चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी, अमेरिका से अनोखा ड्रोन खरीदेगा भारत
भारत ने चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अमेरिका से अनोखा डॉग खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। यह ड्रोन कई खूबियों से लैस है। यह ड्रोन...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: भारत ने चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अमेरिका से अनोखा ड्रोन खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। यह ड्रोन कई खूबियों से लैस है। यह ड्रोन खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के साथ ही लक्ष्य का पता लगाकर उसे मिसाइल और लेजर गाइडेड बम से नष्ट करने की क्षमता से लैस है। माना जा रहा है कि इस ड्रोन को खरीदे जाने के बाद भारत पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना को और कड़ा जवाब देने में कामयाब होगा।
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भारत कर रहा इजरायल के ड्रोन का इस्तेमाल
फिलहाल पूर्वी लद्दाख में भारत की ओर से इसरायल के हेरोन ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह ड्रोन दुश्मन सेना की गतिविधियों का पता लगाने में सक्षम है मगर इसके जरिए दुश्मन सेना पर हमला नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह निहत्था है। दूसरी ओर चीन के पास विंग लूंग सशस्त्र ड्रोन है। पाकिस्तान वायुसेना 48 सशस्त्र ड्रोन का संयुक्त रूप से उत्पादन करने के लिए चीन के साथ करार कर रही है। जानकारों का कहना है कि विंग लूंग का सैन्य संस्करण जीजे 2 हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। लीबिया में इस ड्रोन का इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
भारत ने दिखाई इस ड्रोन में दिलचस्पी
अमेरिका की ओर से चार अरब डॉलर से अधिक के 30 सी गार्डियन बेचने की पेशकश की गई है। वैसे राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों का मानना है कि सर्विलांस और टारगेट पर हमला करने के लिए एक ही ड्रोन होना चाहिए ना कि अलग-अलग। इसलिए भारतीय सेना की ओर से प्रिडेटर बी ड्रोन के पक्ष में दिलचस्पी दिखाई गई है। यह ड्रोन खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के साथ ही मिसाइल और लेजर गाइडेड बमों से लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता से लैस है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस बाबत अमेरिका अपनी रजामंदी दे सकता है।
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रूसी मिसाइल सिस्टम खरीदने से अमेरिका नाखुश
अमेरिका की ओर से भारत को उच्च तकनीकी हथियारों की आपूर्ति दिलचस्पी दिखाई गई है। हालांकि अमेरिका भारत द्वारा रूस से एस 400 मिसाइल सिस्टम खरीदने से नाखुश भी बताया जा रहा है। उसे इस बात का डर सता रहा है कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली को भारत मास्को तक पहुंचा सकता है। चीन पहले ही रूस से एस 400 प्रणाली ले चुका है और मौजूदा समय में इसे अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया गया है।
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लद्दाख में टकराव जल्द खत्म होने के आसार नहीं
वैसे नोएडा में से कुछ भारतीय कंपनियां भी अनोखा ड्रोन विकसित करने की प्रक्रिया में है मगर वे सशस्त्र ड्रोन विकसित करने की क्षमता अभी नहीं हासिल कर पाई हैं। इसलिए भारत अमेरिका के साथ दिया करार करने में दिलचस्पी दिखा रहा है। दरअसल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ शुरू हुए सैन्य टकराव के जल्द खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इसलिए भारत लंबे समय तक चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अभी से तैयारियों में जुटा हुआ है। पूर्वी लद्दाख में काफी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है और इन सैनिकों के लिए सर्दियों के दिनों में पहने जाने वाले कपड़े और अन्य जरूरी सामानों की व्यवस्था भी की जा रही है।
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