर की गई। कोर्ट ने दोनों पक्षो को सुनने के बाद एक मौका और दिया है और कहा है कि 1 माह के भीतर आदेश का पालन किया जाए।
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सिनेमा घर से मनोरंजन कर वसूली पर रोक
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विंध्यवासिनी चित्र मंदिर चंदौली के खिलाफ जारी 21 लाख 29 हजार 726रुपये के मनोरंजन कर की वसूली पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के आलोक में दोनों पक्षों को सुनकर 3 माह में निर्णय लेने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले लेती, तब तक याची के विरुद्ध जारी वसूली कार्यवाही के तहत उत्पीड़न न किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने चंदौली के राजेंद्र प्रताप सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
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अवधि पूरी होने की तिथि से उससे मनोरंजन कर वसूला जा रहा है
याची अधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार के 21 जुलाई 1986 के शासनादेश के तहत प्रोत्साहन योजना लागू की। जिसके तहत सिनेमा भवन का निर्माण कराया गया। सरकार के अनुदान से निर्माण किया गया। सिनेमा भवन समय के भीतर निर्माण नहीं हो सका।
निर्माण में देरी हुई। इसके बावजूद समय अवधि पूरी होने की तिथि से उससे मनोरंजन कर वसूला जा रहा है। जब कि एक निश्चित अवधि के लिए कर वसूली न किये जाने की योजना है। सरकार के शासनादेश के उद्देश्यों को विपरीत वसूली की जा रही है। कोर्ट ने कहा जब सरकार ने चलचित्र नियमावली के तहत सिनेमाघरों को प्रोत्साहन की योजना तैयार की तो उत्पीड़न कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
पश्चिमी यूपी में बेंच के बयान के खिलाफ बार काउंसिल के चेयरमैन का वकीलों ने पुतला फूंका
प्रयागराज: आज सोमवार उच्च न्यायालय के गेट नंबर तीन पर अभिषेक शुक्ला के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन श्री हरिशंकर सिंह का पुतला फूंका गया । तथा बार काउंसिल के सदस्यों से यह अनुरोध भी किया गया कि हरिशंकर सिंह को तत्काल प्रभाव से अध्यक्ष पद से निष्कासित किया जाए ।
बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की बेंच बनाने के समर्थन हेतु दिए गए बयान के विरोध में यह आंदोलन किया गया ।
अभिषेक शुक्ला ने यह चेतावनी भी दी है कि यदि हरिशंकर सिंह के विरुद्ध बार काउंसिल अभिलंब दंडात्मक कार्यवाही नहीं करता तो मजबूर होकर उन्हें आमरण अनशन करना पड़ेगा । जिसका समर्थन बार एसोसिएशन के सम्मानित सदस्यों द्वारा किया गया ।
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इस पुतला दहन में अभिषेक शुक्ला, अजीत कुमार यादव , विजय सिंह सेंगर उपाध्यक्ष , प्रियदर्शी त्रिपाठी संयुक्त सचिव प्रशासन, आशुतोष पांडे संयुक्त सचिव लाइब्रेरी, सर्वेश दुबे संयुक्त सचिव , कार्यकारिणी सदस्य संजीव कुमार सिंह, पूर्व संयुक्त सचिव लाइब्रेरी राहुल सिंह, राजेंद्र सिंह, पुनीत शुक्ला, ओमानंद, मुकुल पांडे, अजय यादव, हैप्पी सिंह, संजय दुबे सहित भारी संख्या में अधिवक्ता गण उपस्थित रहे । बार काउंसिल उपाध्यक्ष प्रशांत सिंह अटल लखनऊ बेंच से भी उपस्थित रहे ।