यूपी में सरकार सख्त, पराली जलाने पर होगी कड़ी कार्रवाई: सूर्य प्रताप शाही

पराली जलाये जाने से रोकने के लिये कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीन के साथ स्ट्राॅ रीपर विद बाइंडर का प्रयोग करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही फसल अवशेष जलाये जाने पर 2500 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक का अर्थदण्ड लगाये जाने और पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध एफआईआर भी दर्ज कराये जाने का प्राविधान किया गया है।

Update:2019-11-05 21:34 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके वायु गुणवत्ता सूचकांक से जहां प्रभावित जिलों के लोग बेहाल है तो वही यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि प्रदेश सरकार किसानों के फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास और सख्त कदम उठा रही है।

फसल अवशेष जलाये जाने पर 2500 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना

उन्होंने कहा कि पराली जलाये जाने से रोकने के लिये कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीन के साथ स्ट्राॅ रीपर विद बाइंडर का प्रयोग करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही फसल अवशेष जलाये जाने पर 2500 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक का अर्थदण्ड लगाये जाने और पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध एफआईआर भी दर्ज कराये जाने का प्राविधान किया गया है। उन्होंने दिल्ली में हो रहे प्रदूषण के लिए यूपी में पराली जलाये जाने की बात से इनकार किया।

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शाही ने मंगलवार को बताया कि मुख्य सचिव स्तर पर फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक मानीटरिंग सेल का भी गठन किया गया है। इस मानीटरिंग सेल में सभी जिलों से इस सम्बन्ध में रोजाना की कार्यवाही की रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है। उन्होंने बताया कि सभी जिलाधिकारियों को भी जिला स्तर पर भी एक मानीटरिंग सेल गठित करने के निर्देश जारी किये गये हैं, जिसमें सभी विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।

मोबाइल स्क्वायड धान की कटाई से लेकर गेहूं की बुवाई होने तक लगातार क्षेत्र में भ्रमण करेगा

इस सेल का दायित्व होगा कि जनपद में फसल अवशेष को जलाये जाने की घटनाओं को रोकने हेतु प्रभावी कदम उठायें। इसके अलावा हर जिले में तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक मोबाइल स्क्वायड का गठन किया गया है। यह मोबाइल स्क्वायड धान की कटाई से लेकर गेहूं की बुवाई होने तक लगातार क्षेत्र में भ्रमण करेगा तथा भ्रमण के दौरान फसल अवशेष जलने की घटना के प्रकाश में आने पर निर्देशानुसार उचित कदम उठायेगा।

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उन्होंने बताया कि प्रत्येक राजस्व ग्राम या राजस्व क्लस्टर के लिये एक नोडल अधिकारी नामित किया गया है तथा पराली जलाने की घटना प्रकाश में आने पर उस गांव के लिये नामित कर्मचारी को जिम्मेदार ठहराते हुये उसके विरूद्ध कार्रवाई किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त किसानों के मध्य पराली न जलाने को लेकर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने किसान पाठशालाओं के माध्यम से व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब तक किसान पाठशाला के चार माड्यूल चलाये जा चुके हैं, जिसमें 40 लाख से अधिक किसानों को प्रशिक्षित किया गया। अभी 21 से 25 अक्टूबर के मध्य 5वां माड्यूल चलाया गया, जिसमें 7701 ग्रामों के लगभग 5.50 लाख किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

अब तक कुल 586 किसानों को नोटिस निर्गत की गयी

शाही ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन न करने पर अब तक कुल 586 किसानों को नोटिस निर्गत की गयी हैं, जबकि 166 किसानों के विरूद्ध एफआईआर एवं 185 किसानों पर चार लाख 75 हजार रुपयेे का जुर्माना लगाया गया है। अभी तक 50 किसानों से एक लाख 30 हजार 500 रुपये की वसूली की जा चुकी है।

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इसके अलावा सरकार द्वारा जारी निर्देशों के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में एक लेखपाल को निलम्बित किया गया है और एक लेखपाल के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की गयी है, जबकि सात लेखपालों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।

कृषि मंत्री ने बीती पहली नवंबर को आईसीएआर से प्राप्त रिमोट सेंसिंग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावां किया कि उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में 46.9 प्रतिशत की कमी आयी है। दिल्ली में हो रहे प्रदूषण के सवाल पर शाही ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं के कारण नहीं है, क्योंकि एनसीआर के जिलों में पराली जलाने की घटनाये न के बराबर हैं।

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