शिक्षा विभाग की बड़ी खबर: 37 शिक्षकों पर केस, घर छोड़कर भागे, जानें पूरा मामला
सीएम सिटी में अलग-अलग समय पर परिषदीय विद्यालयों में हुई शिक्षकों की भर्ती में घोटाला सामने आया है। इन भर्तियों में कूटरचित दस्तावेज और दूसरे शिक्षकों के नाम, पते और पैन नंबर का इस्तेमाल कर नौकरी कर रहे फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
गोरखपुरः सीएम सिटी में अलग-अलग समय पर परिषदीय विद्यालयों में हुई शिक्षकों की भर्ती में घोटाला सामने आया है। इन भर्तियों में कूटरचित दस्तावेज और दूसरे शिक्षकों के नाम, पते और पैन नंबर का इस्तेमाल कर नौकरी कर रहे फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
गोरखपुर के अलग-अलग विद्यालयों में नौकरी कर रहे 37 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ बीएसए पूर्व में ही बर्खास्तगी की कार्रवाई कर चुके हैं। हालांकि मामला संज्ञान में आने के बाद जब बीएसए ने इन फर्जी शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भेजा, तो वे फरार हो गए।
गोरखपुर में तैनात रहे इन फर्जी शिक्षकों पर कूटरचित दस्तावेज, जिसमें शैक्षणिक प्रमाण पत्रों और किसी दूसरे के नाम-पते पर नौकरी करने के अलावा दूसरों के नाम पर जारी किए पैन नंबर के इस्तेमाल का भी आरोप है।
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ऐसे पकड़ में आया फर्जीवाड़ा
जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जांच कराई, तो जांच के बाद यह फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच पूरी होने के बाद 37 शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त करते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर ने राजघाट थाने पर अपराध संख्या 39/2020 धारा 417, 419, 420, 423, 467, 468, 471 के अंतर्गत दर्ज कराया।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि शैक्षणिक प्रमाण पत्रों, दूसरे के नाम और पते पर नौकरी करने के अलावा दूसरों के नाम पर जारी किए पैन नंबर के इस्तेमाल की शिकायत पर जांच के बाद कार्यवाई की गई है।
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बीएसए जांच के बाद आगे की कार्रवाई
क्षेत्राधिकारी कोतवाली वीपी सिंह ने बताया कि 37 शिक्षकों के खिलाफ बीएसए ने जांच कर मुकदमा दर्ज करने के लिए शिकायती पत्र दिया था, उसी के आधार पर 37 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया और गहन सत्यापन के बावजूद इस तरह के मामले का सामने आना कहीं न कहीं इस बात की ओर इशारा करता है कि वर्षों से शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा था। कार्यालय के जिम्मेदारों की मिलीभगत के बगैर इसे अंजाम दिया जाना सम्भव नहीं है, जिसकी सच्चाई जांच के बाद ही सामने आएगी।
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