अनोखा शहर, जहां बस दो लोग ही रहते हैं, लेकिन कोरोना को लेकर हैं इतने ज्यादा अलर्ट
कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए वैक्सीन बनाने का काम तेज गति से चल रहा है। भारत, अमेरिका और रूस इसी दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। जबकि चीन बहुत पहले से कोरोना की वैक्सीन बना लेने का दावा करता आ रहा है।
वाशिंगटन: अमेरिका, जापान, रूस और भारत समेत दुनिया भर के कई बड़े मुल्क इस समय कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। दुनिया भर में बड़े पैमाने पर रोज कोरोना वायरस के नये केस सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही मरने वाले लोगों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
इस बीच आज हम आपको कोरोना वायरस से जुड़ी एक ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं। जिसके बारें में जानकर आपको भी समझ में आ जाएगा कि वाकई में कोरोना वायरस का कितना ज्यादा खतरनाक है।
ये खबर उन लोगों को भी जरूर पढ़नी चाहिए जो बात-बात पर मूंछों पर ताव फेरते हुए बोलते हैं कोरोना मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है।
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नोर्टोस्के नाम से दुनिया भर में मशहूर हैं ये शहर
दरअसल इटली के अंदर नोर्टोस्के नाम का एक बेहद छोटा शहर है। जो दुनिया भर के सबसे ज्यादा एकांत शहरों में से एक माना जाता है। जो आजकल कोरोना काल में दुनिया भर में चर्चा में बना हुआ है।
जियोवनी कैरिली (82) और जियाम्पियरो नोबिली (74) नाम के दो शख्स नोर्टोस्के नाम के इस एकांत शहर में रहते हैं। शहर में सिर्फ दो लोग होने के बावजूद ये दोनों कोविड-19 के सभी नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस शहर के अंदर इन दोनों का कोई पड़ोसी भी नहीं है, फिर भी ये सेवानिवृत्त बुजुर्ग किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं। कैरिली और नोबिली खुद को सुरक्षित रखने के लिए इस एकांत में भी मास्क पहनते हैं। यह शहर पेरुजा प्रांत के उम्ब्रिया में स्थित है।
कोरोना के सभी दिशा निर्देशों का ये दोनों बुजुर्ग बराबर पालन करते हैं। यही वजह है कि शायद ही ये दोनों कभी इस शहर को छोड़कर जाएं।
दुनिया भर में ये शहर टूरिस्ट के बीच काफी लोकप्रिय है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ये शहर तकरीबन 900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस शहर में आना और फिर यहां से लौटकर वापस जाना काफी मुश्किल काम है।
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गाइड लाइन्स को इग्नोर करने वाले लोगों को जरूर पढ़नी चाहिए इनकी बातें
एक इंटरव्यू में कैरिली ने बताया कि उसे कोरोना वायरस से मरने में डर लगता है। यदि उसकी तबीयत बिगड़ गई तो फिर उसकी देखभाल कौन करेगा।
उसने ये भी बताया कि वह बहुत ही ज्यादा बूढ़ा हो चुका है, लेकिन अपनी भेड़, बेल, मधुमक्खी और बाग की देख-रेख के लिए यहां रहना चाहता हूं। उसने ये भी कहा कि वह अपनी जिन्दगी से बेहद खुश हैं और अपनी जिंदगी को काफी अच्छे से जी रहा है।
जबकि नोबिली की राय भी उनसे मिलती जुलती ही है। वे खुद भी सुरक्षा के उपायों की अनदेखी करना और अपनी जान को जोखिम में डालना दोनों को गलत मानते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, केवल सेहत की वजह से मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन ना करें। इसमें कुछ अच्छा-बुरा नहीं है। अगर ये नियम है तो आपको स्वयं और दूसरों के लिए इसका पालन करना ही होगा।
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