किसान को घाटा: कोरोना संकट में गेहूं की खरीद बढ़ी, सरकार को मुनाफा
लॉक डाउन की वजह से सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर गेहूं की आवक बढ़ने से सरकार की गेहूं खरीद में तो इजाफा हो रहा है। लेकिन लॉक डाउन के कारण किसान पिस रहा है।
शामली: कोरोना काल के संकट की इस घड़ी में जहां हर कोई परेशान है तो वहीं कोरोना की वजह से मंडी में गेहूँ की आवक बढ़ गयी है। लॉक डाउन के चलते हरियाणा की मंडी बंद होने की वजह से किसान गेहूं की फसल को लेकर हरियाणा नहीं जा पा रहा है। जिस कारण सरकारी क्रय केंद्र पर पिछले साल की अपेक्षा इस साल लगभग 5 गुना आवक बढ़ी है। किसान हरियाणा की मंडी में ऊंचे भाव पर अपने गेहूं की फसल को बेचा करते थे ।अब उन्हें सरकारी केंद्र पर सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही अपने गेहूं की फसल को बेचना पड़ रहा है।
लॉकडाउन की वजह से सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर बेचना पड़ रहा गेहूं
लॉक डाउन की वजह से सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर गेहूं की आवक बढ़ने से सरकार की गेहूं खरीद में तो इजाफा हो रहा है। लेकिन लॉक डाउन के कारण किसान पिस रहा है। लॉक डाउन की वजह से जनपद शामली के निकटवर्ती राज्य हरियाणा की अनाज मंडी बंद होने की वजह से किसान अपने गेहूं की फसल को लेकर हरियाणा नहीं जा पा रहा है। लिहाजा उसे अपनी फसल को सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही बेचना पड़ रहा है। किसान को लॉक डाउन की वजह से इसलिए घाटा हो रहा है क्योंकि जो फसल में हरियाणा की मंडी में अच्छे भाव में बेच देता था
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अब उसे सरकारी मूल्य पर सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर बेचना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि वह अपनी फसल को हरियाणा बेचा करते थे, क्योंकि हरियाणा में मंडी के आढ़तियों से वह अपनी फसल को तैयार करने के लिए पहले ही कुछ पैसा ले लिया करते हैं जिसके बाद फसल तैयार होने पर वह अपनी फसल को उन्हीं आरटीओ के पास बेचने के लिए जाते हैं जिनसे कि उन्होंने फसल तैयार करने के लिए पैसा लिया था।
सरकारी अनाज का खजाना भर रहा
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इस बार लोक डाउन की वजह से उन्हें हरियाणा नहीं जाने दिया जा रहा है। पिछले साल की अगर बात करें तो जनपद शामली में 9 मई तक करीब 1200 से 1300 कुंटल गेहूं की खरीद की गई थी। लेकिन इस साल लॉक डाउन के कारण 9 मई तक यह आंकड़ा करीब 5 गुना बढ़कर 6194 कुंटल पर पहुंच गया है। लॉक डाउन के कारण किसान पर चाहे कितने भी मार पड़े लेकिन एक बात तो तय है कि इस बार सरकार के अनाज का खजाना भरने वाला है। सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर अपने गेहूं की फसल लेकर पहुंचे किसान सेंगर सिंह ने बताया कि वह इस बार सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर पहली बार आए हैं।
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इससे पहले वह अपनी फसल को हरियाणा की मंडी में ले जाकर बेचा करते थे। सेंगर सिंह ने बताया कि फसल को तैयार करने के लिए वह वहां के मंडी के आढ़तियों से एडवांस में पैसा ले आया करते थे और फसल तैयार होने के बाद वह अपनी फसल को वही बेच दिया करते थे। इस बार मैं अपनी फसल को हरियाणा ले ही ले जा पाए क्योंकि उन्हें कोरोना की वजह से हरियाणा जाने नहीं दिया जा रहा है।
हरियाणा ना जा पाने से किसानों को हो रहा घाटा
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मंडे में अपने गेहूं की फसल सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर देने के लिए आए गांव खोडसमा के किसान गुरमीत सिंह ने बताया कि वह अपनी फसल हरियाणा के करनाल में ले जाया करते थे। क्योंकि वही से वह आड़ती से खर्चा पानी लिया करते थे और फसल तैयार होने के बाद उसी आरती को अपनी फसल बेच दिया करते थे। लेकिन इस बार बॉर्डर सील होने की वजह से वह हरियाणा नहीं जा पा रहे हैं। वहीं गेंहू क्रय केंद्र अधिकारी शारदा कुमारी ने बताया कि 15 तारीख को खरीद शुरू हुई थी।
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लेकिन पहली खरीद 20 तारीख को शुरू हुई थी और अब तक 6200 कुंटल गेंहू खरीद गया है और अभी करीब 50% और 10 हज़ार कुंटल खरीद जा सकता है। हरियाणा के बंद होने की वजह से गेहूं की आवक बढ़ी है और ज्यादातर किसान रंगाना फार्म से आ रहे है। जितना गेंहू आ रहा डेली लिक्विडेट हो रहा है जितना आता है शाम को लोड होकर चला जाता है।
पंकज प्रजापति