तबाही की एक और तस्वीर: सालों तक सूनामी से नहीं उभर सकता देश

दुनिया कोरोना वायरस की खतरनाक तबाही की मार झेल-झेल कर परेशानी है, इधर जापान में कुछ और ही चल रहा है। जापान सरकार के एक चैनल ने चेतावनी दी है कि देश एक बार फिर भयंकर सुनामी की चपेट में आ सकता है।

Update:2020-04-22 20:23 IST
तबाही की एक और तस्वीर: सालों तक सूनामी से नहीं उभर सकता देश

नई दिल्ली: दुनिया कोरोना वायरस की खतरनाक तबाही की मार झेल-झेल कर परेशानी है, इधर जापान में कुछ और ही चल रहा है। जापान सरकार के एक चैनल ने चेतावनी दी है कि देश एक बार फिर भयंकर सुनामी की चपेट में आ सकता है। अगर इस बार सुनामी आई तो लहरें 30 मीटर मतलब 98 फीट से भी ज्यादा ऊंची उठेंगी। लेकिन ये सब एक झटकेदार भूकंप के आने के बाद ही होगा। और ये भी बताया कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 हो सकती है।

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खतरनाक सुनामी का सामना

ऐसे में भूकंप और सुनामी पर काम करने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि भूकंप प्रशांत महासागर के नीचे धरती की प्लेटों में कभी भी आ सकता है। इसकी वजह से जापान का होकाइडो और इवाते परफेक्टर सुनामी की चपेट में आ सकते हैं।

इसी के चलते एजेंसी ने ये भी जानकारी दी है कि जापान के टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोशन ने देश में फिर से सुनामी आने की चेतावनी दी है।

बुधवार 22 अप्रैल को टेप्को ने सरकारी रिपोर्ट का आकलन करते हुए बताया कि देश को फिर से खतरनाक सुनामी का सामना करना पड़ सकता है जिसका प्रभाव फुकुशिमा न्यूक्लियर स्टेशन पर भी पड़ेगा।

आज से करीब 9 साल पहले यानी सन् 2011 में भी भयंकर भूकंप और सूनामी से ये देश बहुत प्रभावित हुआ था। ऐसे में जापान के सरकारी पैनल ने बताया कि महाभूकंप जापान और कुरिल ट्रेंच के उत्तरी हिस्से में आने की आशंका है। इससे जापान का उत्तरी हिस्सा प्रभावित हो सकता है।

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भूकंप और सुनामी आने की आशंका

आगे सरकारी पैनल ने कहा है कि जापान में हर 300 से 400 साल में महाभूकंप और महासुनामी आती है। पिछली बार 17वीं सदी में आई थी। अब फिर से वो समय आ चुका है।

सरकारी पैनल ने बताया कि जापान का ट्रेंच होकाइडो द्वीप से दूर जा रहा है। यह शीबा परफेक्चर की तरफ बोसो प्रायद्वीप की तरफ बढ़ रहा है।

जबकि, कुरिल ट्रेंच जापान के तोकाची द्वीप से खिसक कर रूस के पूर्वोत्तर की तरफ कुरिल द्वीप की तरफ बढ़ रहा है। जापान के नीचे मौजूद दोनों ट्रेंच में हो रही इस भौगोलिक घटनाओं से भूकंप और सुनामी आने की आशंका है।

वहीं टोक्यो यूनिवर्सिटी के भूकंप विज्ञानी और प्रोफेसर केंजी सटाके इस सरकारी पैनल के अध्यक्ष, उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते ऐसा कुछ हो। लेकिन जापान जिस इलाके में है, उस इलाके में ऐसे महाभूकंप और सुनामी पिछले हजारों सालों से आते रहे हैं।

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भूकंप और सुनामी से कोई देश सालों तक उबर नहीं पाएगा

आगे प्रो. केंजी सटाके ने कहा कि रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता का भूकंप को झेल पाना किसी भी देश के लिए भयावह होगा। जापान ही नहीं ऐसे भूकंप और सुनामी से कोई देश सालों तक उबर नहीं पाएगा।

प्रो. केंजी सटाके की टीम ने अब इस संभावित भूकंप और सुनामी से होने वाले नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। साथ ही सरकार को बोल दिया है कि क्या-क्या तैयारियां की जा सकती हैं, ताकि कम से कम नुकसान हो और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके।

जापान एक और नई मुसीबत

प्रोफेसर केंजी सटाके ने बताया कि जापान के होकाइडो, आओमोरी, इवाते, मियागी, फुकुशिमा, इबाराकी और शीबा परफेक्चर भूकंप और सुनामी के निशाने पर रहेंगे। सुनामी की सबसे बड़ी लहर 98 फीट यानी 30 मीटर ऊंची हो सकती है।

जहां पूरी दुनिया में कोरोना वायरस कहर ढाये हुुए है, वहीं अब जापान एक और नई मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है। जापान ने भी कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी है। लोग इस महामारी के खत्म होने का इंतजार करते ही रह गए, और नई परेशानी पहले ही खड़ी हो गई।

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