चीन अब बदल रहा कोरोना वायरस की थ्योरी, आ रही ये बड़ी खबर

पूरी दुनिया जान रही है कि ये वायरस वुहान में ही उत्पन्न हुआ था लेकिन अब चीन इस थ्योरी को पलटने की कोशिश कर रहा है। चीन का सरकारी मीडिया अब लगातार ये खबरें दे रहा है कि किस तरह विदेशों से आने वाले खाद्य पदार्थों में कोरोना वायरस पाया जा रहा है।

Update:2020-11-30 14:40 IST
युवती में नया स्ट्रेन मिलने के बाद उन्हें तत्काल क्वारनटीन कर दिया गया। उनके संपर्क में कौन-कौन आया अब इसके बारें में पता लगाया जा रहा है।

लखनऊ। चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस के नए मामले आने के बाद एक साल का समय बीत चुका है। पूरी दुनिया जान रही है कि ये वायरस वुहान में ही उत्पन्न हुआ था लेकिन अब चीन इस थ्योरी को पलटने की कोशिश कर रहा है। चीन का सरकारी मीडिया अब लगातार ये खबरें दे रहा है कि किस तरह विदेशों से आने वाले खाद्य पदार्थों में कोरोना वायरस पाया जा रहा है। चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित ‘पीपुल्स डेली’ अखबार ने फेसबुक पर पिछले हफ्ते एक पोस्ट डाली जिसमें लिखा था कि ‘सभी उपलब्ध सबूत बताते हैं कि कोरोना वायरस चीन के वुहान से उत्पन्न नहीं हुआ था।

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वायरस कहाँ से निकला

इस पोस्ट में चीन के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल के मुख्य महामारी विशेषज्ञ झेंग गुआंग के हवाले से कहा गया है कि वुहान में कोरोना वायरस का सबसे पहले जरूर पता अलगा लेकिन ये वायरस वहां पैदा नहीं हुआ था।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन का कहना है कि चीन ने सबसे पहले कोरोना के केस रिपोर्ट किये लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वायरस चीन में उत्पन्न हुआ था। झाओ ने कहा कि वायरस कहाँ से निकला ये पता लगाना एक लंबा प्रोसेस है और इसमें कई देश और क्षेत्र शामिल हो सकते हैं।

फोटो-सोशल मीडिया

चीनी वैज्ञानिकों ने रिसर्च पेपर तक दे दिया

चेन के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में बाकायदा एक रिसर्च पेपर विख्यात विज्ञान पत्रिका ‘लांसेट’ में प्रकाशन के लिए सबमिट किया है।अभी ये पेपर प्रकाशित तो नहीं हुआ है लेकिन इसमें दावा किया गया है कि ‘वुहान वो जगह नहीं है जहाँ सबसे पहले इनसान से इनसान में संक्रमण हुआ। इस पेपर में इशारा किया गया है कि कोरोना वायरस बीमारी का पहला केस भारतीय उपमहाद्वीप में आया हो सकता है।

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पश्चिमी देशों को भरोसा नहीं

कोरोना वायरस चीन से बाहर कहीं उत्पन्न हुआ था इस थ्योरी पर पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों को ज़रा भी भरोसा नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के निदेशक माइकेल रयान ने कहा है कि कोरोना वायरस चीन से बहार कहीं उत्पन्न हुआ ये कहना बहुत बड़ी अटकलबाजी है। सार्वजानिक स्वास्थ्य के नजरिये से हमेशा ये देखा जाता है कि इनसान में संक्रमण का पहला मामला कहाँ आया।

चीन पहले ये भी कह चुका है कि कोरोना वायरस इटली से शुरू हुआ। इस दावे पर लन्दन के एक वायरस विज्ञानी प्रोफ़ेसर जोनाथन स्टोए का कहना है कि इटली पर दोषारोपण करना सही नहीं है क्योंकि वहां के आंकड़ों से पता चलता है कि लोगों में कोविड-19 के लिए जिम्मेदार विषाणु नहीं थे।

