चीन का गंदा खेल: दुनिया के कई देशों पर शासन, तंगी से जूझ रहे सभी

बीते दिनों लद्दाख की गलवान घाटी में हुए हिंसक खूनी झड़प में भारत में अपने 20 जवानों को खो दिया। जिसका आक्रोश पूरे देश में है, लोग लगातार चीन का, चीन के उत्पादों का विरोध कर रहे हैं।

Update:2020-06-21 14:15 IST

नई दिल्ली। बीते दिनों लद्दाख की गलवान घाटी में हुए हिंसक खूनी झड़प में भारत में अपने 20 जवानों को खो दिया। जिसका आक्रोश पूरे देश में है, लोग लगातार चीन का, चीन के उत्पादों का विरोध कर रहे हैं। चीन से जुड़े सभी सामानों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, साथ ही सोशल मीडिया पर बॉयकॉट चीन का कैंपेन चला रहे हैं। ये सिर्फ भारत में ही नहीं हो रहा है बल्कि दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों में चीन ने अपने उत्पाद और कर्ज के जरिए ताल बना रखी है।

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चीन की खतरनाक चाल

चीन बहुत पहले से ही एक रणनीति बनाकर चल रहा है। ये वो नीति है कमजोर पड़ोसियों को कर्ज के जाल में फंसाए रखना और सक्षम देशों को विवादों में उलझाए रखना। चीन अपनी इसी नीति के तहत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में 112.5 लाख करोड़ रुपये का बांट चुका है।

दुनियाभर के कमजोर देशों को भारी मात्रा में कर्ज देकर चीन हमेशा से उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगा रहता है जिससे दुनिया में उसे अमेरिका के मुकाबले एक वैश्विक ताकत माना जाए और कमजोर देश उसके झुके रहें।

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कमजोर देशों पर शासन

बता दें, चीन दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को अब तक लोन बांट चुका है जो वैश्विक जीडीपी का करीब 5 प्रतिशत है। चीन सरकार और उसकी सहायक कंपनियां दूसरे देशों को करीब 1.5 ट्रिलियन डॉलर यानी की 112.5 करोड़ से ज्यादा रुपये का कर्ज दे चुकी है।

और तो और इतना ही नहीं चीन अब विश्व बैंक और आईएमएफ से भी बड़ा कर्जदाता बन गया है। साल 2000 से 2014 के बीच में अमेरिका ने अन्य देशों को 394.6 अरब डॉलर का कर्ज दिया, जबकि चीन ने भी 354.4 अरब डॉलर का कर्ज कमजोर देशों के बीच बांटा।

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विकासशील देशों को चीन ने जो कर्ज दिया

ऐसे में आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 50 से ज्यादा विकासशील देशों को चीन ने जो कर्ज दिया था वो साल 2005 में उसकी जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम था। लेकिन साल 2017 में बढ़कर यह 15 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।

इसके साथ ही अगर भारत की करें तो चीन ने यहां भी भारी निवेश कर रखा है। साल 2014 तक भारत में चीन 1.6 अरब डॉलर का निवेश कर चुका था, जो सिर्फ 3 सालों में बढ़कर 8 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।

तो ऐसे में अगर चीन ने भारत में भविष्य में निवेश को लेकर जो घोषणाएं की है उसको भी जोड़ दें तो यह आंकड़ा 26 अरब डॉलर तक पहुंच जाता है।

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भारत को इतना कर्ज

इसी बारे में भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, चीन यहां स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिकल उपकरण, ऑटो कंपोनेंट, फार्मास्युटिकिल उत्पाद, कैमिकल, टेलीकॉम, स्टील जैसी चीजें निर्यात करता है।

तमाम विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर मौजूदा तनाव और बढ़ता है और दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते खराब होते हैं तो इसका ज्यादा नुकसान अभी भारत को ही उठाना पड़ेगा।

साथ ही व्यापार कारोबार बंद होने पर आयात के मामले में जहां चीन को 1 प्रतिशत का नुकसान होगा। वहीं भारत को 14 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। बिल्कुल कुछ यही स्थिति निर्यात की है।

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