हिटलर की खूबसूरत जासूस: मिली इतनी भयानक मौत, जानकर कांप जाएगी रूह
माता हारी सिर्फ एक जासूस ही नहीं थी बल्कि एक बेहतरीन नर्तकी भी थीं। माता हारी का जन्म 1876 में नीदरलैंड में हुआ था और उसका नाम असली नाम गेरत्रुद मार्गरेट जेले था। वह पेशे से एक डांसर थी।
लखनऊ: दुनिया भर में जासूसी की बात कोई नई नहीं है। जासूसी बहुत पहले से होती आ रही है। पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी जासूसी को लेकर पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। ऐसी है महिला जासूस थी माता हारी। माता हारी ने हिटलर के लिए जासूसी की थी। हिटलर के लिए जासूसी करने के आरोप में उसकी हत्या कर दी गई थी।
माता हारी सिर्फ एक जासूस ही नहीं थी बल्कि एक बेहतरीन नर्तकी भी थीं। माता हारी का जन्म 1876 में नीदरलैंड में हुआ था और उसका नाम असली नाम गेरत्रुद मार्गरेट जेले था। वह पेशे से एक डांसर थी। भारतीय नृत्यों में उसे पारंगत हासिल थी, लेकिन उसका असली पेशा अपने शरीर और अदाओं के सहारे बड़े लोगों की जासूसी करना था। माता हारी के कई देशों के शीर्ष सेना अधिकारियों, मंत्रियों, राजशाही के सदस्यों से काफी नजदीकी रिश्ते थे।
अपनी अदाओं के लिए चर्चित माता हारी वर्ष 1905 में पेरिस गई थीं। डांस में खास अंदाज के कारण उसने बहुत जल्दी लोकप्रियता हासिल कर ली। शायद उसका डांस ही वह जादू था जिसके कारण वह लोगों के बीच लोकप्रिय होती चली गई। इसके बाद वह डांस की प्रस्तुतियों के लिए ही पूरे यूरोप में जानें लगी। माता हारी के डांस के लोग दीवाने हो गए थे।
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स्ट्रिपर के रूप में प्रसिद्ध हो गई थी
पहले विश्व युद्ध के समय तक वह एक डांसर और स्ट्रिपर के रूप में प्रसिद्ध हो गई थी। माताहारी का कार्यक्रम देखने कई देशों के लोग और सेना के बड़े अधिकारी आया करते थे। इसी मेलजोल का फायदा उठाकर गुप्त जानकारियां एक से दूसरे पक्ष को दी जाने लगीं। ऐसा कहा जाता है कि माता हारी हिटलर और फ्रांस दोनों के लिए जासूसी करती थी।
लेकिन माता हारी की मौत के बहुत बाद सत्तर के दशक में जब जर्मनी के गोपनीय दस्तावेज बाहर आए तो इस बात का खुलासा हउआ कि वह जर्मनी के लिए ही जासूसी करती थी। जासूसी करने के आरोप में माता हारी को वर्ष 1917 में फ्रांस में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन उनके खिलाफ जब तक मुक़दमा चला तब तक उसने कभी नहीं माना कि वो एक जासूस है। वे लगातार इस बात से इंकार करती रही।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट में बताया था कि मैं सिर्फ एक डांसर हूं, इसके अलावा और कुछ भी नहीं। हालांकि कोर्ट में उस पर गुप्त जानकारी दुश्मन पक्ष को देने का आरोप सिद्ध हो गया है। सजा के तौर पर आंखों पर पट्टी बांध कर उन्हें गोली मारने की सजा सुनाई गई।
माना जाता है कि माता हारी बनने के लिए सिर्फ खूबसूरती की ही जरूरत नहीं है। उसके बारे में जानकर कहते हैं कि वैसा बना नहीं जा सकता है कि सिर्फ पैदा ही हुआ जा सकता है। माता हारी यानी जेले वास्तव में बेडौल शरीर की मल्लिका थी, जिसे ख़ूबसूरत न होने की वजह से एक डांसिंग ग्रुप में शामिल नहीं किया गया। मजबूरी में उसे एक सर्कस में काम करना पड़ा।
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जिस्म की नुमाइश के लिए मजबूर होना पड़ा
किसी ने कहा कि जेले अपने जिस्म पर कपड़ों के साथ भी उतनी ही अच्छी नजर आती थी, जितनी उनके बिना दिखती थी। अब यह उसकी प्रशंसा है या कुछ और, यह तो पता नहीं, हालांकि इतना तो तय है कि जेले को अपने जिस्म की नुमाइश के लिए मजबूर होना पड़ा था। वह अपने पति को छोड़ चुकी थी जो नीदरलैंड की शाही सेना में अधिकारी था और इंडोनेशिया में तैनात था, लेकिन वह एक अव्वल दर्जे का शराबी था।
माता हारी का पति अक्सर शराब के नशे में अपनी पत्नी की जमकर पिटाई करता था, लेकिन जेले के पास एक अद्भुत प्रतिभा थी। जावा में रहकर उसने भारतीय कामकला के रहस्यपूर्ण गूढ़ार्थों को समझा (तभी उसे माता हारी का नाम मिला) और उसके इस नए अवतार का जादू लोगों के दिलोदिमाग़ पर छा गया। सच बताएं तो वह कोई बहुत बड़ी जासूस नहीं थी, जासूसी से ज़्यादा वह सुख-सुविधाओं की शौकीन थी। उसको इसके लिए पैसे की जरूर थी। उसकी इस कमज़ोरी को जर्मन अधिकारियों ने अच्छी तरह से भांप लिया था।
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