वैज्ञानिकों ने खोजा नया ग्रह: यहां चलती हैं ऐसी हवाएं, भांप बन जाते हैं पत्थर

कनाडा के मैकगिल यूनिवर्सिटी के खगोल विज्ञानी निकोलस कोवन ने इस ग्रह के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि धरती समेत सभी पथरीले ग्रह शुरुआत में लावे की तरह पिघले हुए समुद्र से भरे हुए थे।

Update: 2020-11-13 15:07 GMT
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस ग्रह का दो तिहाई हिस्सा हमेशा गर्म रहता है और उबलता रहता है। इस ग्रह भी इतनी गर्मी है कि यहां मौजूद पत्थर भी पिघल कर भाप बन गए हैं।

नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने बड़ी खोज की है। उन्होंने एक नए ग्रह की खोज की है। इस ग्रह पर लावा का समुद्र मौजूद है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर सुपरसोनिक गति से हवाएं बहती हैं। यह हवाएं 1236 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, वहां पत्थर भी भाप बन जाते हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह ग्रह आकार में धरती से आधा है। वैज्ञानिकों के इस ग्रह को खोजा तीन साल पहले 2017 में किया था। तीन साल के रिसर्च के बाद अब यह निष्कर्ष सामने आया है।

इस ग्रह का नाम K2-141b है। यह भी तारों के बेहद करीब चक्कर लगाता है। जिस प्रकार से धरती सूरज का चक्कर लगाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस ग्रह का दो तिहाई हिस्सा हमेशा गर्म रहता है और उबलता रहता है। इस ग्रह भी इतनी गर्मी है कि यहां मौजूद पत्थर भी पिघल कर भाप बन गए हैं। इस अध्ययन की रिपोर्ट रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में हाल ही प्रकाशित की गई है।

कनाडा के मैकगिल यूनिवर्सिटी के खगोल विज्ञानी निकोलस कोवन ने इस ग्रह के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि धरती समेत सभी पथरीले ग्रह शुरुआत में लावे की तरह पिघले हुए समुद्र से भरे हुए थे। लेकिन धीरे-धीरे ये गर्म लावा ठंड हो गया और मजबूत पत्थर जैसे बन गए। उन्होंने कहा कि हो सकता है धरती जैसा ही इस ग्रह पर भविष्य में जीवन संभव हो।

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वैज्ञानिकों ने अध्ययन करने का मकसद यह था कि इस ग्रह के वातावरण और वायुमंडल के बारे में पता लगाया जा सके। K2-141b ग्रह को केपलर स्पेस टेलिस्कोप और स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप से देखा गया। इसके बाद वैज्ञानिकों के वायुमंडल, सतह, वातावरण के बारे में रिसर्च किया।

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वैज्ञानिकों के वायुमंडल का रिसर्च करने के बाद जामकारी सामने आई कि इस ग्रह पर सुपरसोनिक हवाएं चल रही हैं जिसकी गति 1200 किमी से भी अधिक है। इसकी सतह पर पत्थर मौजूद हैं, लेकिन गर्मी और तेज हवा की वजह पत्थर भाप बन गए हैं। इन पत्थरों से निकलने वाली धूल वायुमंडल में फैल गई हैं। धरती पर ध्वनि की गति से भी कई गुना तेज हवाएं चलती हैं। जहां पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंची वहां मौसम ठंड रहता है। वायुमंडल में हवा के साथ घूमने वाले पत्थर बारिश की तरह नीचे गिरते रहते हैं। पूरी सतह चांदी की तरह चमकती है।

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