वैक्सीन आ गई: यूनाइटेड किंगडम बना पहला देश, सबको मिलेगा टीका
कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण पर वैक्सीन को लेकर बड़ी खबर आई। यूनाइटेड किंगडम ने फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को इजाजत दे दी है। वैक्सीन को इजाजत देने वाला यूनाइटेड किंगडम पहला पश्चिमी देश बन गया है।
नई दिल्ली। कोरोना की वैक्सीन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। यूनाइटेड किंगडम ने फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को इजाजत दे दी है। बता दें, अमेरिका और यूरोपीय संघ के फैसले से पहले फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को इजाजत देने वाला यूनाइटेड किंगडम पहला पश्चिमी देश बन गया है। ऐसे में ये वैक्सीन अगले हफ्ते से ब्रिटेन में उपलब्ध हो जाएगी।
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वायरस के सामने 96% प्रभावशील
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही फाइजर कंपनी ने ऐलान किया था कि वो लैब में COVID-19 यानी कोरोना की ऐसी वैक्सीन बनाने में सफल हुई है, जो कोरोना वायरस के सामने 96% प्रभावशील है।
ऐसे में कल ही जर्मनी की बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी बायोएनटेक और उसकी अमेरिकी साझेदार फाइजर ने यूरोपिया संघ के सामने वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के लिए औपचारिक आवेदन दिया था।
राहत की बात ये है कि ब्रिटेन की मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) से फाइजर और बायोएनटेक कोरोना वायरस वैक्सीन का आकलन करने की इजाजत दे दी। अब ये एजेंसी भी निर्धारित करने की प्रक्रिया में है कि क्या ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कठोर सुरक्षा मानकों को पूरा करती है या नहीं।
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कुछ ही घंटों में वैक्सीन का वितरण
इसी कड़ी में ब्रिटेन के मंत्री नादिम जहावी ने कहा है कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है और फाइजर और बायोएनटेक द्वारा विकसित वैक्सीन को प्राधिकरण की मंजूरी मिलती है तो उसके कुछ ही घंटों में वैक्सीन का वितरण और टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा।
वैक्सीन को लेकर फाइजर के अध्यक्ष और सीईओ डॉ अल्बर्ट बोरला ने कहा था कि यह विज्ञान और मानवता के लिए बड़ा दिन है। तीसरे चरण के ट्रायल के परिणामों के पहले सेट से यह स्पष्ट होने लगा है कि कोरोना वायरस से लड़ने में हमारी वैक्सीन कारगर है। हम वैक्सीन तलाशने में नया आयाम स्थापित कर रहे हैं। यह समय ऐसा है जब कोरोना वायरस वैक्सीन की जरूरत पूरे विश्व को है।
आगे कंपनी के अनुसार, ट्रायल में फाइजर वैक्सीन कोरोना को रोकने में 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी नजर आई। इस ट्रायल में कोरोना के 94 मामलों की पुष्टि की गई। इस अध्ययन में 43,538 प्रतिभागी शामिल थे, जिनमें से 42 प्रतिशत ऐसे लोग थे जिन्होंने कोरोना वायस के लिहाज से ज्यादा सावधानी नहीं बरतते थे।
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