चीन का दावा रहा है कि इटली के एक अस्पताल की कैंसर यूनिट से मिले नमूनों में सितम्बर 2019 में कोरोना वायरस मौजूद था। प्रोफ़ेसर स्टोए का कहना है कि ये तय है कि कोरोना महामारी का पहला केस चीन में मिला था और इस वजह से यही मुमकिन है कि वायरस चीन में उत्पन्न हुआ था।

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फ्रोजेन फ़ूड में कोरोना वायरस

चीनी मीडिया इधर लगातार कह रहा है कि विदेशों से आये फ्रोजेन फ़ूड में कोरोना वायरस मिला है। चीन ने भारत से आयातित खाद्य पदार्थों को भी संक्रमित बताया है। ये बात सही है कि तमाम फ्रोजेन फ़ूड पर कोरोना वायरस मिले हैं लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि फ्रोजेन फ़ूड पर वायरस की मौजूदगी से बीमारी फैलने का ख़तरा बहुत कम है।

जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के एंड्रू पेकोस्ज़ का कहना है कि फ्रोजेन फ़ूड के पॉजिटिव टेस्ट का ये मतलब नहीं है कि वहां कोई संक्रमण फैलाने वाला वायरस मौजूद है बल्कि ये सिर्फ ये संकेत है कि वायरस का कोई अंश उस सतह पर मौजूद रहा होगा। खाने के पैकेज पर कोरोना वायरस से संक्रमण का बहुत बड़ा जोखिम होता है इसका कोई पक्का डेटा नहीं मिला है।

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अपनी इज्जत बचाने की कवायद

दुनिया भर में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है और ऐसे में चीन देश-विदेश में अपनी इज्जत बचने की भरपूर कोशिशों में जुटा हुआ है। चीन का दावा है कि उसने अपने यहाँ कोरोना महामारी को कंट्रोल कर लिया है और अब वो अपनी छवि सुधरने की हर जुगत कर रहा है इसी क्रम में चीन दुसरे देशों को मेडिकल सहायता दे रहा है और खुद वैक्सीन डेवलप करने में लगा है।

एक अमेरिकी थिंक टैंक ‘जर्मन मार्शल फण्ड’ के वरिष्ठ सदस्य एंड्रू स्माल का कहना है कि चीन इस झटके से उबर नहीं पा रहा है कि पूरी दुनिया उसे महामारी फैलने के ‘मूल पाप’ के लिए जिम्मेदार मान रही है।

ऐसे में चीन चाहे जो कर ले उसके खिलाफ गुस्सा और आक्रोश कम नहीं होने वाला। कोरोना वायरस कहाँ से निकला इस बारे में चीन की शीर्ष लीडरशिप के मन में कोई संदेह नहीं होगा और अब यही लीडरशिप झूठे प्रचार का सहारा ले रही है।

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स्वतंत्र जांच में रोड़े

चीन भले ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में संदेह के बीज बो रहा है लेकिन अगर उसमें ज़रा भी सच्चाई होती तो वो स्वतंत्र जांच को प्रोमोट करता। असलियत तो ये है कि चीन कोरोना वायरस से सम्बंधित किसी भी स्वतंत्र जांच के प्रयासों में रोड़े ही अटकाता आया है।

डब्लूएचओ के जांचकर्ता कुछ महीने पहले जांच करने वुहान गए लेकिन उनको वहां की मीट बाजार का दौरा करने की अनुमति नहीं दी गयी। जबकि वुहान की उसी मीट मार्किट से कोरोना वायरस की उत्पति जुड़ी हुई है।

अब फिर डब्लूएचओ की एक नई टीम चीन जाने वाली है जो चीन स्थित एक दल की शुरुआती जांच को आगे बढ़ाएगी। टीम चीन कब जायेगी इसकी कोई तारिख तय नहीं की गयी है। डब्लूएचओ का बस इतना कहना है कि उसकी टीम चीन जायेगी।

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रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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