बिडेन की चेतावनीः राष्ट्रपति बनते ही चीन-पाक पर दिखें सख्त, दे डाली ये सलाह

अमेरिका के भावी रक्षा मंत्री जनरल (रिटायर्ड) लॉयड ऑस्टिन ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को अपना रवैया बदलना होगा। लश्कर ए तोयबा और अन्य भारत विरोधी आतंकियों को मदद पहुंचाने की नीयत से बाज आना होगा।

Update: 2021-01-21 04:20 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बावजूद चीन और पाकिस्तान के प्रति नीतियों में बदलाव नहीं होगा। नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन का प्रशासन भी भारत के साथ सीमा विवाद में चीन के साथ सख्ती की नीति पर चलता रहेगा। बिडेन प्रशासन की ओर से पाकिस्तान को आतंकियों को मदद करने के खिलाफ आगाह किया गया है।

अमेरिका के भावी रक्षा मंत्री जनरल (रिटायर्ड) लॉयड ऑस्टिन ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को अपना रवैया बदलना होगा। लश्कर ए तोयबा और अन्य भारत विरोधी आतंकियों को मदद पहुंचाने की नीयत से बाज आना होगा। उन्होंने चीन के खिलाफ भी सख्त रवैये का संकेत दिया। इससे साफ है कि बिडेन प्रशासन चीन और पाकिस्तान दोनों देशों के खिलाफ पहले की तरह सख्त नीति अपनाएगा।

चरमपंथी संगठनों पर लगाम लगाए पाक

ऑस्टिन ने साफ किया कि मेरा उद्देश्य भारत के साथ रक्षा संबंधों के लिए साझेदारी को जारी रखना होगा। ऑस्टिन ने सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों को बताया कि वे अमेरिका और भारतीय साझा सैन्य हितों के सहयोग के लिए प्रयास करेंगे।

उन्होंने सदस्यों को बताया कि वे पाकिस्तान से साफ तौर पर कहेंगे कि वह हिंसक चरमपंथी संगठनों और आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने से रोके।

कार्रवाई न करने पर जताई नाराजगी

उन्होंने आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर पाकिस्तान के प्रति गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि भारत विरोधी आतंकी संगठनों लश्कर और जैश ए मोहम्मद के खिलाफ पाकिस्तान सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि बिडेन प्रशासन की ओर से पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया गया है।

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पाक को बदलना होगा रवैया

ऑस्टिन ने कहा कि 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद आतंकी हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि पाकिस्तान आतंकियों पर लगाम लगाने में मदद नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान को अपना रवैया बदलना होगा और आतंकियों पर नकेल कसनी होगी। हमें आतंकियों के साथ नरम रवैया की नीति मंजूर नहीं है।

उन्होंने भविष्य में भी भारत के साथ रक्षा सहयोग जारी रखने का एलान करते हुए कहा कि हम क्वाड के जरिए रक्षा सहयोग के दायरे को और बढ़ाने की कोशिश करेंगे। क्वाड में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भारत भी शामिल है।

विदेश मंत्री का सहयोग जारी रखने का संकेत

अमेरिका के नामित विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने भी भारत के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की नीति जारी रखने का संकेत दिया है। ब्लिंकन ने सीनेट की विदेशी मामलों की समिति के सामने रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत नीति का समर्थन किया।

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चार घंटे से भी ज्यादा समय तक चली इस बैठक में उन्होंने कहा कि भारत के साथ सहयोग की नीति क्लिंटन प्रशासन के आखिरी दिनों में शुरू हुई थी। ओबामा प्रशासन के दौर में रक्षा खरीद और सूचना साझेदारी में सहयोग बढ़ा। ट्रंप प्रशासन ने इसे आगे बढ़ाकर हिंद प्रशांत सहयोग की रणनीति पर काम किया।

चीन की चुनौती का करेंगे सामना

उन्होंने कहा कि इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमारे हितों को सबसे अधिक चुनौती चीन की ओर से पेश की जा रही है। अमेरिका को इस चुनौती का सामना करना है और हम पूरी मजबूती से इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि चीन समेत कोई भी देश भारतीय संप्रभुता को चुनौती न दे सके। आतंक के मुद्दे पर भी हम भारत के साथ हैं। दोनों देशों के आपसी रिश्तो को मजबूत बनाने के लिए बहुत सारे रास्ते हैं और हम निश्चित रूप से भारत के साथ दोस्ती का रुख बनाए रखेंगे।

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