हिरोशिमा से भी बड़ा अटैक करेगा ताइवान! अगर चीन ने किया हमला, ताउम्र रहेगा दर्द

चीन बरसों से ताइवान को अपना मानता आ रहा है और इस पर कब्जे के लिए कई बार धमकी भी दे चुका है। 1949 में गृहयुद्ध के दौरान ताइवान चीन से अलग हो गया था।

Update: 2020-11-07 08:22 GMT
चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि अगर अमेरिका ताइवान को हथियार बेचने की डील कैंसिल नहीं करता है तो इससे चीन और अमेरिका के रिश्ते खराब होंगे।

नई दिल्ली: भारत, अमेरिका और ताइवान तीनों ही मुल्क चीन की विस्तारवादी नीति से बेहद खफा हैं। चीन बार-बार तीनों देशों को हमले की धमकी दे रहा है। जिसका भारत और अमेरिका मुंहतोड़ जवाब देने का काम कर रहे हैं। लेकिन अब इसी कड़ी में ताइवान का नाम भी जुड़ गया है।

ताइवान ने भी अब चीन को सबक सिखाने का मन बना लिया है। चीन द्वारा हमले की आशंका को देखते हुए ताइवान ने हैरान करने वाला कदम उठाया है। ताइवान ने अपने सुरक्षा घेरे को मजबूत करने के लिए किनमेन द्वीप के समुद्री तटों पर एंटी लैंडिंग स्पाइक लगा दिए हैं।

एंटी लैंडिंग स्पाइक एक प्रकार से लोहे की नुकीली छड़ें होती हैं। इसे पार करना बेहद ही मुश्किल होता है। ये सब केवल इसलिए किया गया है ताकि चीनी सेना समुद्री रास्ते से वहां न पहुंच सके।

टैंक (फोटो:सोशल मीडिया)

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ताइवान ने जगह-जगह तैनात किये टैंक

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान ने स्पाइक्स से कुछ ही दूरी पर टैंक भी तैनात कर दिए हैं। ये समुद्र में काफी दूर से साफ दिखाई दे रहे हैं। ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि अगर चीन की तरफ से सेना हमला करने के लिए आगे बढ़ती है तो उसे रास्ते में ही ढेर कर दिया जाये।

इस वक्त चीन और ताइवान के बीच तनाव एक दम से बढ़ा हुआ है। दोनों में से कोई भी मुल्क एक दूसरे से बात करने को तैयार नहीं है। यह पिछले महीने उस समय और बढ़ गया जब फिजी में दोनों देशों के राजनयिकों के बीच मारपीट हो गई।

चीन से अमेरिका पहले से ही खफा चल रहा है। उसने चीन को सबक सिखाने के लिए ताइवान को हार्पून पावर देकर उसकी ताकत कई गुना बढ़ा दी है।

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हार्पून मिसाइल (फोटो:सोशल मीडिया)

अमेरिका ने ताइवान को हार्पून मिसाइल देकर कई गुना बढ़ा दी ताकत

अगर हम अमेरिका की हार्पून मिसाइल की बात करें तो यह बेहद ताकतवर मानी जाती है। यह मिसाइल जमीनी लक्ष्यों के साथ ही युद्धपोतों को तबाह करने का दम रखती है। इस मिसाइल में जीपीएस सिस्टम भी है जो सटीक हमला करने में मदद करता है।

बता दें कि चीन बरसों से ताइवान को अपना मानता है और इस पर कब्जे के लिए कई बार धमकी भी दे चुका है। 1949 में गृहयुद्ध के दौरान ताइवान चीन से अलग हो गया था। इस घटना के बाद से ही चीन और ताइवान में टकराव चलता आ रहा है।

बात करें तो यह बेहद शक्तिशाली मानी जाती है। यह मिसाइल जमीनी लक्ष्यों के साथ ही युद्धपोतों को तबाह करने का दम रखती है। इस मिसाइल में जीपीएस सिस्टम भी है जो सटीक हमला करने में मदद करता है।

बताया जा रहा है ये सब अमेरिका ने ताइवान के साथ एक सैन्य डील पर हस्ताक्षर करने के बाद किया है। इस डील के तहत अमेरिका ताइवान को 60 करोड़ डॉलर के सशस्त्र ड्रोन बेच रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका से हथियार मिलने के बाद ताइवान को अपनी सैन्य शक्ति और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में काफी मदद मिलेगी।

उधर चीन को अमेरिका और ताइवान के बीच बढ़ती नजदीकियां बिल्कुल भी रास नहीं आ रही हैं। इस डील से वह एक दम से बौखला उठा है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेबिन ने अभी हाल ही में कहा कि अमेरिका को ताइवान से सैन्य डील कैंसिल कर देनी चाहिए। ताइवान चीन का हिस्सा है और हम किसी भी विदेशी ताकत के हस्तक्षेंप को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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अमेरिका और ताईवान की डील से चीन बौखलाया

उन्होंने आगे यह भी कहा कि यदि अमेरिका ताइवान को हथियार बेचने की डील कैंसिल नहीं करता है तो इससे चीन और अमेरिका के रिश्ते खराब होंगे और ताइवान चीन में शांति प्रभावित हो सकती है।

गौरतलब है कि चीन लम्बे अरसे से ताइवान पर अपना दावा ठोकता आ रहा है। वह ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है। उसने ताइवान को कई बार कब्जा करने की धमकी भी दी है। ताइवान 1949 में गृहयुद्ध के दौरान चीन से अलग हो गया था। इस घटना के बाद से ही चीन और ताइवान में तकरार शुरू हो गई थी।

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