ईरान को मिला 20 करोड़ शिया का साथ, तो क्या ट्रंप को ये जंग पड़ेगी महंगी...

अमेरिका-ईरान विवाद पर हर कोई आंकलन कर रहा है कि जंग की स्थिति में बाकी देश किसका समर्थन करेंगे। लेकिन जानना जरुरी है कि देशों के नागरिक किसके पक्ष में हैं।

Update: 2020-01-08 10:02 GMT
Nuclear deal between iran us

अमेरिका-ईरान विवाद (America-Iran Conflict) को लेकर हर कोई इस बात का आंकलन कर रहा है कि जंग की स्थिति में विश्व के बाकी देश किसका समर्थन करेंगे। लेकिन यहां ये जान लेना जरुरी है कि इन देशों के नागरिक किसके पक्ष में हैं। दरअसल, विश्व के करीब 20 करोड़ शिया ईरान को अपना नेता मानते हैं। ऐसे में ईरान के साथ अमेरिका के बर्ताव पर उनकी प्रतिक्रिया पक्ष में नहीं है।

सैन्य शक्ति में ईरान अमेरिका से कमजोर, फिर भी खतरनाक:

बात अगर दोनों देशों की शक्ति की करें तो ईरान अमेरिका की तुलना में बेहद कमजोर है, लेकिन अगर पश्चिम एशिया की बात की जाए तो शायद मारक मिसाइलों और सैन्य क्षमता के मामले में ईरान नंबर एक पर है। इस बात को अमेरिका ने भी स्वीकार किया है। सैन्य शक्ति में कमजोर होने के बावजूद भी अमेरिका ईरान अपने लिए पांच प्रमुख खतरों में से एक मानता है।

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ईरानी मिसाइलों से खौफ में इजराइल:

ईरानी मिसाइलों को अमेरिका बड़ा खतरा मानता है। बता दें कि वाशिंगटन के एक स्टडी सेंटर के मुताबिक, पूरे पश्चिमी एशिया में सबसे खतरनाक मिसाइलें ईरान के पास हैं, जो जंग के हालातों में तबाही मचाने के लिए काफी है। ईरानी मिसाइलों का सबसे पहले प्रभाव इजराइल पर पड़ेगा।

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ईरान को समुदाय का वैश्विक समर्थन:

वहीं अगर बात जन समर्थन की करें तो भी ईरान बेहद ताकतवर है। गौरतलब है कि विश्व में मुसलमान मोटे तौर पर दो भागों में बंटा है। पहला सुन्नी और दूसरा शिया। सुन्नी समुदाय सऊदी अरब तो शिया समुदाय का झुकाव ईरान की तरफ ज्यादा है। विश्वभर के शिया का आंकड़ा तकरीबन 20 करोड़ है। ईरान की इस्लामिक क्रांति के बाद विशेष तौर अयातुल्लाह खोमैनी को शिया समुदाय के लोग अपने धार्मिक नेता के तौर पर देखते हैं।

ऐसे में जब अमेरिका ने ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या करवाई, तो विश्वभर के शिया मुस्लिम समुदाय का विरोध भी सामने आने लगा। भारत में भी इसे लेकर कई जगह समुदाय ने प्रदर्शन कर अमेरिका खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। इससे ये त स्पष्ट है कि अमेरिका ने अपने एक हमले के साथ ही बड़ी संख्या में शिया मस्लिम समुदाय को अपने खिलाफ कर लिया है।

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ईरान को मिला रूस-चीन का साथ:

वहीं रूस और चीन ने भी अमेरिका के हमले की निंदा करते हुए ईरान के प्रति सहानभूति जताई थी। ऐसे में इन देशों की तरफ से जारी बयान में ईरान को समर्थन मिल रहा है। सीरिया के साथ भी यहीं स्थिति है। सीरिया भी अमेरिका के खिलाफ ईरान के समर्थन में हैं।

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