ट्रम्प को बड़ी कामयाबी: अरब देशों की दोस्ती से ईरान बैचेन, अब सऊदी की बारी
यूएई के बाद एक और अरब देश बहरीन ने इजरायल से राजनयिक संबंध कायम करने की घोषणा की है। अब समझा जा रहा है कि सऊदी अरब की तरफ से भी ऐसी घोषणा जल्द होगी।
नीलमणि लाल
तेल अवीव: यूएई के बाद एक और अरब देश बहरीन ने इजरायल से राजनयिक संबंध कायम करने की घोषणा की है। अब समझा जा रहा है कि सऊदी अरब की तरफ से भी ऐसी घोषणा जल्द होगी। अरब दुनिया के बदलते समीकरणों से ईरान में खलबली मची है और उसे इस्लामी देशों की बादशाहत करने के मंसूबे पर पानी फिरता दिख रहा है।
ट्रम्प को बड़ी कामयाबी
मध्य पूर्व में इजरायल के साथ बढ़ती नजदीकियों को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बड़ी कामयाबी बताया जा रहा है। नॉर्वे के एक सांसद ने तो ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी भेज दिया है। उनका कहना है कि ट्रंप देशों के बीच शांति कायम कर रहे हैं। ये सच भी है कि जो काम कई दशकों में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं कर सका वो ट्रम्प ने कर दिखाया है।
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ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि इजरायल के साथ ज्यादा से ज्यादा देश अपने रिश्ते सामान्य करेंगे, तो इससे फलस्तीनियों पर शांति वार्ता में लौटने का दबाव बढ़ेगा, जो बीते दस साल से अटकी पड़ी है। पिछले तीन साल में ट्रंप ने फलस्तीनियों को दी जाने वाली मदद में कटौती कर दी, येरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी, इजरायली बस्तियों पर अमेरिका की लंबे समय से चले आ रही आपत्तियों को छोड़ दिया और मध्य पूर्व के लिए ऐसी योजना तैयार की जिसमें खुले तौर पर इजरायल का पक्ष लिया गया है।
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अब सऊदी की बारी
यूएई के बाद अब बहरीन ने भी इजरायल के साथ राजनयिक संबंध कायम करने को हरी झंडी दिखा दी है। बहरीन के फैसले के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या सऊदी अरब भी जल्द ऐसा कदम उठाएगा? ऐसा होता है तो यह इजरायल के लिए शायद सबसे बड़ी जीत होगी। बहरीन के सुन्नी शासकों के सऊदी अरब से नजदीकी रिश्ते हैं।
जब 2011 में बहरीन में सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए तो उन्हें दबाने में सऊदी अरब ने बहुत मदद की थी। यूएई और इजरायल के बीच समझौते को भी सऊदी अरब का मूक समर्थन रहा है। यही नहीं, जब इजरायल और यूएई के बीच सीधी व्यावसायिक उड़ानों की बात आई, तो सऊदी अरब ने अपने वायुक्षेत्र को खोल दिया।
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ईरान की प्रतिक्रिया
इजरायल के साथ अरब देशों के बढ़ते संबंध ईरान को परेशान कर रहे हैं। इजरायल के साथ राजनयिक रिश्ते कायम करने की बहरीन की घोषणा को ईरान ने ‘शर्मनाक और नीच कदम’ करार दिया है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इजरायल से रिश्ते सामान्य करने का बहरीन का कदम ‘शोषित और दबे कुचले फलस्तीनी लोगों और दुनिया के आजाद देशों की ऐतिहासिक स्मृति में दर्ज होगा।‘
ईरान के ताकतवर अर्धसैनिक बल रेवोल्यूशनरी गार्ड्स ने भी ऐसी भाषा इस्तेमाल करते हुए इसे फलीस्तीनी लोगों के साथ धोखा करार दिया है। उसने इस कदम को ‘पश्चिमी एशिया और मुस्लिम दुनिया में सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
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ईरान की तरह बहरीन भी शिया बहुल देश है लेकिन वहां राज करने वाला अल खलीफा परिवार सुन्नी है। ईरान में 1979 की क्रांति से बाद से ही बहरीन के शासकों का आरोप रहा है कि ईरान उनके यहां चरमपंथियों को हथियार मुहैया कर रहा है। हालांकि ईरान ऐसे आरोपों से इनकार करता है।
बहरीन की बहुसंख्यक शिया आबादी का आरोप है कि उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार होता है। 2011 में शियाओं ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन किए और बहरीन के शासकों से ज्यादा राजनीतिक आजादी मांगी। लेकिन सऊदी अरब और यूएई ने वहां अपने सैनिक भेजे और सरकार विरोधी प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से दबा दिया गया।
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