विजयादशमी में योगी का ऐसा रूप: CM नहीं होंगे दण्डाधिकारी, जानें ये परम्परा...

नाथ संप्रदाय में पात्र पूजन की परम्परा पौराणिक है। यह परम्परा आंतरिक अनुशासन बनाए रखने का माध्यम है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी पीठ के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निष्ठा से निवर्हन करते हैं।

Update: 2020-10-24 17:24 GMT

गोरखपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विजयादशमी को नाथ संप्रदाय की परम्परा का निवर्हन करेंगे। मुख्यमंत्री रविवार को न्यायिक दण्डाधिकारी की भूमिका में दिखेंगे। विजयादशमी की रात होने वाली पात्र पूजा में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय के संतों की अदालत में संतों के मध्य के विवाद सुलझाएंगे। इसके पूर्व पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित कर नाथ योगी एवं संत उनका पूजन करेंगे।

न्यायिक दण्डाधिकारी की भूमिका में दिखेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ

नाथ संप्रदाय में पात्र पूजन की परम्परा पौराणिक है। यह परम्परा आंतरिक अनुशासन बनाए रखने का माध्यम है। गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी पीठ के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निष्ठा से निवर्हन करते हैं।

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नाथ संप्रदाय की ये परम्परा, सालों से निभा रहे योगी

इसी परम्परा के अंतर्गत विजयादशमी के दिन ही श्री गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं। नाथ संप्रदाय से जुड़े सभी साधु-संत और पुजारी मिल कर मुख्य मंदिर में उनकी पात्र पूजा कर दक्षिणा अर्पित करते हैं।

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संतों की अदालत में संतों के मध्य के विवाद सुलझाएंगे योगी

इस पूजा में सिर्फ उन्हें ही प्रवेश मिलता है जिन्होंने नाथ संप्रदाय के किसी योगी से दीक्षा ग्रहण की हो। उन्हें यहां अपने संप्रदाय एवं दीक्षा देने वाले गुरु की घोषणा करनी होती है। इस परम्परागत कार्यक्रम में शामिल होने के बाद ही मंदिर का महंत मंदिर परिसर से बाहर जाते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता दक्षिणा स्वीकार करते हैं लेकिन अगले दिन दक्षिणा साधुओं को प्रसाद स्वरूप लौटा दी जाती है।

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संतों के खिलाफ शिकायतों का निपटारा करेंगे गोरक्ष्रपीठाधीश्वर योगी

नाथ संप्रदाय के सभी संत जिनके खिलाफ कोई शिकायत रहती है, पात्र देवता के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर उनकी सुनवाई करते हैं। प्रतिष्ठा है कि पात्र देवता के समक्ष कोई झूठ नहीं बोलता है। यदि वह उनके समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर लेता है, या फिर नाथ परम्परा के विरुद्ध किसी गतिविधि में संलिप्त मिलता है, पात्र देवता सजा एवं माफी का निर्णय लेते हैं।

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