UP Politics News: पुरानी फाइल से! उप्र में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं बरकरार

UP Politics News: उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं बरकरार हैं। विपक्ष में भी नेतृत्व में बदलाव की मांग हो रही है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा भी नए नेताओं की तलाश में है। उप्र के बड़े नेताओं में भी नेतृत्व परिवर्तन की मांग हो रही है। इस संदर्भ में, उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं हैं जो आने वाले समय में देखी जा सकती हैं।

Update:2023-05-14 22:37 IST
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UP Politics News: नई दिल्ली, 19 मई, 2000, उत्तर प्रदेश के मुख्मंत्री राम प्रकाश गुप्त प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी से मुलाकात के बाद भले ही आशवस्त हो लखनऊ लौट चुके हों, लेकिन प्रदेशे में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाओं पर अब भी विराम नहीं लगा है। केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश भाजपा संगठन और सरकार के सभी वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुला कर किसी फैसले से पहले इनका मन टटाोलना शुरु कर दिया है। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह को भी दिल्ली बुलाकर राय-मशविरा किया है।

सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की इस माह के अंत में 28 तारीख को प्रस्तावित मनाली (हिमाचल प्रदेश) की पांच दिवसीय यात्रा के पहले ही केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के बीच उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के सवाल को लेकर एक शीर्ष स्तरीय बैठक संभावित है। संभवतः इस बैठक में ही उत्तर प्रदेश के स्थायी इलाज का नुस्खा ढूँढा जाएगा।

प्रदेश के मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्त ने जहां वाजपेयी और गृहमंत्री से मिल कर अपनी स्थिति स्पष्ट की थी । वहीं प्रधानमंत्री ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह को भी स्थिति से अवगत कराने के लिए बुलाया हुआ है। ओम प्रकाश सिंह ने आज प्रधानमंत्री के अलावा आडवाणी और पार्टी अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे से मुलाकात कर केंद्रीय नेतृत्व के सवालों के जवाब दिए है। उन्होंने आज प्रदेश प्रभारी गोविंदाचार्य से भी मुलाकात की ।लेकिन इसे प्रदेश में सागंठनिक चुनावों को लेकर की गई मुलाकात करार दिया।

प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के सिलसिले में ही प्रधानमंत्री ने प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी को बुला कर स्थिति की नजाकत को भाँप राज्य नेताओं का मन टटोलने का यह अभियान अगले कुछ और दिनों तक जारी रह सकता है। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व यह मान रहा है कि उत्तर प्रदेश का अब स्थायी इलाज करना जरुरी है। इसके बगैर प्रदेश में किसी सार्थक नतीजे की अपेक्षा बेकार है । लेकिन सीमित विकल्पों की वजह से अभी उहापोह की स्थिति बनी हुई है।

(मूल रूप से दैनिक जागरण के नई दिल्ली संस्करण में दिनांक 20 मई, 2000 को प्रकाशित)

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