बर्बाद हो रहा पाकिस्तान: लोगों का ये हाल, नहीं रोक पा रहें इमरान

भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के हालात काफी बुरे चल रहे हैं। वहां पर रहने वालों के हालात काफी बुरे चल रहे हैं। वहां की महंगाई से सब परेशान हैं।

Update: 2020-02-04 10:24 GMT
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नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के हालात काफी बुरे चल रहे हैं। वहां पर रहने वालों के हालात काफी बुरे चल रहे हैं। वहां की महंगाई से सब परेशान हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि पाकिस्तान में महंगाई दर बढ़कर 14.6 फीसदी हो गई है। ऐसा 12 साल में हुआ है। वहीं, आटे के दाम बढ़ने से लोगों के लिए रोटी खाना भी अब आसान नहीं रह गया है। पेशावर शहर में नान की कई दुकानें बंद रह की वजह से ज़्यादातर लोगों के पास अब चावल ही विकल्प है।

आटे की कीमतों में भारी इजाफे के बाद अब पीएम इमरान खान ने जमाखोरी से निपटने और कीमतों को कम करने के लिए सख्त आदेश दिए हैं। वहीं, पाकिस्तानी शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है। प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स KSE 100 तीन फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ 1225 अंक गिरकर बंद हुआ।

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हर पाकिस्तानी पर है 1.58 लाख रुपये का कर्ज़

पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति कर्ज़ पिछले वित्त वर्ष के आखिर तक 28 फीसदी बढ़कर एक लाख 53 हजार 689 रुपये हो गया है। अगर आसान शब्दों में समझें तो पाकिस्तान में हर व्यक्ति एक लाख 53 हजार 689 रुपये का कर्ज लेकर पैदा हो रहा है। अपनी वार्षिक राजकोषीय नीति 2019-20 में पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने बताया कि उसका मौजूदा खर्च साल 2018-19 में 19 साल के टॉप पर पहुंच गए हैं। वहीं, आम लोगों के विकास पर होने वाला खर्च 11 साल में सबसे कम है।

पाकिस्तान में आम आदमी की कमर तोड़ रही हैं महंगाई

मिल जानकारी के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि महंगाई दर बढ़कर 14।6 फीसदी हो गई है। पीबीएस के आंकड़े से स्पष्ट हुआ है कि खाने की चीजों के दाम में बेतहाशा वृद्धि के कारण महंगाई और बढ़ी है। खासकर, गेहूं आटा, दालें, चीनी, गुड़ और खाद्य तेल के दामों में बढ़ोतरी ने महंगाई के ग्राफ को और ऊपर कर दिया है।पीबीएस ने बताया है कि बीते एक साल में देश में टमाटर 158 फीसदी, प्याज 125 फीसदी, ताजा सब्जियां 93 फीसदी, आलू 87 फीसदी, चीनी 86 फीसदी और आटा 24 फीसदी महंगा हुआ है।

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शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा तेजी से बढ़ी महंगाई

घर के खाने-पीने की चीजें, विशेषकर फल और सब्जियां शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में अधिक महंगी हैं। इसी तरह गांव के इलाकों में रसोई गैस सिलेंडर की कीमत भी साल 2013 के बाद के सर्वोच्च स्तर पर पहुंची हुई है।

जनवरी में शहरी इलाकों में खाने की चीजें सालाना आधार पर 19.5 फीसदी और महंगी हुई हैं जबकि गांव इलाकों में ये आंकड़ा 23.8 फीसदी का है। पीबीएस ने शहरों की तुलना में गांव के इलाकों में अधिक महंगाई को एक 'अभूतपूर्व परिघटना' करार दिया है।

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