कोरोना वैक्सीन ने बदला कनाडा का रुख, किसान आंदोलन पर मारी पलटी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन को लेकर भारत सरकार की ओर से किए जा रहे हैं बातचीत के प्रयासों की सराहना की है।

Update: 2021-02-13 05:38 GMT
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए भारत सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले कनाडा ने पलटी मार ली है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए भारत सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है। माना जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन ने ट्रूडो का सुर बदलने में बड़ी भूमिका अदा की है।

ट्रूडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कनाडा को वैक्सीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें हर संभव मदद देने का भरोसा दिया था। पीएम मोदी के इस आश्वासन के बाद ट्रूडो के सुर बदल गए हैं।

भारत के प्रयासों की सराहना

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन को लेकर भारत सरकार की ओर से किए जा रहे हैं बातचीत के प्रयासों की सराहना की है। ट्रूडो ने पीएम मोदी से फोन पर हुई बातचीत में कहा कि किसानों की दिक्कतें और चिंताएं दूर करने के लिए भारत सरकार ने बातचीत का रास्ता अपनाकर लोकतंत्र के मुताबिक ही कदम उठाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी सरकार कनाडा में मौजूद भारत के राजनयिकों और उनसे जुड़े परिसरों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाएगी।

वैक्सीन कूटनीति की बड़ी भूमिका

जानकारों का कहना है कि ट्रूडो के सुर बदलने के पीछे वैक्सीन कूटनीति ने बड़ी भूमिका निभाई है। पीएम मोदी से फोन पर हुई बातचीत में ट्रूडो ने कोरोना वैक्सीन मुहैया कराने की अपील की थी जिस पर पीएम मोदी ने कनाडा को जरूरी मदद दिए जाने का आश्वासन दिया था। पीएम मोदी से हुई इस बातचीत के बाद उनके सुर बदल गए हैं।

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पहले किया था किसान आंदोलन का समर्थन

दिसंबर महीने की शुरुआत में कनाडा के प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन का समर्थन किया था और इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। भारत सरकार की ओर से कनाडा के पीएम के बयान के बाद कड़ी आपत्ति जताई गई थी और कनाडा के राजनयिक को भी तलब किया गया था।

भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति

भारत सरकार ने कनाडा के उच्चायुक्त को स्पष्ट कर दिया था कि किसान आंदोलन को लेकर पीएम जस्टिन ट्रूडो और उनके कैबिनेट मंत्रियों की टिप्पणियां कतई स्वीकार नहीं की जा सकतीं। भारत ने से आंतरिक मामलों में दखल भी बताया था।

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ब्रिटेन ने भी बताया घरेलू मामला

कनाडा के अलावा ब्रिटेन ने भी कृषि कानूनों को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए इससे पल्ला झाड़ लिया है। ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस के नेता जैकब रेस मांग ने स्पष्ट किया है कि कृषि सुधारों से जुड़ा मामला भारत का घरेलू नीतिगत मुद्दा है।

विपक्षी लेबर पार्टी के सांसदों ने इस मुद्दे पर सदन में चर्चा की मांग की थी। विपक्ष की मांग का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटेन दुनिया भर में मानवाधिकारों के मुद्दों पर गंभीर रुख अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है मगर जहां तक कृषि सुधारों का मुद्दा है तो यह भारत का आंतरिक और घरेलू मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में गौरवशाली लोकतंत्र है और ब्रिटेन के उसके साथ मजबूत रिश्ते रहे हैं।

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भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

कनाडा और ब्रिटेन के रुख में आए इस बदलाव को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। इससे पहले कनाडा और ब्रिटेन से उठी आवाजों के आधार पर मोदी सरकार की घेरेबंदी की गई थी और कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों का आंदोलन खत्म कराने की मांग की गई थी मगर अब ब्रिटेन और कनाडा दोनों के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं।

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